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किसकी होगी शिवसेना उद्धव ठाकरे या एकनाथ शिंदे? सुप्रीम कोर्ट आज करेगा फैसला

महाराष्ट्र में शिवसेना पार्टी की दावेदारी पर सुप्रीम कोर्ट आज फैसला करेगी. पीठ दोनों पक्षों उद्धव ठाकरे और एकनाथ शिंदे को सुनने के बाद इस मामले में निर्णय देगी की पार्टी किसकी होगी.

किसकी होगी शिवसेना उद्धव ठाकरे या एकनाथ शिंदे? सुप्रीम कोर्ट आज करेगा फैसला

एकनाथ शिंदे और उद्धव ठाकरे

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डीएनए हिंदी: महाराष्ट्र में नई सरकार के गठन के बाद अब शिवसेना (Shiv Sena) पर दावेदारी को लेकर जोर-अजमाइश हो रही है. उद्धव ठाकरे (Uddhav Thackeray) और एकनाथ शिंदे (Eknath Shinde) दोनों ही शिवसेना पर अपने-अपने दावे ठोक रहे हैं. दोनों खेमें की लड़ाई पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई चल रही है. बुधवार को इस मामले में सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने एकनाथ शिंदे के वकील हरीश साल्वे से कई सवाल-जवाब किए. इसके बाद CJI एनवी रमना ने कहा कि हम इस मामले में गुरुवार को 10.30 बजे सुनवाई करेंगे.

CJI एनवी रमना ने बुधवार को सुनवाई करते हुए कहा, 'हमने 10 दिन के लिए सुनवाई टाली थी. आपने सरकार बना ली, स्पीकर बदल दिया. इस पर साल्वे ने कहा कि उद्धव ठाकरे ने खुद ही सीएम पद से इस्तीफा दिया था. एक व्यक्ति या नेता पूरी पार्टी नहीं हो सकता है.' इसके बाद उद्धव ठाकरे गुट ने सुप्रीम में कहा कि महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे गुट के विधायक संविधान की 10वीं अनुसूची के तहत केवल किसी दल में विलय करने के बाद ही अयोग्यता से बच सकते हैं. CJI एनवी रमना, जस्टिस कृष्ण मुरारी और जस्टिस हिमा कोहली की पीठ ने शिवसेना के उद्धव ठाकरे गुट द्वारा दायर याचिकाओं पर बागी विधायकों की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता हरीश साल्वे से कहा कि वह पार्टी के विभाजन, विलय, बगावत और अयोग्यता को लेकर उठाए गए संवैधानिक सवालों पर पुन: जवाब तैयार करें.

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उद्धव की ओर से पेश हुए वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने पीठ से कहा कि 10वीं अनुसूची के तहत अयोग्यता से बचने के लिए कोई संवैधानिक सुरक्षा नहीं है. उन्होंने कहा कि या तो आप विलय करें या नई पार्टी बनाएं. सिब्बल के इस तर्क का जवाब देते हुए साल्वे ने कहा कि दल-बदल कानून उन नेताओं के लिए हथियार नहीं है जो पार्टी के सदस्यों को एकजुट रखने के लिए उनका विश्वास प्राप्त करने में सफल नहीं हुए हैं. साल्वे ने कहा कि यह मामला विधायकों द्वारा स्वेच्छा से अपनी पार्टी की सदस्यता छोड़े जाने का नहीं है. उन्होंने कहा, ‘दलबदल कानून का मूल अधिकार क्षेत्र तब शुरू होता है जब आप पार्टी छोड़ते हैं. किसी को कोई अयोग्यता नहीं मिली है.

'चुनाव आयोग के सामने शिंदे गुट ने कबूल किया वो अलग हैं'
सिब्बल ने कहा, ‘दो तिहाई एक ओर चले जाएं और बाकी एक तिहाई पूर्व की स्थिति में ही रहें. ऐसे में दो तिहाई यह नहीं कह सकते कि वे ही असली राजनीतिक पार्टी हैं. शिंदे गुट ने निर्वाचन आयोग के समक्ष स्वीकार किया था कि वे अलग हुए हैं.’ उन्होंने कहा, ‘एक बार निर्वाचित होने का मतलब यह नहीं है कि पार्टी के साथ आपका हित सध गया है और आपका राजनीतिक पार्टी से कोई लेना-देना नहीं है.’ सिब्बल का समर्थन करते हुए सिंघवी ने कहा कि इसी के साथ दल-बदल कानून लागू हो जाता है. सिंघवी ने कहा, ‘दल-बदल का संवैधानिक पाप इतना गंभीर है कि उन्हें (बागी विधायक) सरकार के तौर पर मान्यता नहीं दी जानी चाहिए. उनके कृत्य से स्वयं बहुमत बदल जाता है, जिसको रोकने के उद्देश्य से 10वीं अनुसूची बनी.’ 

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'भारत में हम राजनीतिक दलों को लेकर भ्रमित'
साल्वे ने इसका विरोध करते हुए कहा, ‘भारत में हम राजनीतिक दलों और उनके नेताओं को लेकर भ्रमित हैं. मैं शिवसेना से हूं और मेरे मुख्यमंत्री ने मुझसे मिलने से इनकार कर दिया. मैं तथ्य नहीं दे रहा सैद्धांतिक बात कर रहा हूं. मैं मुख्यमंत्री को बदलना चाहता हूं। यह पार्टी विरोधी नहीं, बल्कि पार्टी के भीतर का मामला है.’ दोनों पक्षों को सुनने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि वह इस मामले की सुनवाई गुरुवार को करेगी और निर्णय देने के मुद्दे को तय करेगी. पीठ ने साल्वे से कानूनी सवालों का पुन: जवाब तैयार करने को कहा है. आज सबसे पहले इस मामले पर सुनवाई होगी.

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विधायकों का अयोग्यता पर होगा फैसला
सुप्रीम कोर्ट में आज इस बात पर फैसला आने की उम्मीद है कि क्या विधायकों की अयोग्यता का मामला निर्णय लेने के लिए विधानसभा स्पीकर को सौंपा जाएगा या सुनवाई तीन सदस्य संविधान पीठ करेगी. चुनाव आयोग ने उद्धव ठाकरे और सीएम एकनाथ शिंदे को इस मुद्दे पर कागजी सबूत पेश करने के लिए 8 अगस्त तक का समय दिया था कि असली शिवसेना किसकी है. इसलिए आयोग के समक्ष कार्रवाई पर रोक लगाने के लिए उद्धव ठाकरे की मांग पर कोर्ट अतंरिम आदेश पारित कर सकती है.

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