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King Yayati Story: जवानी में बुढ़ापे का मिला था इस राजा को श्राप, पुत्र की जवानी लेकर भी वासना नहीं हुई थी शांत

King Yayati Story: राजा ययाति को एक श्राप के कारण जवानी में ही बुढ़ापे का सामना करना पड़ा था. राजा ययाति ने काम वासना शांत करने पुत्र से जवानी ली थी.

King Yayati Story: जवानी में बुढ़ापे का मिला था इस राजा को श्राप, पुत्र की जवानी लेकर भी वासना नहीं हुई थी शांत

राजा ययाति

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डीएनए हिंदी: हिंदू धर्म में बहुत सारी पौराणिक कथाएं और कहानियां प्रचलित हैं. आज हम आपको राजा ययाति (Raja Yayati) की एक ऐसी ही रोचक कहानी के बारे (Raja Yayati Story) में बताने वाले हैं. ययाति राजा (Raja Yayati) नहुष के पुत्र थे. राजा ययाति एक राजा (Raja Yayati) और बहुत ही कुशल योद्धा थे. उन्हें एक श्राप के कारण जवानी में ही बुढ़ापे का सामना करना पड़ा था. जवानी के समय में बुढ़ापे की वजह से वह बहुत ही परेशान हो गए थे इस कारण उनकी काम वासना भी शांत नहीं हो पा रही थी. अपनी काम वासना को शांत करने के लिए ययाति ने अपने पुत्रों से जवानी मांगी थी. 

इस कारण मिला था जवानी में बुढ़ापे का श्राप (Raja Yayati Shrap Story)
ययाति की दो पत्नियां थी, उनकी शादी शुक्राचार्य की पुत्री देवयानी और शर्मिष्ठा दैत्यराज की पत्नि वृषपर्वा से हुई थी. उनकी पहली शादी शुक्राचार्य की पुत्री देवयानी से हुई थी. ययाति की दूसरी शादी के बारे में पता लगने पर ही शुक्राचार्य ने ययाति को जवानी में बुढ़ापे का श्राप दिया था. राजा ययाति के पांच पुत्र थे जिनसे उन्होंने जवानी मांगी थी. ययाति के देवयानी से यदु व तुर्वसु नाम के दो पुत्र थे और शर्मिष्ठा से द्रुहु, पुरु तथा अनु नाम के तीन पुत्र थे. 

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काम वासना के लिए बेटे से मांगी थी जवानी (Raja Yayati Ne Apne Putra Se Li Thi Jawani)
ययाति को जवानी में ही बुढ़ापा आ गया था इसलिए उनकी काम वासना शांत नहीं हो पाई थी. ययाति ने अपनी काम वासना शांत करने के लिए अपने बेटों से जवानी मांगी थी. उनके पुत्रों ने जवानी देने के लिए मना कर दिया था लेकिन उनके सबसे छोटे पुत्र पुरु ने अपनी जवानी ययाति को दे दी थी. पिता को जवानी देने के बाद ययाति का पुत्र पुरु बुढ़ा हो गया और पिता ययाति जवान हो गए. इसके बाद पुरु बुढ़ा होने के बाद राजकाज को संभालने लगा. 

पुत्र की जवानी से भी नहीं शांत हुई काम वासना (Putra Ki Jawani Se Bhi Shant Nhi Hui Kamvasna)
ययाति ने काम वासना को शांत करने के लिए पुत्र से जवानी मांगकर अपनी पत्नियों के साथ भोग-विलास किया लेकिन जब इससे उनका जी नहीं भरा तो वह कई वर्षों तक अप्सरा के साथ सुख भोगते रहे. बाद में ययाति ने अपने पुत्र को जवानी वापस कर दी. उन्होंने अपने बेटे को बताया की काम वासना वह आग है जो कभी शांत नहीं हो सकती है. बेटे को जवानी लौटाने के बाद ययाति ने वन में तप करके स्वर्ग की प्राप्ति की थी. 

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(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. डीएनए हिंदी इसकी पुष्टि नहीं करता है.) 

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