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Board Exam का नकली डर पैदा न करें अपने बच्चों में, जानें उनके सपने क्या हैं

Board Exams Fake Fear: पढ़े-लिखे अधिकतर पैरेंट्स अपने बच्चों की 'काउंसिलिंग' करना चाहते हैं, उन्हें अपने तरीके से 'गाइड' करना चाहते हैं, ताकि उनके बच्चे का 'करियर' शानदार हो. इस करियर बनाने के चक्कर में पैरंट्स अपने बच्चे का 'ब्रेन वॉश' कर उसके सामने नंबरों का टारगेट सेट करते हैं.

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Board Exam का नकली डर पैदा न करें अपने बच्चों में, जानें उनके सपने क्या हैं

बच्चों पर न डालें अपनी उम्मीदों का बोझ.

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डीएनए हिंदी : बोर्ड परीक्षाएं क्या इतनी मुश्किल होती हैं कि उनका तनाव विद्यार्थी के साथ उसके माता-पिता पर भी होता है? इस सवाल का जवाब है 'ना'. तो अगला सवाल है कि फिर यह तनाव आता कहां से है जिसके दबाव में विद्यार्थी भी दिखते हैं और उसके माता-पिता भी.
दरअसल, यह तनाव माता-पिता का पैदा किया हुआ है, जिसके दबाव में स्टूडेंट भी होता है. माता-पिता की सबसे बड़ी चिंता अपने बच्चे के करियर को लेकर होती है. हर पैरेंट के अपने एकेडमिक सपने होते हैं, जिन्हें वह अपने बच्चों से पूरा होते देखना चाहते हैं. पढ़े-लिखे अधिकतर पैरेंट्स अपने बच्चों की 'काउंसिलिंग' करना चाहते हैं, उन्हें अपने तरीके से 'गाइड' करना चाहते हैं, ताकि उनके बच्चे का 'करियर' शानदार हो. इस करियर बनाने के चक्कर में पैरंट्स अपने बच्चे का 'ब्रेन वॉश' कर उसके सामने नंबरों का टारगेट सेट करते हैं.

नंबरों का दबाव बनाना गलत

लेकिन इस चक्कर में वह अपने बच्चे के सपने के बारे में नहीं सोच पाते. वह सोच ही नहीं पाते कि उनके बच्चे के सपने क्या हैं, उसकी क्षमता क्या है, उसकी क्वॉलिटी क्या है? इन बातों से अनजान पैरेंट्स बस अपनी संतान को बस यही कहते हैं 'अगर मार्क्स अच्छे नहीं आए, तो किसी अच्छी जगह पर दाखिला नहीं होगा. किसी साधारण इंस्टिट्यूट में पढ़कर जीवन में कुछ नहीं कर पाओगे, करियर तबाह हो जाएगा.' अधिकतर गार्जियन अपने बच्चे को डॉक्टर, इंजीनियर, आईएएस, आईपीएस... बनते देखना चाहते हैं. कुछ गार्जियन खुद ऐसे पदों पर होते हैं, उनके सामने अपने स्टेटस को बरकरार रखने का दबाव होता है. और यही दबाव वे अपने बच्चों पर बनाते जाते हैं. जो गार्जियन सामान्य सी नौकरी में होते हैं, वे अपने अधूरे सपने अपने बच्चों से पूरी करवाना चाहते हैं. और इसी चक्कर में वे अपनी संतानों पर प्रेशर बनाते हैं. 

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नंबरों के दबाव से तनाव

हर संतान की नजर में उसका सबसे बड़ा हितैषी उसके माता-पिता होते हैं. तो माता-पिता की उम्मीदों का प्रेशर, उनके सपनों का प्रेशर लेकर यह संतान तनाव में रहने लगती है. अपनी संतान के चेहरे पर तनाव देखकर गार्जियन सोचते हैं कि यह तनाव परीक्षा का है. ऐसी स्थिति में गार्जियन फिर से अपनी संतान को समझाने की कोशिश करते हैं. लेकिन दुखद यह है कि वो बाल मनोविज्ञान को नजरअंदाज कर करियर और कामयाबी का जो मंत्र सिखाते हैं, दरअसल यही मंत्र, बढ़िया नंबर लाने का यही दबाव बच्चों में तनाव पैदा करता है, और बच्चों के तनाव को देखकर गार्जियन भी तनाव में रहते हैं.

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गाइड करने का तरीका

ऐसे स्थिति न आए इसके लिए मनोचिकित्सक कहते हैं कि गार्जियन को अपनी संतान की क्वॉलिटी समझने की जरूरत है. उन्हें समझने की जरूरत है कि मछलियों को पानी से निकाल कर पेड़ पर चढ़ने की ट्रेनिंग नहीं दी जा सकती. उड़ती चिड़ियों को पानी में तैरना नहीं सिखाया जा सकता. यानी बच्चों की जो प्राकृतिक मेधा है, जो उसका नेचर है, उसे उसी के मुताबिक आगे बढ़ने को प्रेरित करें. अपनी इच्छाएं न लादें. संतान का करियर अपनी इच्छा से तय न करें. बेहतर होगा कि अपनी संतास से उसके सपने पूछें. उसकी क्वॉलिटी परखें और फिर उसकी क्वॉलिटी के मुताबिक उसे गाइड करें. 

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