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गर्भपात के लिए रेप पीड़िता ने लगाई SC से गुहार, बेंच ने हाई कोर्ट के फैसले पर जताई हैरानी, जानिए वजह

सुप्रीम कोर्ट ने केस की सुनवाई के दौरान कहा कि ऐसे मामलों में अर्जेंसी की भावना होनी चाहिए. इसे सामान्य मामला मानकर नहीं ट्रीट करना चाहिए.

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गर्भपात के लिए रेप पीड़िता ने लगाई SC से गुहार, बेंच ने हाई कोर्ट के फैसले पर जताई हैरानी, जानिए वजह

सुप्रीम कोर्ट.

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डीएनए हिंदी: सुप्रीम कोर्ट में शनिवार को एक रेप पीड़िता की 28 वीक की प्रेग्नेंसी पर एक अहम सुनवाई हुई. याचिकाकर्ता ने अपील की है कि उसे गर्भपात की इजाजत दी जाए. याचिका पर तत्काल के सुनवाई के लिए शनिवार को एक स्पेशल बेंच बैठी थी. महिला ने 28 वीक की प्रेग्नेंसी को टर्मिनेट करने के लिए पहले गुजरात हाई कोर्ट में याचिका दायर की थी लेकिन वहां से राहत नहीं मिली. महिला ने फिर सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की. यह याचिका एडवोकेट ऑन रिकॉर्ड विशाल अरुण मिश्र की ओर से दायर की गई है.

सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस BV नागरत्ना और जस्टिस उज्ज्वल भुइयां की बेंच ने शनवार सुबह 10.30 बजे स्पेशल सिटिंग की. याचिकाकर्ता के वकील शशांक सिंह ने कहा कि मेडिकल बोर्ड ने टर्मिनेशन ऑफ प्रेग्नेंसी की सलाह दी है हालांकि गुजरात हाई कोर्ट ने गर्भपात की इस याचिका पर विचार नहीं किया.

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सुनवाई के दौरान पीड़ित पक्ष ने क्या कहा?
याचिकाकर्ता के वकील ने बेंच से कहा कि 7 अगस्त को हाई कोर्ट में रिट याचिका दायर की गई थी. कोर्ट ने 8 अगस्त को इस केस पर सुनवाई की.इसी दिन प्रेग्नेंसी की स्थिति का पता लगाने के लिए एक मेडिकल बोर्ड गठित करने का निर्देश पारित किया गया था. 10 अगस्त को बोर्ड की रिपोर्ट सौंपी गई. 11 अगस्त को कोर्ट ने रिपोर्ट को रिकॉर्ड पर लिया. इसे 23 अगस्त के लिए लिस्ट किया गया था लेकिन 17 अगस्त को ही सुनवाई के लिए हाई कोर्ट तैयार हो गया था. कोर्ट ने सुनवाई के दौरान इसे खारिज कर दिया.

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सुप्रीम कोर्ट ने जताई हैरानी
सुप्रीम कोर्ट ने हाई कोर्ट के इस फैसले पर हैरानी जताई है कि कैसे अदालत ने 12 दिन बाद इसे लिस्ट किया. हाई जस्टिस नागरत्ना ने कहा, 'अदालत इसे 23 अगस्त तक कैसे रोक सकती है? तब तक कितने दिन बर्बाद हो चुके होंगे?'

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अजीब है हाई कोर्ट का रुख
सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने अपने फैसले में अंसतोष जाहिर किया. सुप्रीम कोर्ट ने कहा, 'अजीब बात है कि हाई कोर्ट ने मामले को 12 दिन बाद 23.08.2023 को सुनवाई की तारीख दी. कोर्ट ने इस तथ्य को नजरअंदाज किया कि परिस्थितियों के मद्देनजर हर दिन कितना अहम था. जब याचिकार्ता ने कोर्ट से गुहार लगाई तब वह पहले से ही 26 वीक की गर्भवती थी. 11.08.2023 से अब तक का अहम वक्त खत्म हो गया है, जब रिपोर्ट हाई कोर्ट के सामने पेश की गई थी.

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