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Gyanvapi Case: ज्ञानवापी मस्जिद में मिले 'शिवलिंग' की नहीं होगी Carbon Dating, कोर्ट ने खारिज की याचिका

Gyanvapi Case: हिंदू पक्ष की ओर से ज्ञानवापी परिसर में सर्वे के दौरान मिले शिवलिंग की कार्बन डेटिंग कराने की मांग की गई थी. 

Gyanvapi Case: ज्ञानवापी मस्जिद में मिले 'शिवलिंग' की नहीं होगी Carbon Dating, कोर्ट ने खारिज की याचिका
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डीएनए हिंदीः वाराणसी जिला कोर्ट ने ज्ञानवापी मामले (Gyanvapi Case) में बड़ा फैसला दिया है. कोर्ट ने हिंदू पक्ष की सर्वे के दौरान मिले कथित शिवलिंग की कार्बन डेटिंग (Carbon Dating) और वैज्ञानिक परीक्षण कराने के मांग खारिज कर दी है. कोर्ट के इस फैसले को हिंदू पक्ष के लिए बड़ा झटका माना जा रहा है. 

हिंदू पक्ष ने की थी ये मांग
हिंदू पक्ष की ओर से कोर्ट में दाखिल की गई याचिका में ज्ञानवापी परिसर में सर्वे के दौरान मिले शिवलिंग की कार्बन डेटिंग कराने की मांग की गई है. कोर्ट में हिंदू पक्ष की ओर से वादी मंजू व्यास, लक्ष्मी देवी, रेखा पाठक, सीता साहू (वादी संख्या दो से पांच) के वकील हरिशंकर जैन व विष्णु शंकर जैन ने अदालत से कार्बन डेटिंग की मांग की थी. 

ये भी पढ़ेंः क्या होती है कार्बन डेटिंग? ज्ञानवापी मामले में क्यों हो रही है इसके इस्तेमाल की मांग 

Carbon Dating

मई में हुआ था मस्जिद का सर्वे 
बता दें कि कोर्ट के आदेश के बाद इसी साल मई में ज्ञानवापी मस्जिद का सर्वे हुआ था. इस पर हिंदू पक्ष ने दावा किया था कि मस्जिद के वजूखाने के बीच में एक कथित शिवलिंग मिला है. वहीं मुस्लिम पक्ष उसे फब्वारा बता रहा है. हिंदू पक्ष की ओर से इसी शिवलिंग की कार्बन डेटिंग कराए जाने की मांग की गई है. 

कार्बन डेटिंग को लेकर बंटा था हिंदू पक्ष 
बता दें कि शिवलिंग की कार्बन डेटिंग कराने की मांग को लेकर हिंदू पक्ष पहले से ही बंटा हुआ था. इस मामले में वादी संख्या एक राखी सिंह ने कार्बन डेटिंग का कड़ा विरोध किया है. वहीं अन्य चार याचिकाकर्ता इसकी कार्बन डेटिंग कराने की मांग कर रहे थे. राखी सिंह के पैरोकार विश्व वैदिक सनातन संघ प्रमुख जितेंद्र सिंह 'विसेन' ने कार्बन डेटिंग से हिंदुओं के भावनाओं को आहत करने का बड़ा आरोप लगाया है. उन्होंने कहा था कि अगर शिवलिंग की कार्बन डेटिंग की गई तो उससे इसे नुकसान होगा और हिंदू धर्म में किसी भी खंडित शिवलिंग की पूजा नहीं की जा सकती है. हालांकि याचिकाकर्ता विष्णु शंकर जैन का इन आरोपों पर कहना था कि उन्होंने कोर्ट से शिवलिंग के आयु के निर्धारण के लिए ऐसी वैज्ञानिक तकनीक को अपनाने की मांग की थी जिससे शिवलिंग को कोई नुकसान ना पहुंचे.  

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