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बिहार: JDU-RJD में तनाव! CPIML ने क्यों की ऐसी मांग?

CPIML ने मांग की है कि महागठबंधन सरकार के सही ढंग से काम करने के लिए एक समन्वय समति की ज़रूरत है.

बिहार: JDU-RJD में तनाव! CPIML ने क्यों की ऐसी मांग?

नीतीश कुमार और तेजस्वी यादव. (फोटो-PTI)

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डीएनए हिंदी: बिहार में नीतीश कुमार के नए सियासी गठजोड़ के अभी दो महीने ठीक पूरे नहीं हुए हैं कि दरार की खबरें सामने आने लगीं. ऐसा दावा किया जा रहा है कि जनता दल यूनाइटेड (JDU) और राष्ट्रीय जनता दल (RJD) के बीच सब ठीक नही हैं. दोनों राजनीतिक पार्टियों में तकरार होने की आशंका है. अनबन की खबरों के बीच भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी(CPIML)  ने मांग की है कि महागठबंधन सरकार के बीच एक समन्यव समिति बनाई जाए, जिससे काम सही तरीके चल सके.

भाकपा (माले) विधायक दल के नेता महबूब आलम ने कहा है कि उन्होंने राष्ट्रीय जनता दल नेता सुधाकर सिंह के मंत्री पद से इस्तीफे के तुरंत बाद उपमुख्यमंत्री तेजस्वी प्रसाद यादव से मुलाकात की और उनसे तत्काल एक समन्वय समिति गठन किए जाने की अपील की.

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महबूब आलम ने कहा, 'उपमुख्यमंत्री ने मुझे भाकपा नेताओं के नाम देने के लिए कहा जो जल्द से जल्द समिति का हिस्सा होंगे. उन्होंने मुझे आश्वासन दिया कि जल्द ही समिति का गठन किया जाएगा. गठबंधन में शामिल अन्य सहयोगी दलों के नेताओं को भी समिति के लिए अपने प्रतिनिधियों के नाम देने के लिए कहा जाएगा. समिति में प्रत्येक पार्टी के कम से कम दो सदस्य होंगे.'

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कितने दलों से मिलकर बना है महागठबंधन?

महागठबंधन में सात दल शामिल हैं. जनता दल (यू), राजद, कांग्रेस, भाकपा (माले), भाकपा, माकपा और हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा शामिल हैं. 243 सदस्यीय बिहार विधानसभा में गठबंधन के 160 से अधिक विधायक हैं. भाकपा (माले) के पास 12 विधायक हैं. 


कैसे सामने आई गठबंधन में तकरार की बात?

दरअसल अनबन की खबर तब सामने आई जब सुधाकर सिंह ने नीतीश कैबिनेट से इस्तीफा दे दिया. उनके पास कृषि विभाग था और उन्होंने अपने विभाग में भ्रष्टाचार और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के कृषि रोडमैप पर सवाल उठाते हुए रविवार को मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था. 

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महबूब आलम ने कहा, 'सुधाकर सिंह सरकार का हिस्सा थे, इसलिए उन्हें इसके कामकाज पर सवाल नहीं उठाना चाहिए था. इस तरह के कदमों का बुरा प्रभाव पड़ता है. इसलिए बिहार में महागठबंधन सरकार के गठन के तुरंत बाद हमने एक समन्वय समिति के गठन और साझा न्यूनतम कार्यक्रम की मांग की थी.'

समन्यव समिति है वक्त की मांग

भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (भाकपा) के वरिष्ठ नेता अतुल कुमार अंजान ने कहा कि उनकी पार्टी शुरू से ही समन्वय समिति के गठन के पक्ष में रही है. उन्होंने कहा कि हमारे नेता राम नरेश पांडेय, केदार पांडेय और बिहार विधान परिषद सदस्य संजय सिंह ने सरकार बनने के बाद मुख्यमंत्री से मुलाकात की थी और यह प्रस्ताव रखा था.

समाचार एजेंसी PTI से बातचीत में अतुल कुमार अंजान ने कहा, 'हाल के घटनाक्रम की मांग है कि हमारे पास एक समन्वय समिति होनी चाहिए. मुख्यमंत्री इस विचार के खिलाफ नहीं थे. अब इसकी बहुत आवश्यकता है क्योंकि दो विधानसभा क्षेत्रों मोकामा और गोपालगंज में उपचुनाव होने हैं.'

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