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Diwali 2022: कहीं गाय पूजा तो कहीं होता है भूत चतुर्दशी अनुष्ठान, इन शहरों की दिवाली है खास  

Diwali 2022: देश के विभिन्न राज्यों में दिवाली पर अलग-अलग रस्में होती हैं, अपनी अनोखी परंपरा के कारण कुछ शहरों की दिवाली बेहद खास होती है.

Diwali 2022: कहीं गाय पूजा तो कहीं होता है भूत चतुर्दशी अनुष्ठान, इन शहरों की दिवाली है खास  

इन राज्यों में ऐसे मनाई जाती है दिवाली

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डीएनए हिंदी: दिवाली का उत्सव पूरे देश में धूम धाम से मनाया जाता है. देश भर में दीपावली की तैयारी शुरू हो चुकी है. धार्मिक ग्रंथों के अनुसार इस दिन भगवान राम पत्नी सीता व भाई लक्ष्मण के साथ  14 वर्ष का वनवास काट कर अयोध्या वापस लौटे थे. भगवान राम के वापस लौटने की खुशी में अयोध्या के नगर वासियों ने पूरे नगर की सजावट की और उनके स्वागत में दीप-दीए जलाए. कहा जाता तब से हर वर्ष यह पर्व धूमधाम से पूरे उत्साह के साथ मनाया जाने लगा.

देश के विभिन्न राज्यों में यह पर्व (Diwali 2022) विभिन्न तरीके से मनाया जाता है. यह पर्व सभी राज्यों में 5 दिनों तक चलता है. दीपावली के दौरान घर की साफ-सफाई करना, नए वस्त्र और बर्तन खरीदना, पारंपरिक व्यंजन बनाना, रंगोली बनाना, मिठाइयां बांटना, पटाखे छोड़ना और लक्ष्मी पूजा करना यह परंपरा सभी राज्यों में लगभग एक सी हैं. इनमे फर्क है तो बस पारंपरिक व्यजनों के स्वाद का वस्त्रों और पूजा विधि का. यहां आपको आज उन शहरों की दिवाली के बारे में बताएंगे जहां की दिवाली मशहूर है और जिसे देखने लोग दूर- दूर से आते हैं.

इन राज्यों में ऐसे मनाई जाती है दिवाली  (Diwali Celebration in Different Parts of India)

उत्तर प्रदेश (Diwali in Uttar Pradesh)

धार्मिक ग्रंथों के अनुसार इस पर्व की शुरुआत अयोध्या से ही हुई इसलिए हम सबसे यहां की बात करेंगे. उत्तर प्रदेश के अयोध्या में दिवाली का उत्सव धूमधाम के साथ मनाया जाता है. इस खास मौके पर सरयू तट स्थित राम की पैड़ी तक दीप सजाए जाते हैं. यहां पर दिवाली के दिन भगवान राम, लक्ष्मण और देवी सीता की पूजा भी विधि विधान से होती है और देवी लक्ष्मी और गणपति की पूजा भी. इस दिन पूरा शहर दीप और लाइटों से जगमगा उठता है. अयोध्या की तरह ही वाराणसी में दिवाली का भी अलग ही रंग देखने को मिलता है. दिवाली के 15 दिनों बाद होने वाली यहां की देव दीपावली और भी खास होती है. 

देव दीपावली कार्तिक मास की पूर्णिमा को पड़ती है. ये देवताओं की दिवाली हाेती है, जिसे देव दीपावली के नाम से भी जाना जाता है. मान्यता है कि इस दौरान देवी-देवता गंगा में डुबकी लगाने के लिए धरती पर आते हैं. इस दिन वाराणी के 84 घाटों को दीप से सजाया जाता है और गंगा आरती इस दिन बेहद भव्य होती है. इस दीपावली को दुनिया भर से देखने लोग आते हैं. 

अयोध्या और वाराणसी में एक चीज बेहद खास होती है इस दिन यहां नदी के किनारे लगे हुए दीप और सजी हुई रंगोली देख आप मंत्रमुग्ध हो जाएंगे.  

गुजरात (Diwali in Gujarat)

गुजरात में दिवाली मानने का तरीका थोड़ा अलग है. दिवाली के अगले दिन गुजराती नव वर्ष दिवस, बेस्टु वरस मनाते हैं और इस दिन नया कार्य करना शुभ मानते हैं.  उत्सव की शुरुआत वाग बरस से होती है, उसके बाद धनतेरस, काली चौदश, दिवाली, बेस्टु वरस और भाई बिज आते हैं. विभिन्न राज्यों में दिवाली की रात में काजल लगाया जाता है लेकिन गुजरात में लोग अगली सुबह दीए से बना हुआ काजल लगाते हैं. यहां मुख्य रूप से ज्यादातर महिलाएं ही काजल लगाती हैं जिसे एक शुभ प्रथा के रूप में माना जाता है.

