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मोदी सरकार की कूटनीति लाई रंग, गलवान घाटी समेत 4 जगह से पीछे हटी चीनी सेना, खुद कबूला सच

India China Relations: भारतीय विदेश मंत्री के भारत-चीन विवाद 75 फीसदी सुलझने का दावा करने के बाद चीनी सरकार का यह कबूलनामा सामने आया है, जिसे उसने क्षेत्रीय शांति और विकास की राह बताया है.

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India China Relations: लोकसभा में नेता विपक्ष राहुल गांधी भले ही अमेरिका में जाकर चीन पर भारतीय जमीन कब्जाने और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार के चुप रहने का दावा कर रहे हैं, लेकिन चीन की सरकार कुछ और ही कह रही है. चीन ने कहा है कि पूर्वी लद्दाख में उसने अपनी सेना को चार जगह पीछे हटा लिया है. इसमे गलवान घाटी भी शामिल है, जहां सेनाओं के बीच साल 2020 में हुए टकराव में दोनों तरफ के सैनिकों की शहादत के बाद भारत-चीन के बीच मौजूदा गतिरोध शुरू हुआ था. चीन के विदेश मंत्रालय ने प्रेस विज्ञप्ति जारी कर यह जानकारी दी है, जो विदेश मंत्री एस. जयशंकर के दोनों देशों के बीच विवाद 75 फीसदी हल हो जाने का दावा करने के एक दिन बाद आया है. गुरुवार को एस. जयशंकर ने जेनेवा में यह दावा किया था. इसी दौरान सेंट पीटर्सबर्ग में ब्रिक्स समिट से इतर राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल की भी चीनी विदेश मंत्री वांग यी से मुलाकात हुई थी.

क्या कहा है चीन ने

चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता माओ निंग ने शुक्रवार को प्रेस वार्ता में सीमा विवाद पर जानकारी दी. निंग ने कहा कि सीमा पर स्थिर हालत के बीच दोनों देशों की सेनाओं ने चार जगह पर फ्रंट मोर्चे से वापसी की है. इनमें गलवान घाटी भी शामिल है. भारत-चीन सीमा पर हालात स्थिर और कंट्रोल में हैं.

एस जयशंकर ने किया था ये दावा

विदेश मंत्री एस. जयशंकर इस समय जेनेवा पहुंचे हुए हैं. वहां उन्होंने एक सवाल के जवाब में भारत-चीन के बीच सीमा विवाद पर जानकारी दी थी. उन्होंने दावा किया था कि चीन के साथ सीमा पर सैनिकों की वापसी से जुड़ी समस्याएं 75 फीसदी हल हो चुकी है, लेकिन सीमा पर बढ़ता सैन्यकरण अब भी बड़ा मुद्दा है.

डोभाल-वांग की मीटिंग में दोनों देशों के हित में बताए स्थिर संबंध

रूस के सेंट पीटर्सबर्ग में ब्रिक्स देशों के सुरक्षा मामलों के जिम्मेदार हाई लेवल अधिकारियों का शिखर सम्मेलन आयोजित हुआ है. गुरुवार को इस सम्मेलन से इतर भारतीय NSA अजीत डोभाल और चीन के विदेश मंत्री वांग यी ने द्विपक्षीय बातचीत भी की थी. चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता निंग ने इस मुलाकात की भी जानकारी दी है. उन्होंने कहा कि बैठक में चीन और भारत ने अपने राष्ट्र प्रमुखों के बीच सहमति को लागू करने, आपसी समझ व विश्वास बढ़ाने. निरंतर संवाद को बढ़ाने और द्विपक्षीय संबंध मजबूत करने का माहौल बनाने पर हामी भरी है. दोनों देशों के संबंधों की स्थिरता उनके लोगों के लॉन्ग टर्म हित में है और क्षेत्रीय शांति व विकास के लिए जरूरी है. 

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