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करियर और कारोबार में तरक्की के लिए बुधवार को करें ये उपाय, गणेश जी कृपा से भर जाएगी तिजोरी

Budhwar Ke Upay: आप बुधवार के दिन किए गए उपायों से करियर और व्यापार में सफलता पा सकते हैं. चलिए बुधवार के इन उपायों के बारे में आपको बताते हैं.

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करियर और कारोबार में तरक्की के लिए बुधवार को करें ये उपाय, गणेश जी कृपा से भर जाएगी तिजोरी

Budhwar Ke Upay

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डीएनए हिंदीः हिंदू धर्म में सप्ताह के सभी दिन बहुत ही खास होते हैं. सभी दिन किसी देवता को समर्पित होते हैं. ऐसे ही बुधवार का दिन (Budhwar Ke Upay) भगवान श्रीगणेश को समर्पित होता है. भगवान श्रीगणेश को सर्वप्रथम पूजनीय माना जाता है. बुधवार का दिन (Budhwar Ke Upay) बुध ग्रह से भी संबंधित होता है. इस दिन आप विशेष उपाय कर कुंडली में बुध की स्थिति को मजबूत कर सकते हैं. जातक की कुंडली में बुध के कमजोर होने से उसे शारीरिक, मानसिक और आर्थिक रूप से परेशानियों का सामना करना पड़ता है. इन सभी का सीधा प्रभाव हमारे करियर और व्यापार पर पड़ता है. ऐसे में आप बुधवार के दिन किए गए उपायों (Budhwar Ke Upay) से करियर और व्यापार में सफलता पा सकते हैं. तो चलिए आपको इन दिन भगवान गणेश की पूजा और व्यापार में सफलता के लिए किए जाने वाले उपायों (Budhwar Ke Upay) के बारे में बताते हैं.

बुधवार के उपाय (Budhwar Ke Upay)
- बुधवार का दिन बुध ग्रह से संबंधित होता है. बुध का रंग हरा होता है ऐसे में इस दिन हरे रंग की मूंग का दान और सेवन करने से लाभ मिलता है. इस उपाय को करने से कुंडली में बुध की स्थिति मजबूत होती है. बुध के मजबूत होने से जीवन में तरक्की मिलती है.
- भगवान गणेश जी की पूजा करने से भी लाभ मिलता है. इस दिन भगवान गणेश जी को शमी के पत्ते चढ़ाने और दुर्वा घास अर्पित करने से गणेश जी शीघ्र प्रसन्न होते हैं. भगवान गणेश जी की कृपा से आपकी मनोकामनाएं पूरी होती है.
- बुधवार को गाय को चारा खिलाने से भी लाभ मिलता है. हिंदू धर्म में गाय का बहुत ही महत्व होता है गाय को माता के रूप में पूजा जाता है. गाय को चारा खिलाने से देवी-देवता प्रसन्न होते हैं. इस उपाय को करने से जीवन के कष्टों से मुक्ति मिलती है.
- आर्थिक समस्याओं से मुक्ति के लिए "ऋणहर्ता गणेश स्तोत्र" का पाठ करना चाहिए.

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ऋणहर्ता गणेश स्तोत्र
ध्यान

ॐ सिन्दूर-वर्णं द्वि-भुजं गणेशं लम्बोदरं पद्म-दले निविष्टम्
ब्रह्मादि-देवैः परि-सेव्यमानं सिद्धैर्युतं तं प्रणामि देवम्

मूल-पाठ
सृष्ट्यादौ ब्रह्मणा सम्यक् पूजित: फल-सिद्धए
सदैव पार्वती-पुत्र: ऋण-नाशं करोतु मे

त्रिपुरस्य वधात् पूर्वं शम्भुना सम्यगर्चित:
सदैव पार्वती-पुत्र: ऋण-नाशं करोतु मे

हिरण्य-कश्यप्वादीनां वधार्थे विष्णुनार्चित:
सदैव पार्वती-पुत्र: ऋण-नाशं करोतु मे

महिषस्य वधे देव्या गण-नाथ: प्रपुजित:
सदैव पार्वती-पुत्र: ऋण-नाशं करोतु मे

तारकस्य वधात् पूर्वं कुमारेण प्रपूजित:
सदैव पार्वती-पुत्र: ऋण-नाशं करोतु मे

भास्करेण गणेशो हि पूजितश्छवि-सिद्धए
सदैव पार्वती-पुत्र: ऋण-नाशं करोतु मे

शशिना कान्ति-वृद्धयर्थं पूजितो गण-नायक:
सदैव पार्वती-पुत्र: ऋण-नाशं करोतु मे

पालनाय च तपसां विश्वामित्रेण पूजित:
सदैव पार्वती-पुत्र: ऋण-नाशं करोतु मे

इदं त्वृण-हर-स्तोत्रं तीव्र-दारिद्र्य-नाशनं
एक-वारं पठेन्नित्यं वर्षमेकं सामहित: 
दारिद्र्यं दारुणं त्यक्त्वा कुबेर-समतां व्रजेत् 

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. डीएनए हिंदी इसकी पुष्टि नहीं करता है.) 

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