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संसद में खुले दिमाग से बातचीत होनी चाहिए, जरूरत पड़ने पर बहस भी होनी चाहिए- PM Narendra Modi

Monsoon Session की शुरुआत से पहले मीडिया से बातचीत में पीएम मोदी ने कहा कि यह सत्र इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि अभी राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति के पद के लिए चुनाव हो रहे हैं. आज राष्ट्रपति चुनाव के लिए वोटिंग हो रही है.

संसद में खुले दिमाग से बातचीत होनी चाहिए, जरूरत पड़ने पर बहस भी होन�ी चाहिए- PM Narendra Modi

पीएम नरेंद्र मोदी

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डीएनए हिंदी: आज से संसद के मानसून सत्र (Monsoon Session)  की शुरुआत हो रही है. मानसून सत्र में भाग लेने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सहित तमाम सांसद पहुंच रहे हैं. मानसून सत्र से पहले संसद भवन के बाहर मीडिया को संबोधित करते हुए पीएम नरेंद्र मोदी ने कहा कि संसद में खुले दिमाग से बातचीत होनी चाहिए और जरूरत पड़ने पर बहस भी होनी चाहिए. उन्होंने कहा, "संसद में खुले दिमाग से बातचीत होनी चाहिए, जरूरत पड़ने पर बहस भी होनी चाहिए. मैं सभी सांसदों से गहराई से विचार करने और चर्चा करने का आग्रह करता हूं."

उन्होंने आगे कहा कि यह सत्र इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि अभी राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति के पद के लिए चुनाव हो रहे हैं. आज राष्ट्रपति चुनाव के लिए वोटिंग हो रही है. इस दौरान नए राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति राष्ट्र का मार्गदर्शन करना शुरू करेंगे. आजादी के अमृत महोत्सव का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा, "यह अवधि बहुत महत्वपूर्ण है. यह आजादी का अमृत महोत्सव का दौर है. 15 अगस्त और आने वाले 25 वर्षों का एक विशेष महत्व है - जब राष्ट्र स्वतंत्रता के 100 वर्ष मनाएगा, यह हमारी यात्रा और हम जिस नई ऊंचाइयों को छूते हैं, उसे तय करने का संकल्प करने का समय होगा."

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उन्होंने  सभी सियासी दलों के सदस्यों से संसद का सर्वाधिक उपयोग करने का अनुरोध किया और कहा कि वे खुले मन से विभिन्न विषयों पर चर्चा और वाद-विवाद करें और जरूरत पड़े तो आलोचना भी करें ताकि नीति और निर्णयों में बहुत ही सकारात्मक योगदान मिल सके. पीएम नरेंद्र मोदी ने कहा, "सब के प्रयासों से ही सदन चलता है, इसलिए सदन की गरिमा बढ़ाने के लिए हम सब अपने कर्तव्यों का निर्वाह करते हुए इस सत्र का राष्ट्रहित में सर्वाधिक उपयोग करें."

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) ने कहा कि सदन संवाद का एक सक्षम माध्यम होता है और वह उसे "तीर्थ क्षेत्र" मानते हैं जहां खुले मन से, वाद-विवाद हो और जरूरत पड़े तो आलोचना भी हो. उन्होंने कहा, "उत्तम प्रकार की समीक्षा करके चीजों का बारीकी से विश्लेषण हो ताकि नीति और निर्णयों में बहुत ही सकारात्मक योगदान मिल सके. मैं सभी सांसदों से यही आग्रह करूंगा कि गहन चिंतन और उत्तम चर्चा करें ताकि सदन को हम अधिक से अधिक सार्थक तथा उपयोगी बना सकें."

इनपुट- भाषा

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