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Aditya-L1 का विंड पार्टिकल ISRO ने किया एक्टिवेट, क्यों खास है ये कदम?

ASPEX में दो उपकरण हैं. पहला उपकरण सोलर विंड आयन स्पेक्ट्रोमीटर (SWIS) और दूसरा STEPS है. इसरो ने विंड पार्टिकल को सक्रिय कर दिया है.

Aditya-L1 का विंड पार्टिकल ISRO ने किया एक्टिवेट, क्यों खास है ये कदम?

Aditya L-1

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डीएनए हिंदी: भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) को एक नई कामयाबी मिली है. स्पेस एजेंसी ने शनिवार को कहा है कि भारत के पहले सौर उपग्रह आदित्य-एल1 पर लगे आदित्य सोलर विंड पार्टिकल एक्सपेरिमेंट (ASPEX) पेलोड ने अपना संचालन शुरू कर दिया है. यह सामान्य रूप से काम कर रहा है. इसरो ने कहा है कि ASPEX पेलोड में दूसरा उपकरण सोलर विंड आयन स्पेक्ट्रोमीटर अब शुरू हो चुका है.

इसरो के मुताबिक, ASPEX में दो उपकरण शामिल हैं - सोलर विंड आयन स्पेक्ट्रोमीटर (SWIS) और सुप्राथर्मल और एनर्जेटिक पार्टिकल स्पेक्ट्रोमीटर (STEPS). STEPS उपकरण ने 10 सितंबर को काम करना शुरू कर दिया था, वहीं SWIS उपकरण 2 नवंबर, 2023 को एक्टिवेट हुआ था.

इसरो ने कहा है कि SWIS, 360-डिग्री क्षेत्र के विजन के साथ दो सेंसर यूनिट्स का इस्तेमाल करते हुए, एक दूसरे के लंबवत विमानों में काम करता है. उपकरण ने सौर पवन आयनों, मुख्य रूप से प्रोटॉन और अल्फा कणों को सफलतापूर्वक मापा है. इसरो ने पिछले दो दिनों में SWIS की ओर से कैप्चर किए गए प्रोटॉन (H+) और अल्फा कण (दोगुने आयनित हीलियम, He2) में ऊर्जा भिन्नता को दर्शाने वाला एक ग्राफ को भी शेयर किया है. 

आदित्य L-1 के लिए क्यों है ये खास
अंतरिक्ष एजेंसी ने कहा है कि SWIS की दिशात्मक क्षमताएं सौर पवन अल्फा और प्रोटॉन के सटीक माप की इजाजत देती हैं. यह सौर पवन की विशेषताओं, इसकी अंतर्निहित प्रक्रियाओं और पृथ्वी पर इसके प्रभावों के बारे में लंबे समय से चले आ रहे सवालों का जवाब देने में मददगार होगा.

इस प्रक्रिया से क्या आएंगे नतीजे
इसरो ने कहा है कि प्रोटॉन और अल्फा कण संख्या अनुपात में परिवर्तन, सूर्य-पृथ्वी लैग्रेंज पॉइंट एल 1 पर कोरोनल मास इजेक्शन (CME) की पहुंच के बारे में जानकारी दे सकता है. बढ़ा हुआ अल्फा-टू-प्रोटॉन अनुपात महत्वपूर्ण माना जाता है क्योंकि इसे एल1 पर इंटरप्लेनेटरी कोरोनल मास इजेक्शन (ICME) के सबसे संवेदनशील संकेतकों में से एक माना जाता है. यह अंतरिक्ष मौसम अध्ययन के लिए भी बेहद अहम है.

क्या है आदित्य-एल-1 मिशन का काम
भारत का पहला सौर मिशन, आदित्य-एल1, 2 सितंबर को आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा में सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र (SDSC) से लॉन्च किया गया था. मिशन का लक्ष्य पहले सूर्य-पृथ्वी लैग्रेंजियन बिंदु (L1) के चारों ओर एक प्रभामंडल कक्षा से सूर्य का अध्ययन करना है. यह पृथ्वी से लगभग 1.5 मिलियन किमी दूरी पर स्थित है.
 

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