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लोकसभा के बाद राज्यसभा से 45 विपक्षी सांसद निलंबित, एक दिन में 78 सांसदों पर एक्शन

Opposition MP Suspended: संसद के दोनों सदनों से 78 सांसदों को निलंबित किया गया है. इनमें लोकसभा से 33 और राज्यसभा के 45 विपक्षी सदस्य शामिल हैं.

लोकसभा के बाद राज्यसभा से 45 विपक्षी सांसद निलंबित, एक दिन में 78 सांसदों पर एक्शन

Parliament Session

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डीएनए हिंदी: संसद के शीतकालीन सत्र लगातार हंगामे की भेंट चढ़ता जा रहा है. संसद की सुरक्षा चूक के मुद्दे पर विपक्षी दल केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से जवाब मांग रहे हैं. इस मुद्दे पर विपक्षी सांसद लगातार हंगामा कर रहे हैं. जिसके चलते लोकसभा के बाद राज्यसभा से 45 विपक्षी सांसदों को निलंबित कर दिया गया. इन सांसदों को सभापति की बात नहीं मानने पर सस्पेंड किया गया. इससे पहले सोमवार को ही लोकसभा में विपक्ष के नेता अधीर रंजन चौधरी समेत 33 विपक्षी सदस्यों को सत्र की शेष अवधि सस्पेंड कर दिया गया. 

कांग्रेस ने विपक्षी सदस्यों के निलंबन को तानाशाही भरा कदम करार देते हुए आरोप लगाया कि बीजेपी सरकार विपक्ष को रौंदने के लिए संसद में बुलडोजर चला रही है. लोकसभा में आसन की अवमानना के आरोप में कांग्रेस के अधीर रंजन चौधरी समेत कुल 33 सदस्यों को सोमवार को सदन से निलंबित कर दिया गया.  इनमें से 30 सदस्यों को मौजूदा शीतकालीन सत्र की शेष अवधि के लिए और तीन सदस्यों को विशेषाधिकार समिति की रिपोर्ट आने तक निलंबित किया गया है. कुछ दिन पहले ही लोकसभा के 13 सदस्यों और राज्यसभा के एक सदस्य का निलंबन हुआ था.

राज्यसभा से 45 सांसद सस्पेंड
राज्ससभा से निलंबित किए गए 45 सांसदों में कांग्रेस के जयराम रमेश, प्रमोद तिवारी, रणदीप सुरजेवाला, अमी याग्निक, नारायण भाई राठवा, शक्ति सिंह गोहिल, रजनी पाटिल, सुखेंदु शेखर, समीरुल इस्लाम, फैयाज अहमद, अजीत कुमार, ननारायन भाई जेठवा, रंजीत रंजन, रजनी पाटिल, एम संगम्म, अमी याग्निक, फूलो देवी नेताम और मौसम नूर हैं. इन 45 सांसदों में से 34 को शीतकालीन सत्र के शेष अवधि के लिए सस्पेंड किया गया है. जबकि 11 विपक्षी सांसदों को प्रिविलेज कमेटी की रिपोर्ट आने तक निलंबित किया गया. 

खड़गे ने साधा निशाना
कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने X पर पोस्ट किया, ‘सबसे पहले कुछ लोगों ने संसद पर हमला किया. फिर मोदी सरकार संसद और लोकतंत्र पर हमला कर रही है. निरंकुश मोदी सरकार द्वारा 47 सांसदों को निलंबित करके सभी लोकतांत्रिक मानदंडों को कूड़ेदान में डाला जा रहा है.’ उन्होंने दावा किया कि विपक्ष विहीन संसद के साथ मोदी सरकार अब बिना किसी चर्चा के महत्वपूर्ण लंबित कानूनों को पारित कर सकती है, विरोध की आवाज कुचल सकती है.’ 

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निलंबन के बाद अधीर रंजन चौधरी ने संसद परिसर में दावा किया कि इस सरकार में तानाशाही चरमसीमा पर पहुंच गई है.हमारी मांग रही है कि हमारे जिन साथी सांसदों को निलंबित किया गया है, उनका निलंबन रद्द हो और गृहमंत्री अमित शाह जी संसद की सुरक्षा में चूक के मुद्दे पर सदन में आकर बयान दें. मैंने यह सलाह भी दी थी कि सदन के उप नेता राजनाथ सिंह विपक्षी नेताओं को बुलाएं और आम सहमति बनाकर सदन चलाने की कोशिश करें.’ चौधरी ने दावा किया कि विपक्ष को भरोसे में लेकर सदन चलाना उचित है. लेकिन आज की सरकार तानाशाही की चरमसीमा पर पहुंच गई है. वे सदन को अपने पार्टी कार्यालय की तरह चलाना चाहते हैं.’ 

उनका कहना था कि हम लोग चर्चा करना चाहते थे। लेकिन सरकार को लगता है कि बहुमत के बाहुबल का डंडा घुमाकर सबको ठंडा कर देंगे. लोकसभा में कांग्रेस के उप नेता और निलंबित सदस्यों में शामिल गौरव गोगोई ने आरोप लगाया कि सरकार विपक्ष को रौंदने के लिए संसद में बुलडोजर चला रही है. उन्होंने कहा कि यह देश के लोगों के मौलिक अधिकारों को रौंदने की प्रक्रिया है. यह साफ-साफ जाहिर करता है कि सरकार की मंशा सदन चलाने की नहीं है, सिर्फ गृह मंत्री की विफलता को छिपाने की है.’ कांग्रेस के संगठन महासचिव केसी वेणुगोपाल ने आरोप लगाया कि संसद अब चर्चा की नहीं, बल्कि निलंबन की जगह बन गई है.

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