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अब India Gate पर नहीं जलेगी अमर जवान ज्योति, National War Memorial की लौ में हो जाएगी विलीन

पहले भारतीय सेना ने कहा था कि अमर जवान ज्योति जारी रहेगी, क्योंकि यह देश के इतिहास का एक अविभाज्य हिस्सा है.

अब India Gate पर नहीं जलेगी अमर जवान ज्योति, National War Memorial की लौ में हो जाएगी विलीन

Image Credit- ANI

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डीएनए हिंदी. देश की राजधानी नई दिल्ली के इंडिया गेट पर अनन्त (24 घंटे) जलने वाली अमर जवान ज्योति की लौ राष्ट्रीय युद्ध स्मारक की मशाल के साथ विलीन हो जाएगी. सरल शब्दों में कहें तो इंडिया गेट पर बने अमर जवान ज्योति की हमेशा जलती रहने वाली मशाल अब 50 साल बाद हमेशा के लिए बंद हो जाएगी.

अब यह मशाल राष्ट्रीय युद्ध स्मारक (नेशनल वॉर मेमोरियल) की मशाल के साथ मिला दी जाएगी. यानी अब नेशनल वॉर मेमोरियल में ही ज्वाला जलेगी. अमर जवान ज्योति के रूप में पहचाने जाने वाली शाश्वत ज्वाला 1972 में इंडिया गेट आर्च के नीचे 1971 के भारत-पाक युद्ध में शहीद हुए सैनिकों की याद में बनाई गई थी.

राष्ट्रीय युद्ध स्मारक (National War Memorial) के अस्तित्व में आने के बाद दो साल पहले अमर जवान ज्योति के अस्तित्व पर सवाल उठाया गया था. यह इसलिए, क्योंकि सवाल उठाए जा रहे थे कि अब जब देश के शहीदों के लिए नेशनल वॉर मेमोरियल बन गया है, तो फिर अमर जवान ज्योति पर क्यों अलग से ज्योति जलाई जाती रहे.

हालांकि पहले भारतीय सेना (Indian Army) ने कहा था कि अमर जवान ज्योति जारी रहेगी, क्योंकि यह देश के इतिहास का एक अविभाज्य हिस्सा है. तीनों सेनाओं के प्रमुख और आने वाले प्रतिनिधि अमर जवान ज्योति पर जाकर अपना सिर झुकाते थे और शहीदों का सम्मान करते रहे हैं.

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गणतंत्र दिवस और स्वतंत्रता दिवस जैसे सभी महत्वपूर्ण दिनों में भी, तीनों सेनाओं के प्रमुख अमर जवान ज्योति पर उपस्थिति दर्ज कराते रहे हैं. लेकिन राष्ट्रीय युद्ध स्मारक पर नई शाश्वत लौ और स्मारक पर सभी निर्धारित दिनों में माल्यार्पण समारोह के साथ, बल अब अमर जवान ज्योति को उसी लौ में मिला देगा.

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राष्ट्रीय युद्ध स्मारक उन सभी सैनिकों और गुमनाम नायकों की याद में बनाया गया है, जिन्होंने आजादी के बाद से देश की रक्षा करते हुए अपने प्राणों की आहुति दे दी. यह इंडिया गेट परिसर के पास ही 40 एकड़ में फैला हुआ है. यह 1962 में भारत-चीन युद्ध, भारत-पाक के बीच हुए 1947, 1965, 1971 और 1999 कारगिल युद्धों दौरान अपने प्राणों की आहूति देने वाले सैनिकों को समपर्ति है. इसके साथ ही यह श्रीलंका में भारतीय शांति सेना के संचालन के दौरान और संयुक्त राष्ट्र शांति मिशन के दौरान शहीद हुए सैनिकों को भी समर्पित है. (Input- IANS Hindi)

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