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Daughter Of Ravana: कौन थी रावण की बेटी? जिसे देखते ही हो गया था हनुमान जी से प्रेम, जानिए रामकियेन-रामकेर रामायण की ये कथा

Daughter Of Ravana: सात बेटों के अलावा रावण की एक बेटी भी थी, जिसे हनुमान जी से प्रेम हो गया था. यहां जानिए क्या है इसके पीछे की कहानी.. 

Daughter Of Ravana: कौन थी रावण की बेटी? जिसे देखते ही हो गया था हनुमान जी से प्रेम, जानिए रामकियेन-रामकेर रामायण की ये कथा

कौन थी रावण की बेटी? जिसे देखते ही हो गया था हनुमान जी से प्रेम

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डीएनए हिंदीः रावण के 7 पुत्र थे, इनमें से मेघनाथ और अक्षय कुमार के बारे में हर कोई जानता है. लेकिन, रावण की पुत्री के बारे में बहुत कम लोग ही जानते हैं. दरअसल, वाल्मीकि रामायण के (Ramayana Story) बाद रामायण को दक्षिण भारत ही नहीं, बल्कि कई देशों में अलग-अलग तरह से लिखा गया और इनमें से ज्यादातर रामायण में श्रीराम के साथ-साथ रावण (Ravan) को भी काफी महत्व दिया गया है. यही वजह है कि श्रीलंका, इंडोनेशिया, मलेशिया, माली, थाईलैंड और कंबोडिया में भी रावण को पूरा महत्व दिया जाता है. 

थाईलैंड की रामकीन रामायण और कंबोडिया की रामकेर रामायण में रावण की पुत्री (Daughter Of Ravana) का जिक्र किया गया है. आइए जानते हैं कौन थी रावण की बेटी जिसे हनुमान जी से हो गया था प्रेम...

रावण में तीन पत्नियों से थे 7 बेटे

रामकियेन और रामकेर रामायण के अनुसार, रावण के तीन पत्नियों से 7 बेटे थे. पहली पत्‍नी मंदोदरी से दो बेटे मेघनाद और अक्षय कुमार थे, दूसरी पत्‍नी धन्यमालिनी से अतिकाय और त्रिशिरा नाम के दो बेटे थे और तीसरी पत्‍नी से प्रहस्थ, नरांतक और देवांतक नाम के तीन बेटे थे. 

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रावण की बेटी का भी मिलता है उल्लेख

रामकियेन और रामकेर इन दोनों रामायण में बताया गया है कि सात बेटों के अलावा रावण की एक बेटी भी थी, जिसका नाम सुवर्णमछा या सुवर्णमत्‍स्‍य था. सुवर्णमत्‍स्‍य देखने में बहुत सुंदर थी और उसे स्‍वर्ण जलपरी भी कहा जाता है. दरअसल, सुवर्णमत्‍स्‍य का शरीर सोने की तरह दमकता था इसीलिए उसे सुवर्णमछा भी कहा जाता है. इसका अर्थ होता है सोने की मछली. यही वजह है कि थाईलैंड और कंबोडिया में सुनहरी मछली को पूजा जाता है. 

सुवर्णमछा को हो गया था हनुमानजी से प्रेम

रामकियेन और रामकेर रामायण के अनुसार, राम सेतु निर्माण के दौरान जब वानरसेना की ओर से डाले जाने वाले पत्‍थर गायब होने लगे तो हनुमानजी ने समुद्र में उतरकर देखा कि आखिर ये चट्टानें जा कहां रही हैं? तब उन्‍होंने देखा कि पानी के अंदर रहने वाले लोग पत्‍थर और चट्टानें उठाकर कहीं ले जा रहे हैं. ऐसे में हनुमान जी ने उनका पीछा किया तो देखा कि एक मत्‍स्‍य कन्‍या उनको इस कार्य के लिए निर्देश दे रही है. फिर हनुमान जी सुवर्णमछा के पास गए तब सुवर्णमछा ने जैसे ही हनुमानजी को देखा उसे उनसे प्रेम हो गया.

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लेकिन, हनुमानजी सुवर्णमछा के मन की स्थिति भांप गए और फिर सुवर्णमछा को समुद्रतल पर ले गए और पूछा कि आप कौन हैं देवी? तब सुवर्णमछा ने हनुमान जी को बताया कि वह रावण की बेटी है. तब हनुमान जी ने रावण की गलतियों के बारे में सुवर्णमछा को बताया. हनुमानजी के समझाने पर सुवर्णमछा ने सभी चट्टानों को लौटा दिया, जिसके बाद रामसेतु के निर्माण का कार्य पूरा हुआ.

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. डीएनए हिंदी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

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