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Odisha Train Accident: बालासोर में जिस रूट पर हुआ रेल हादसा, वहां रेलवे ने 'कवच' के बजट का एक रुपया भी नहीं किया खर्च

Balasore Train Accident ने रेलवे के कवच सिस्टम पर सवाल खड़े कर दिए हैं लेकिन वित्तीय आंकड़ों से पता चलता ही दक्षिण पूर्व रेलवे ने कवच के लिए एक रुपया भी खर्च नहीं किया है.

Odisha Train Accident: बालासोर में जिस रूट पर हुआ रेल हादसा, वहां रेलवे ने 'कवच' के बजट का एक रुपया भी नहीं किया खर्च

Odisha Train Accident

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डीएनए हिंदी: ओडिशा के बालासोर में तीन ट्रेनों के टकराने से हुए भयावह रेल हादसे (Odisha Train Accident) में 288 लोगों की मौत हुई और हजार के करीब लोग घायल हुए. इस रेल हादसे ने सभी झंकझोर दिया है. इस दौरान भारतीय रेलवे (Indian Railways) के काम करने के तरीके पर सवाल खड़े हो रहे हैं क्योंकि इसे भारतीय रेलवे के इतिहास का तीसरा सबसे बड़ा रेल हादसा माना जा रहा था. इस मामले में रेलवे के 'कवच' सिस्टम पर भी सवाल खड़े हो रहे हैं. इस बीच एक रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि कवच के लिए जो बजट आवंटित किया गया था, उसका एक रुपया भी दक्षिण पूर्व रेलवे जोन ने खर्च नहीं किया है. 

दरअसल, बालासोर रेल हादसे को लेकर आई इंडिया टुडे की एक रिपोर्ट में सामने आया है कि दक्षिण पूर्व रेलवे के लिए 468.90 करोड़ रुपये का बजट पास किया गया था. इसमें कम आवाजाही वाले रेलवे नेटवर्क पर स्वदेशी ट्रेन टक्कर बचाव प्रणाली के इस्तेमाल पर पैसा खर्च करने का प्रावधान था लेकिन मार्च 2022 इसमें एक रुपया भी खर्च नहीं हुआ है. 

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नहीं खर्च किया बजट का कोई पैसा

इसके अलावा हेडर सिगनलिंग एवं टेलीकम्युनिकेशन की बात करें तो इस पर दक्षिण पूर्व रेलवे के लिए 162.29 करोड़ का बजट पास किया गया था. यह पैसा सबसे ज्यादा अवाजाही वाले रेलवे रूट्स पर ऑटोमैटिक ब्लॉक सिगनलिंग, केंद्रीकृत यातायात नियंत्रण और ट्रेन टक्कर बचाव प्रणाली के लिए खर्च होना था लेकिन आज तक कोई पैसा खर्चा नहीं किया गया है. 

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कवच का सिस्टम लगाने में जाएगा काफी समय

रिपोर्ट के मुताबिक रेल मंत्रालय के सूत्रों द्वारा कहा गया है कि यह बजट इसलिए खर्च नहीं हुआ क्योंकि अभी तक सुरक्षा कामों को लेकर टेंडर नहीं निकाला गया था. ये रिपोर्ट बताता है कि भारत में सबसे अधिक आवाजाही वाले रेल नेटवर्क में एंटी ट्रेन टक्कर प्रणाली (कवच) को लागू करने की प्रक्रिया में ज्यादा समय लगने की संभावना हैं.

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क्या है रेलवे का प्लान

जानकारी के मुताबिक रेलवे बोर्ड का सबसे अधिक फोकस कवच पर ही है. बोर्ड द्वारा बताया गया कि सबसे अधिक आवाजाही वाले रेलवे रूट्स में सबसे पहले यह कवच नई दिल्ली-मुंबई तथा नई दिल्ली-हावड़ा रूट पर लगाए जाने की प्राथमिकता है. इसकी वजह यह है कि यहां ट्रेनें एक-दूसरे के करीब चलती हैं. दक्षिण पूर्व रेलवे ज़ोन जैसे अत्यधिक उपयोग किए जाने वाले नेटवर्क दूसरी प्रायॉरिटी पर हैं और तीसरी प्रायॉरिटी वो रूट्स हैं जहां यात्रियों की संख्या बहुत ज्यादा रहती हैं.

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