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इंदिरा गांधी के समय 61 करोड़ में बनना था जमरानी बांध, अब मोदी के शासन में खर्च होंगे 2584 करोड़

Jamrani Dam Project: जमरानी बांध का शिलान्यास इंदिरा गांधी सरकार में किया गया था. लेकिन बजट की वजह से यह प्रोजेक्ट आज तक लटका हुआ था. मोदी सरकार अब इस बांध को बनाने के लिए उत्तराखंड सरकार को 1,557 करोड़ रुपये की सहायता देगी.

इंदिरा गांधी के समय 61 करोड़ में बनना था जमरानी बांध, अब मोदी के शासन में खर्च होंगे 2584 करोड़

Jamrani Dam Project

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डीएनए हिंदी: केंद्र की मोदी सरकार ने बुधवार को प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना-त्वरित सिंचाई लाभ कार्यक्रम (PMKSY-AIBP) के तहत उत्तराखंड की जमरानी बांध बहुउद्देशीय परियोजना को शामिल करने की मंजूरी दी. इसे बनाने में 2,584 करोड़ रुपये का खर्च आएगा. इस परियोजना में उत्तराखंड के नैनीताल जिले में राम गंगा नदी की सहायक नदी गोला नदी पर जमरानी गांव के पास इस बांध को बनाया जाएगा. यह बांध मौजूदा गोला बैराज को अपनी 40.5 किमी लंबी नहर प्रणाली और 244 किमी लंबी नहर प्रणाली के माध्यम से पानी देगा, जो 1981 में पूरा हुआ था.

मंत्रिमंडल की आर्थिक मामलों की समिति (CCEA) की बैठक में लिए गए फैसलों की जानकारी देते हुए सूचना एवं प्रसारण मंत्री अनुराग ठाकुर ने कहा कि 2,584.10 करोड़ रुपये की अनुमानित लागत वाली परियोजना को मार्च, 2028 तक पूरा करने के लिए उत्तराखंड सरकार को 1,557 करोड़ रुपये की केंद्रीय सहायता की मंजूरी दी गई है. आधिकारिक बयान में कहा गया कि इस परियोजना में उत्तराखंड के नैनीताल और उधम सिंह नगर जिलों और उत्तर प्रदेश के रामपुर और बरेली जिलों में 57,065 हेक्टेयर (उत्तराखंड में 9,458 हेक्टेयर और उत्तर प्रदेश में 47,607 हेक्टेयर) की अतिरिक्त सिंचाई की परिकल्पना की गई है.


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प्रोजेक्ट के तहत दो नई फीडर नहरों के निर्माण के अलावा 207 किमी मौजूदा नहरों का रिनुअल किया जाना है और परियोजना के तहत 278 किलोमीटर पक्के फील्ड चैनल भी इम्प्लीमेंट किए जाने हैं. इसके अलावा इस परियोजना में 14 मेगावाट के पन बिजली उत्पादन के साथ-साथ हल्द्वानी और आसपास के क्षेत्रों में 4.27 करोड़ क्यूबिक मीटर पेयजल के प्रावधान की भी परिकल्पना की गई है, जिससे 10.65 लाख से अधिक आबादी को लाभ मिलेगा.

48 साल पहले बांध का बजट था 61 करोड़
बता दें कि जमरानी बांध का प्रोजेक्ट 48 साल से लटका हुआ था. इंदिरा गांधी के शासन में इस बांध को बनाने के लिए 61.25 करोड़ रुपये का बजट रखा गया था, लेकिन अब मोदी सरकार में बांध की लागत 2584.10 करोड़ रुपये पहुंच गई है. बांध की परियोजना के लिए बजट को मंजूर नहीं किए जाने की वजह से हर साल इसका बजट बढ़ता गया. हल्द्वानी और उसके आसपास जिलों में बढ़ती पानी मांग और सिचाई संकट को दूर करने के लिए इंदिरा गांधी सरकार में तत्कालीन केंद्रीय विद्युत मंत्री केएल राव ने सदन में इस बांध के निर्माण की मांग रखी थी. जिसके बाद विशेषज्ञों का सर्वेक्षण कराया गया और 1975 में जमरानी बांध परियोजना को भारत सरकार ने मंजूरी दी. वर्ष 1976 में स्थायीन सांसद और केंद्रीय मंत्री केसी पंत ने इसका शिलान्यास किया था. लेकिन बजट की वजह से बांध का कार्य पूरा नहीं हो पाया था.

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क्या है PMKSY स्कीम?
प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना (पीएमकेएसवाई) वर्ष 2015-16 के दौरान शुरू की गई थी, जिसका उद्देश्य खेत पर पानी की पहुंच को बढ़ाना और सुनिश्चित सिंचाई के तहत खेती योग्य क्षेत्र का विस्तार करना, खेत में पानी के उपयोग की दक्षता में सुधार करना, स्थायी जल संरक्षण पद्धितियों को लागू करना आदि है. भारत सरकार ने दिसंबर 2021 में 2021-26 के दौरान पीएमकेएसवाई के कार्यान्वयन को 93,068.56 करोड़ रुपये (37,454 करोड़ रुपये की केंद्रीय सहायता) के समग्र परिव्यय के साथ मंजूरी दी थी. 

पीएमकेएसवाई-एआईबीपी के तहत अबतक 53 परियोजनाएं पूरी की जा चुकी हैं और 25.14 लाख हेक्टेयर अतिरिक्त सिंचाई क्षमता सृजित हुई है. सत्र 2021-22 के बाद पीएमकेएसवाई के एआईबीपी घटक के अंतर्गत अबतक 6 परियोजनाओं को शामिल किया गया था. जमरानी बांध बहुउद्देशीय परियोजना एआईबीपी के अंतर्गत शामिल होने वाली सातवीं परियोजना है. (PTI इनपुट के साथ)

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