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Republic Day: 15 गोलियों से छलनी था शरीर, फिर भी तिरंगा लहराकर माने थे परमवीर चक्र विजेता योगेंद्र यादव

Param Vir Chakra Awardees: इस साल गणतंत्र दिवस की परेड में परमवीर चक्र विजेता योगेंद्र यादव, बाना सिंह और संजय कुमार भी शामिल हुए.

Republic Day: 15 गोलियों से छलनी था शरीर, फिर भी तिरंगा लहराकर माने थे परमवीर चक्र विजेता योगेंद्र यादव

Yogendra Singh Yadav

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डीएनए हिंदी: हल्की बदली वाले मौसम में गणतंत्र दिवस परेड (Republic Day Parade) जारी थी. गुरुवार की हल्की सर्द सुबह सेना के जवानों की कदमताल और उनके करतबों से हर पल गर्म होती जा रही थी. इसी बीच कर्तव्य पथ पर वह जवान आया जिसे देखते ही दुश्मन देश एक बार फिर पानी-पानी हो गया. हल्की मुस्कान के साथ कैप्टन योगेंद्र सिंह यादव (Yogendra Singh Yadav) ने जब राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को सैल्यूट किया तो दिल्ली से 7 सौ किलोमीटर दूर इस्लामाबाद में बैठे पाकिस्तानी हुक्मरानों को कारगिल युद्ध (Kargil War) में भारत के सैनिकों की वीरता याद आ गई. दर्जनों गोलियां खाकर भी तिरंगा लहराने वाले सूबेदार मेजर योगेंद्र यादव भारतीय सेना के शौर्य की गवाही दे रहे थे. वह अपनी मौजूदगी से देश के जवानों के खून में उबाल ला रहे थे और दुश्मन के हौसले को अपनी मुस्कान से ही पस्त कर रहे थे.

योगेंद्र सिंह यादव के साथ ही परमवीर चक्र विजेता कैप्टन बना सिंह और नायब सूबेदार संजय कुमार ने जब राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को सलामी दी तो भारत की वीरता को चार चांद लग गए. ये वीर वही हैं जो कारगिल युद्ध में अपनी जान की परवाह किए बगैर दुश्मनों पर टूट पड़े थे. योगेंद्र सिंह यादव को इस युद्ध में 15 गोलियां लगी थीं लेकिन वह हौसला नहीं हारे और पाकिस्तान को पीछे धकेलकर भारत की जीत सुनिश्चित की.

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अब तक 21 लोगों को मिला है परमवीर चक्र
योगेंद्र सिंह यादव का जन्म यूपी के औरंगाबाद के अहीर गांव में हुआ था. आपको बता दें कि भारत में सर्वोच्च वीरता के लिए परमवीर चक्र से नवाजा जाता है. अभी तक कुल 21 परमवीर चक्र दिए गए हैं जिसमें से चार उत्तर प्रदेश से हैं. कारगिल युद्ध से ठीक पहले योगिंद्र सिंह यादव की शादी हुई थी. युद्ध शुरू हुआ तो तुरंत उन्हें भी भारत की रखवाली के लिए जाना पड़ा.

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कारगिल में ऑपरेशन विजय के दौरान योगेंद्र यादव घातक प्लाटून में शामिल था. उनकी टीम का लक्ष्य टाइगर हिल पर कब्जा करना था. 19 साल से उस लड़के को दुश्मनों ने एक नहीं कुल 15 गोलियां मारीं. उनके पैर की हड्डी टूट गई थी. कई साथी भी शहीद हो गए थे. इसके बावजूद योगेंद्र यादव हमला करते गए और तिरंगा लहराकर ही रुके.

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मरने का नाटक किया और जीत ली बाजी
दरअसल, पाकिस्तानियों की भारी गोलीबारी में भारत के कई जवान शहीद हो गए. योगेंद्र यादव और उनके साथियों ने मरने का नाटक किया. पाकिस्तानियों को लगा कि भारत के सैनिक खत्म हो गए. अचानक भारतीय सैनिकों ने हमला बोल दिया. इस हमले से पाकिस्तानी हैरान-परेशान हो गए और भारतीय सैनिकों ने उन्हें ढेर कर दिया. योगेंद्र यादव साल 2022 में सेना से रिटायर हुए. 75वें स्वतंत्रता दिवस के मौके पर उन्हें कैप्टन की मानद उपाधि से सम्मानित किया गया.

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