डीएनए हिंदी: Sawan Kanwar Yatra 2022- श्रावण मास में कांवड़ यात्रा का विशेष महत्व है. पूरे महीने शिव भक्त कांवड़ में पवित्र जल भरके प्रसिद्ध शिव मंदिरों में लंबी पैदल यात्रा कर महादेव को जल अर्पित करते हैं. श्रावण का पवित्र महीना भगवान शिव को समर्पित है इसलिए इस मास में महादेव की विशेष पूजा करने से भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूर्ण हो जाती हैं. सावन (Kanwar Yatra 2022) के महीने में देशभर के विभिन्न क्षेत्रों से लाखों की संख्या में कांवड़िए अपनी मनोकामनाओं के साथ लंबी और कठिन पदयात्रा पर निकलते हैं जिसे कांवड़ यात्रा के नाम से जाना जाता है. इस पवित्र यात्रा के कुछ विशेष नियम निर्धारित किए गए हैं जिनका पालन यात्रा के दौरान करने से ही यह यात्रा सफल हो पाती है. साथ ही ऐसा करने से भगवान भोलेनाथ का आशीर्वाद प्राप्त होता है. आइए जानते हैं कांवड़ यात्रा के दौरान किन नियमों का करना चाहिए पालन.
शिव भक्तों को कांवड़ यात्रा के दौरान इस बात का विशेष ध्यान रखना चाहिए कि उनका भगवान शिव के ही आस्था में लिप्त हो. साथ उनका मन पूरे यात्रा के दौरान शांत रहना चाहिए. उन्हें यात्रा के दौरान किसी से किसी भी प्रकार के विवाद या झड़प करने से बचना चाहिए. ऐसा करने से ही यात्रा सफल मानी जाती है.
इसके साथ यात्रा के दौरान भक्तों को मन में बुरी भावनाओं को आने से रोकना चाहिए. यही भावनाएं आस्था में अड़चन पैदा कर सकती हैं जिससे कांवड़ यात्रा में भी विघ्न पैदा हो सकता है. इसलिए भक्तों को अपना पूरा ध्यान शिवभक्ती पर ही केंद्रित रखना चाहिए.
पवित्र कांवड़ यात्रा (Shravan Kanwar Yatra 2022) के दौरान भक्तों को भोजन और जल कम से कम ग्रहण करना चाहिए. साथ ही यात्रा के दौरान नाखून और बाल बिल्कुल नहीं काटना चाहिए. ऐसा अगर होता है तो यात्रा सम्पन्न नहीं हो पाएगी.
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कांवड़ यात्रा के दौरान व्यक्ति को बेकार की बातों से बचना चाहिए. यह यात्रा भगवान शिव को समर्पित है इसलिए पूरे यात्रा के दौरान शिव कथा, मंत्र और भजनों को गाया जाना चाहिए. ऐसा करने से किसी भी प्रकार की बुरी भावनाएं नजदीक नहीं आ पाएंगी. साथ ही यात्रा सफल हो जाएगी.
इसके साथ यात्रा में शुद्धता का विशेष ध्यान रखें. आप यदि लघुशंका इत्यादि के लिए जाते हैं तो उसके तुरंत बाद स्नान कर लेना जरूरी है. इस नियम का पालन यात्रा के दौरान बहुत आवश्यक है. साथ ही कांवड़ यात्रा में किसी भी प्रकार की नशीली चीज का सेवन वर्जित है. इससे यात्रा असफल हो जाती है.
कांवड़ यात्रा के दौरान सूर्योदय से पहले उठकर सभी क्रियाओं को करके स्नान-ध्यान करें. साथ ही अगर आप यात्रा शुरू कर रहे हैं तो इसका ध्यान रखें कि यात्रा सूर्योदय के साथ शुरू हो और सूर्यास्त के खत्म हो. जो पहली बार कांवड़ यात्रा पर जा रहे हैं उन्हें इस बात का विशेष ध्यान रखना होगा कि यात्रा के दौरान गंगाजल से भरे कांवड़ को नीचे जमीन पर ना रखें.
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(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. डीएनए हिंदी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)
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