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प्रभावशाली स्वदेशी वैक्सीनों को 110 देशों द्वारा मान्यता मिलना है भारत की कूटनीतिक जीत

भारतीय वैक्सीनों की क्षमता का माना जा रहा है लोहा, अन्य वैक्सीनों की अपेक्षा अधिक प्रभावशाली हैं दोनों ही स्वदेशी वैक्सीन

प्रभावशाली स्वदेशी वैक्सीनों को 110 देशों द्वारा मान्यता मिलना है भारत की कूटनीतिक जीत
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डीएनए हिंदीः कोरोनावायरस की भारतीय वैक्सीनों को लेकर वैश्विक स्तर पर अनेकों प्रश्न रहते थे किन्तु भारतीय वैज्ञानिकों द्वारा बनाई गई वैक्सीन को मोदी सरकार ने सर्वाधिक वरीयता दी थी.  भारत में 100 करोड़ से ज्यादा लग चुके कोरोना वैक्सीन के डोज में सर्वाधिक संख्या स्वदेशी कोवैक्सीन और कोवीशील्ड की है. वहीं वैक्सीन की क्षमताओं के संबंध में जो दुविधाएं थीं, वे सभी दूर हो चुकी है, क्योंकि दोनों ही वैक्सीन डीएनए संबंधित चिकित्सीय प्लेटफॉर्म के अंतर्गत बनाई गई हैं, इन सभी कारकों का ही नतीजा है कि अब तक विश्व के करीब 110 देशों ने कोवीशील्ड और कोवैक्सीन को मान्यता दे दी है.

दुनिया को वैक्सीन दे रहा है भारत

दुनिया में युद्ध स्तर पर चल रहे कोरोना वैक्सीनेशन को रफ्तार देने में भारत का विशेष योगदान रहा है. भारत न केवल स्वयं अपने नागरिकों का वैक्सीनेशन कर रहा है, बल्कि यहां की कंपनियां युद्ध स्तर पर वैक्सीन का उत्पादन कर दुनिया में भी  इसकी आपूर्ति कर रही हैं. ऐसे में WHO और ब्रिटेन समेत कुछ राष्ट्र भारत की वैक्सीनों को मान्यता देने में ना-नुकुर कर रहे थे, अब उन सभी ने  भारत की वैक्सीन को मान्यता दे दी है.

110 देशों ने दी मान्यता

भारतीय वैक्सीनों की क्षमता एवं सरकार की कूटनीतिक ताकत का असर ये है कि अब तक विश्व के 110 देश कोवैक्सीन एवं कोवीशील्ड को मान्यता दे चुके हैं. वहीं प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी भारत को फार्मेसी क्षेत्र का बाजीगर तक बता चुके हैं. उन्होंने कहा था कि भारत द्वारा अब तक विश्व के कई देशों को 6.5 करोड़ वैक्सीन की डोज आपूर्ति की जा चुकी है, जिसकी संख्या अब तेज रफ्तार से बढ़ने की भी संभावना है.

भारत का वैक्सीन कूटनीति 

इसे भारत की कूटनीतिक जीत का पर्याय कहा जा सकता है, क्योंकि भारत ने उन देशों के साथ 'जैसे को तैसा' वाली नीति चली थी, जो कि भारतीय वैक्सीनों एवं उनके सर्टिफिकेशन को मान्यता नहीं दे रहे थे. ऐसें में भारत ने भी उन देशों से आने वाले लोगों के वैक्सीनेशन को अमान्य करते हुए उन्हें क्वारंटीन तक करने का प्रावधान किया था. इस प्रकरण का श्रेष्ठ उदाहरण ब्रिेटेन है, जिसके चलते ब्रिटेन ने भारत की वैक्सीन को जल्द ही मान्यता दे दी. वहीं वैक्सीन की क्षमताओं को लेकर उठ रहे प्रश्नों के विपरीत अब रिपोर्ट्स ये भी स्पष्ट कर रही हैं कि दुनिया की अन्य सभी वैक्सीनों की तुलना में भारतीय वैक्सीन अधिक प्रभावशाली हैं, अर्थात भारत के लोग कोरोनावायरस से अधिक सुरक्षित हैं.

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