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Maha Shivratri 2023: भगवान शिव क्यों धारण करते हैं नर मुंडमाला, जानिए इससे जुड़ी रोचक पौराणिक कथाएं

Maha Shivratri 2023: 18 फरवरी को महाशिवरात्रि मनाई जाएगी. ऐसे में शिव मंदिरों के बाहर भारी भीड़ जुटने की संभावनाएं हैं.

Maha Shivratri 2023: भगवान शिव क्यों धारण करते हैं नर मुंडमाला, जानिए इससे जुड़ी रोचक पौराणिक कथाएं
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डीएनए हिंदी: शिवरात्रि के दिन ही भगवान शिव का विवाह माता पार्वती से हुआ था जिसके चलते शिवरात्रि को एक बेहद ही पवित्र त्योहार माना जाता है. शास्त्रों के अनुसार फाल्गुन कृष्ण चतुर्दशी को भगवान शिव और देवी पार्वती का विवाह की प्रक्रिया पूर्ण हुई थी. देवी पार्वती पूर्वजन्म में शिव की पत्नी सती थी. सती को लेकर भी अनेक कथाएं हैं लेकिन क्या आपको पता है कि भगवान शिव मुंडमाल क्यों पहनते हैं, इसके पीछे भी रहस्य हैं तो चलिए आज आपको बताते हैं. 

भगवान शिव मुंडमाल क्यों पहनते हैं. इसको लेकर पुराणों में बताया गया है कि यह मुंडमाला भगवान शिव और सती के अखंड प्रेम का प्रतीक है. देवर्षि नारद के कहने पर देवी सती ने शंकरजी से इसका रहस्य पूछा थी. भगवान शिव यह राज नहीं बताना चाहते थे लेकिन जब सती ने इतनी ज्यादा जिद की तो शिवजी ने राज खोल दिया. शिव ने बताया कि इस मुंड माला में सभी सिर आपके ही हैं.

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शिवजी ने माता सती को बताया है कि यह आपका 108 वां जन्म है. पहले भी आप 107 बार जन्म लेकर शरीर त्याग चुकी हैं. ये मुंड उन्हीं जन्मों का प्रतीक हैं. मुंडमाला पहनने का रहस्य जानकर सती ने शिव से कहा कि मैं तो बार-बार शरीर का त्याग करती हूं लेकिन आप तो त्याग नहीं करते तब शिव ने उनसे कहा कि मुझे अमरकथा का ज्ञान है, इसलिए मुझे बार-बार शरीर का त्याग नहीं करना पड़ता है.

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सती ने भी शिव से अमरकथा सुनने की इच्छा प्रकट की. मान्यता है, कि जब शिव सती को कथा सुना रहे थे तब सती पूरी कथा नहीं सुन पाईं और मध्य में ही सो गईं. नतीजा यह कि राजा दक्ष के कपट के यज्ञ में सती ने अपना देह त्याग कर दिया था. सती के मुंड को भी शिव ने धारण कर लिया था. बाद में माता पार्वती को शिव ने अमरत्व की कथा सुनाई थी. 

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