पश्चिम बंगाल (Diwali in West Bangal)

इस दिन बंगाल में काली जी श्यामा पूजा की जाती है. इस दिन बंगाल में स्थित दक्षिणेश्वर और कालीघाट मंदिर में दूर-दूर से लोग मां काली की पूजा करने के लिए आते हैं. काली पूजा से एक रात पहले या दिवाली की रात यहां के लोग रात में अपने घरों पर और मंदिरों में 14 दीए जलाते हैं. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार 14 दीए जलाने से बुरी शक्तियों का नाश होता है. इस दिन पर भूत चतुर्दशी अनुष्ठान करते हैं.

देवी काली को गुड़हल के फूलों से सजाया जाता है. भक्त मां काली को इस दिन मिठाई, दाल, चावल और मछली भी चढ़ाते हैं. कोलकाता के पास बारासात जैसी जगहों पर, काली पूजा दुर्गा पूजा के रूप में भव्य तरीके से मनाई जाती है, जिसमें पंडाल और मेले लगाए जाते हैं.

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गोआ (Diwali in Goa)

गोआ में भी दिवाली अलग तरह से मनाई जाती है यहां यह त्योहार नरक चतुर्दशी के दिन मनाया जाता है. बता दें कि यहां पर इस दिन नरकासुर का पुतला बनाया जाता है और उस पुतले को गलियों में घुमाया जाता है, जिसके बाद उसका दहन किया जाता है. कहा जाता है कि यहां नरकासुर नाम का राज था जिससे लोग बहुत परेशान थे, कुछ सालों बाद श्री कृष्ण की पत्नी सत्यभामा ने उसका वध किया तब से इस दिन को यहां पर दीवाली के रूप में मनाया जाने लगा. 

महाराष्ट्र (Diwali in Maharashtra)

महाराष्ट्र में दिवाली का त्योहार 4 दिनों तक चलता है जहां पहले दिन वसुर बरस मनाया जाता है जिसमें लोग आरती गाते हुए गाय और बछड़े की पूजा करते हैं वहीं दूसरे दिन यहां धनतेरस मनाया जाता है. इसके बाद तीसरे दिन नरक चतुर्दशी पर सूर्योदय से पहले उबटन करके स्नान करते हैं फिर अंतिम व चौथे दिन दिवाली मनाई जाती है जिसमें लक्ष्मी पूजन से पहले चकली, सेव और मिठाइयां बनाई जाती हैं. 

बिहार और झारखंड (Diwali in Jharkhand or Bihar)

यहां दिवाली के मौके पर होली जैसा माहौल होता है. इस दिन यहां पारंपरिक गीत, नृत्य और पूजा का प्रचलन है. ज्यादातर जगहों पर मां काली की पूजा-अर्चना की जाती है. इस मौके पर लोग यहां एक-दूसरे से गले मिलते हैं, मिठाइयां बांटते हैं और पूरे उत्साह के साथ यह त्योहार मनाते हैं. 

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तमिलनाडु (Diwali inTamil Nadu)

यहां पर दीपावली से 1 दिन पूर्व मनाए जाने वाले नरक चतुर्दशी का विशेष महत्व है. उत्तर भारत में दीपावली 5 दिनों तक चलता है लेकिन दक्षिण भारत में यह पर्व सिर्फ 2 दिन का ही मनाया जाता है. इस मौके पर यहां दीपक जलाया जाता है और रंगोली बनाई जाती है. नरक चतुर्दशी पर यहां पारंपरिक स्नान करने का विशेष महत्व है. 

आंध्रप्रदेश (Diwali in Andhra Pradesh)

दिवाली के अवसर पर यहां हरिकथा या भगवान हरि की कथा का आयोजन किया जाता है. मान्यता है कि भगवान श्रीकृष्ण की पत्नी सत्यभामा ने राक्षस नरकासुर का वध किया था इसलिए यहां इस दिन सत्यभामा की विशेष मिट्टी की मूर्तियों की प्रार्थना की जाती है.

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. डीएनए हिंदी इसकी पुष्टि नहीं करता है.) 

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