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Commonwealth Games में 7 गोल्ड जीतने वाले भारतीय खिलाड़ी की कहानी, जो खेलों से आज तक खाली हाथ नहीं लौटा

4 साल की उम्र से टेबल टेनिस खेलने वाले Achanta Sharath Kamal ने 2006 के कॉमनवेल्थ गेम्स में पहली बार स्वर्ण जीता था. तब से लेकर अब तक वो 7 गोल्ड मेडल जीत चुके हैं.

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Commonwealth Games में 7 गोल्ड जीतने वाले भारतीय खिलाड़ी की कहानी, जो खेलों से आज तक खाली हाथ नहीं लौटा

Most Individual Medal At Commonwealth Games 

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डीएनए हिंदी: भारतीय टेबल टेनिस खिलाड़ी Achanta Sharath Kamal ने स्वर्ण पदक के मुकाबले में इंग्लैंड के पैडलर को 11-13, 11-7, 11-2, 11-6, 11-8 से हराकर गोल्ड अपने नाम किया. इस तरह वो बर्मिंघम में तीन बार पोडियम फिनिश करने वाले पहले भारतीय खिलाड़ी बन गए. उन्होंने सबसे पहले मेंस टीम इवेंट का गोल्ड मेडल जीता. उसके बाद उन्होंने श्रीजा अकुला के साथ मिलकर मिक्स्ड डबल्स इवेंट का गोल्ड अपने नाम किया. खेलों के आखिरी दिन दुनिया के 32वें नबर के पैडलर ने मेंस सिंगल्स के फाइनल में इंग्लैंड के पिचफोर्ड के खिलाफ पहला गेम गंवाने के बाद वापसी करते हुए गोल्ड पर कब्जा जमाया. 

साल 2006 में शरत कमल ने मेंस सिंगल्स और मेंस टीम इवेंट का खिताब अपने नाम किया था. जबकि साल 2010 में उन्होंने मेंस डबल्स का गोल्ड, मेंस सिंगल्स का कांस्य और मेंस टीम इवेंस का कांस्य अपने नाम किया था. ग्लास्गो में आयोजित 2014 के संस्करण में भी इस खिलाड़ी ने पदक जीता. हालांकि वहां इन्हें सिर्फ मेंस डबल्स मुकाबले में रजत पदक से संतोष करना पड़ा. ऑस्ट्रेलिया के गोल्ड कोस्ट में शरत कमल ने तीम मेडल जीते. उन्होंने मेंस टीम का गोल्ड, मेंस डबल्स का सिल्वर और मेंस सिंगल्स का कांस्य पदक जीता.

कॉमनवेल्थ गेम्स में शरत कमल की अब तक की उपलब्धियां

  1. कॉमनवेल्थ गेम्स 2006: मेंस सिंगल्स और मेंस टीम इवेंट का गोल्ड मेडल
  2. कॉमनवेल्थ गेम्स 2010: मेंस डबल्स का गोल्ड मेडल और मेंस सिंगल्स और मेंस टीम इवेंट का ब्रॉन्ज मेडल
  3. कॉमनवेल्थ गेम्स 2014: मेंस डबल्स का सिल्वर मेडल
  4. कॉमनवेल्थ गेम्स 2018: मेंस टीम इवेंट का गोल्ड, मेंस डबल्स का सिल्वर और मेंस सिंगल्स का ब्रॉन्ज
  5. कॉमनवेल्थ गेम्स 2022: मेंस सिंगल्स, मिक्स्ड डबल्स और मेंस टीम इवेंट का गोल्ड मेडल

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अचंता शरत कमल यकीनन भारतीय इतिहास के अब तक के सर्वश्रेष्ठ टेबल टेनिस खिलाड़ी हैं. 12 जुलाई 1982 को चेन्नई के तमिलनाडु में जन्में शरत को टेबल टेनिस में भारत के चैंपियन के रूप में जाना जाता है. शरत के पिता श्रीनिवास राव और चाचा मुरलीधर राव ने भी टेबल टेनिस खेला था.शरत ने चार साल की उम्र में टेबल टेनिस खेलना शुरू कर दिया. एक समय ऐसा भी आया जब शरत को खेल और पढ़ाई में से एक को चुनना था. शरत कमल ने टेबल टेनिस को चुनकर इस खेल में ही अपना करियर बनाने का फैसला किया. 

पिता ने दी ट्रेनिंग 

बस फिर क्या था, शुरू हो गई भारत के चैंपियन की कहानी. शरत के पिता और चाचा ने कोचिंग देना शुरू कर दिया. आज इस खिलाड़ी ने भारत के लिए वो काम कर दिया, जो कॉमनवेल्थ के इतिहास में कोई नहीं कर पाया है. शरत कमल 2022 राष्ट्रमंडल खेलों में तीन स्वर्ण पदक जीतने वाले पहले भारतीय पैडलर बन गए. इससे पहले उन्होंने ही 2006 में रिकॉर्ड बनाया था, जिसे 2018 के खेलों में Manika Batra ने बराबरी की थी. बर्मिंघम में अचंता ने मेंस सिंगल्स, मेंस टीम इवेंट और मिक्स्ड डबल्स का खिताब अपने नाम किया. वो एक ही कॉमनवेल्थ गेम्स में तीन गोल्ड जीतने वाले पहले भारतीय खिलाड़ी बन गए हैं. अब तक उन्होंने 7 गोल्ड, 3 सिल्वर और 3 ब्रॉन्ज जीते हैं. 

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