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श्री कृष्ण ने अपने बेटे को क्यों दिया था कोढ़ी होने का श्राप

यह कहानी कृष्ण और जामवंती के पुत्र सांबा से जुड़ी है. सांबा देखने में बहुत ही सुंदर और आकर्षक थे.

श्री कृष्ण ने अपने बेटे को क्यों दिया था कोढ़ी होने का श्राप

भगवान श्री कृष्ण

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    डीएनए हिंदी: कोई अपने बच्चे को ऐसा श्राप कैसे दे सकता. आपके दिमाग में ज़रूर ये खयाल आया होगा. लेकिन ये हमारी बनाई कहानी नहीं बल्कि इसका ज़िक्र भविष्य पुराण, स्कंद पुराण और वराह पुराण में मिलता है. सांबा, श्रीकृष्ण और जामवंती के पुत्र थे. बताया जाता है कि श्री कृष्ण की छोटी रानियां उनके पुत्र सांबा से बहुत आकर्षित रहती थीं.

    एक बार रानी नंदनी ने सांबा की पत्नी का रूप धारण करके उन्हें गले लगा लिया था. यह सब नारद ऋषि ने देख लिया. फिर क्या था उन्होंने सारी घटना प्रभु को सुना दी. यह सुनकर कृष्ण इतने क्रोधित हुए कि पुत्र को कोढ़ी होने का श्राप दे दिया और कहा कि उसकी मृत्यु के बाद पत्नियों को डाकू उठा कर ले जाएंगे.

    जामवंती और श्रीकृष्ण के पुत्र थे सांबा


    कथाएं बताती हैं कि जब श्री कृष्ण कहीं बाहर होते थे तो सांबा अपनी मांओं के साथ मज़ाक किया करते थे. कृष्ण सब जानते थे लेकिन कुछ कहते नहीं थे क्योंकि वो सांबा को ठेस नहीं पहुंचाना चाहते थे. एक दिन सांबा ने नारद मुनी के रूप को लेकर व्यंग कर दिया. नारद को यह बात बहुत बुरी लगी. इसके बाद नारद ने सांबा को सबक सिखाने की ठान ली. नारद, सांबा को अपनी बातों में फंसा कर उस जगह ले गए जहां उनकी सभी मां स्नान कर रही थीं. यह देखकर सभी ने कृष्ण से शिकायत की. पत्नियों की बात सुनकर कृष्ण को बहुत गुस्सा आया. नारद ने भी आग में घी डाला और बढ़ा-चढ़ाकर कहानी सुनाई. इस पर कृष्ण ने पुत्र को कोढ़ी होने का श्राप दिया. 

    यह सुनकर सांबा विचलित हो गए. उन्होंने पिता को सच्ची कहानी बताई. जब तक कृष्ण को उनकी सच्चाई पर भरोसा हुआ तब तक बहुत देर हो चुकी थी. श्राप वापस नहीं लिया जा सकता था. अपने बेटे को इस श्राप से मुक्ति दिलाने के लिए कृष्ण ने उन्हें एक उपाय बताया. कृष्ण ने उन्हें सूर्य भगवान की तपस्या करने को कहा. वही इतने शक्तिशाली थे जो सांबा को इस श्राप से मुक्ति दिला सकते थे.

    भगवान श्री कृष्ण

    सांबा के इस श्राप की एक कहानी दुर्वासा ऋषि से भी जुड़ी है. इसका ज़िक्र सांबा पुराण में मिलता है. बताया जाता है कि सांबा ने दुर्वासा ऋषि की नकल की थी. इससे क्रोधित होकर ऋषि ने सांबा को श्राप दिया था. इससे मुक्ति के लिए उन्होंने चंद्रभागा नदी के किनारे 12 साल तक तपस्या की थी. 

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