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Hijab Row: याचिकाकर्ता की दलील, 'हिजाब गरिमा का प्रतीक, सरकार बोली- यह इस्लाम का अनिवार्य हिस्सा नहीं

Hijab Row: कर्नाटक हाईकोर्ट द्वारा हिजाब पर प्रतिबंध लगाए जाने के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में कई याचिकाएं दायर की गई थीं. जिन पर सुनवाई चल रही है

Hijab Row: याचिकाकर्ता की दलील, 'हिजाब गरिमा का प्रतीक, सरकार बोली-  यह इस्लाम का अनिवार्य हिस्सा नहीं
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डीएनए हिंदी: कर्नाटक हाईकोर्ट (Karnataka High Court) के शैक्षणिक संस्थानों में हिजाब (Hijab Row) पर प्रतिबंध के फैसले को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई जारी है. जस्टिस हेमंत गुप्ता और जस्टिस सुधांशु धूलिया की बेंच इस मामले में सुनवाई कर रही है. सर्वोच्च अदालत में मंगलवार को सुनवाई के 8वें दिन कर्नाटक सरकार की तरफ से सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता और याचिकाकर्ता के वकील दुष्यंत दवे के बीच जबरदस्त बहस हुई.

दुष्यंत दवे ने दलील दी कि राज्य सरकार का कहना है कि अनुच्छेद 25 और 26 के तहत संरक्षण सिर्फ उनके लिए है जो धर्म का अभिन्न और अनिवार्य हिस्सा है. दवे ने कहा कि अगर ऐसा है तो इस सवाल का फैसला होना चाहिए कि, 'क्या कोई धार्मिक प्रथा, धर्म का अभिन्न अंग है या नहीं. हमेशा इस बात पर प्रश्न उठेंगे कि धर्म का पालन करने वाले इसे मानेंगे या नहीं. याचिकाकर्ता के वकील ने सुप्रीम कोर्ट में दलील दी कि हिजाब पहनने से किसके संवैधानिक अधिकार का हनन हुआ है, अन्य छात्रों का या स्कूल का?

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'जैसे हिंदू महिलाओं के लिए साड़ी, वैसे हिजाब गरिमा का प्रतीक'
दवे ने कहा कि हिजाब मुस्लिम महिलाओं के लिए गरिमा का प्रतीक है. मुस्लिम महिला गरिमापूर्ण दिखती हैं जैसे हिंदू महिला साड़ी के साथ अपना सिर ढकती है तो वह गरिमापूर्ण दिखती हैं. हर इंसान का देखने के नजरिया अलग-अलग होता है. जो लोग सबरीमाला जाते हैं वे काला कपड़े पहनते हैं, यही परंपरा है. प्रत्येक व्यक्ति को धार्मिक स्वतंत्रता के साथ जीने का पूरा अधिकार है. बस सीमा ये होनी चाहिए कि वह किसी की भावनाओं को ठेस ना पहुंचाए.

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तुषार मेहता ने किया ईरान का जिक्र
वहीं, सरकार की तरफ से सॉलिसिटर जनरल (SG) तुषार मेहता ने सर्वोच्च न्यायालय में दलील दी कि हिजाब इस्लाम का हिस्सा नहीं है. कुछ ऐसे इस्लामिक देश हैं जहा हिजाब का विरोध हो रहा है और महिलाएं इसके खिलाफ प्रदर्शन कर रही हैं. कोर्ट ने पूछा, किस देश में हो रहा विराध? इस पर मेहता ने जवाब दिया ईरान में. उन्होंने कहा कि इससे साबित होता है कि हिजाब पहनना इस्लाम में जरूरी नहीं है. इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई को बुधवार तक के लिए टाल दिया.

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क्या है हिजाब विवाद?
हिजाब को लेकर विवाद जनवरी 2022 में तब शुरू हुआ था जब उड्डपी के गवर्नमेंट पीयू कॉलेज ने हिजाब पहनने वाली लड़की को कैंपस में प्रवेश करने से रोक दिया था. कॉलेज ने यूनिफॉर्म कोड का हवाला दिया था. जिसके बाद मुस्लिम छात्राओं ने कॉलेज के गेट पर धरना दिया. इसके बाद विवाद इतना बढ़ा कि उड्डपी के कई कॉलेजों में कुछ हिंदू छात्र भगवा स्कार्फ पहनकर कक्षाओं में आने लगे. छात्रों के बीच आपस में टकराव होने लगा. ये विवाद कर्नाटक के अन्य शहरों में भी फैल गया. ये मामला हाईकोर्ट पहुंचा, कोर्ट ने शैक्षणिक संस्थानों में हिजाब पहनने पर बैन लगा दिया.

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