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Tehalka Sting: फर्जी स्टिंग के 23 साल पुराने मामले में फंसे Tarun Tejpal, चुकाएंगे 2 करोड़ हर्जाना

Tehelka Sting Case: 22 साल पहले तहलका ने एक स्टिंग ऑपरेशन मामले में दिल्ली हाई कोर्ट ने तरूण तेजपाल और तहलका को 2 करोड़ रुपये हर्जाने के तौर  पर चुकाने का निर्देश दिया है. स्टिंग में सेना के एक बड़े अधिकारी को रिश्वत मांगते दिखाया गया था. 

Tehalka Sting: फर्जी स्टिंग के 23 साल पुराने मामले में फंसे Tarun Tejpal, चुकाएंगे 2 करोड़ हर्जाना

Tarun Tejpal

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डीएनए हिंदी: तहलका के पूर्व संस्थापक संपादक तरुण तेजपाल (Tarun Tejpal) को 22 साल पुराने स्टिंग ऑपरेशन केस में झटका लगा है. दिल्ली हाई कोर्ट ने तेजपाल और तहलका को 2 करोड़ रुपये मानहानि मुआवजे के तौर पर आर्मी अधिकारी को चुकाने का निर्देश दिया है. तहलका के सैन्य अधिकारियों पर किए स्टिंग ऑपरेशन में रिश्वत मांगते दिखाया गया था. कोर्ट ने इसे फर्जी मानते हुए मुआवजा देने का निर्देश दिया है. अपनी टिप्पणी में हाई कोर्ट ने यह भी कहा कि पैसे से व्यक्ति की खोई हुई गरिमा और सम्मान वापस नहीं लौटाई जा सकती है. 22 साल तक न्याय और अपनी प्रतिष्ठा पाने के लिए सैन्य अधिकारी को संघर्ष करना पड़ा. यौन शोषण के आरोपों के बाद तरुण तेजपाल को तहलका में अपना पद छोड़ना पड़ा था.

ऑपरेशन वेस्ट एंड के खिलाफ सैन्य अधिकारी ने किया था केस 
तहलका मैगजीन ने 13 मार्च, 2001 के ऑपरेशन वेस्ट एंड' नाम से स्टिंग ऑपरेशन प्रकाशित किया था. इसमें पत्रकार अंडर कवर एजेंट बनकर सैन्य अधिकारी एमएस अहलूवालिया से मिला था. अहलूवालिया को स्टिंग में डील के बदले 10 लाख रुपये और महंगी विदेशी शराब की मांग करते देखा गया था. इस स्टिंग के सामने आने के बाद पूरे देश में हड़कंप मच गया था. हालांकि सैन्य अधिकारी ने इसे फर्जी करार देते हुए इसके खिलाफ कोर्ट में अपील की थी. 

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केस की सुनवाई करने वाली बेंच की अध्यक्षता कर रही जस्टिस नीना बंसल कृष्णा ने कहा कि एक ईमानदार सैन्य अधिकारी की प्रतिष्ठा को गंभीर नुकसान पहुंचा है. फर्जी स्टिंग ऑपरेशन ने एक ईमानदारी अधिकारी की छवि को धूमिल किया है और 23 साल बाद उस कृत्य के लिए माफी मांगने का कोई औचित्य नहीं है. कोर्ट ने अपने फैसले में अब्राहम लिंकन का जिक्र करते हुए कहा कि माफी और पैसों से खोई हुई प्रतिष्ठा वापस नहीं दिलाई जा सकती है.

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यौन शोषण के आरोपों के बाद खत्म हुआ तरुण तेजपाल का करियर 
तहलका मैगजीन के जरिए खोजी पत्रकारिता की दुनिया में बड़ा नाम बने तरुण तेजपाल पर उनकी ही सहकर्मी ने साल 2013 में यौन शोषण का आरोप लगाया था. इसके बाद उन्हें अपने पद से इस्तीफा देना पड़ा. हालांकि 2021 में गोवा कोर्ट ने इस मामले में तेजपाल को बरी कर दिया है. तहलका से अलग होने के बाद से तेजपाल का पत्रकारिता का करियर खत्म हो गया है और अब वह लगभग गुमनामी की जिंदगी जी रहे हैं. यौन उत्पीड़न के केस में कथित पीड़िता ने हाई कोर्ट में अपील दाखिल की है.

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