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Sri Lanka crisis: राजपक्षे परिवार ही नहीं, एशिया की राजनीति में इन परिवारों की भी बोलती रही है तूती

Rajapaksa Family Rule In Sri Lanka: श्रीलंका में दशकों तक राज़ करने वाली राजपक्षे फैमिली इस वक्त दूसरे देशों में भागकर शरण ले रही है. गोटाबाया राजपक्षे के सिंगापुर तो उनके भाई बासिल राजपक्षे के अमेरिका में होने की खबर है. श्रीलंका ही नहीं एशिया में कई देश ऐसे हैं जिसमें ताकतवर राजनीतिक परिवारों की दशकों तक देश पर हुकूमत रही है. भारत और पाकिस्तान भी ऐसे ही देश हैं.

राजनीति में वंशवाद की चर्चा भारत में अक्सर होती रहती है. एशिया में कई देश हैं जिनमें देश की सत्ता पर एक ही परिवार की कई पीढ़ियों ने लंबे समय तक राज किया है. श्रीलंका में दशकों तक राजपक्षे परिवार का राज रहा है. हालांकि, अब जनता इस परिवार के खिलाफ सड़कों पर है. ऐसे कई देश हैं जहां कई परिवार सत्ता के शीर्ष पर सालों रहे हैं. भारत की राजनीति में तो खैर ऐसे कई दिग्गज परिवार हैं लेकिन आइए एशिया के कुछ ऐसे ही और राजनीतिक परिवारों पर नजर डालते हैं.

1.Bangladesh PM Sheikh Hasina

Bangladesh PM Sheikh Hasina
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भारत के पड़ोसी देश बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना भी राजनीति की वंशबेल का उदाहरण हैं. बांग्लादेश के राष्ट्रपिता 'बंगबंधु' शेख मुजीबुर रहमान की बेटी शेख हसीना ने अपने पिता की हत्या के बाद उनकी राजनीतिक विरासत को बखूबी संभाला है. शेख मुजीबुर रहमान और उनके परिवार की बेरहमी से हत्या कर दी गई थी लेकिन उस वक्त बहन रेहाना के साथ जर्मनी में छुट्टियां मना रहीं शेख हसीना ने चुनावों में जीत दर्ज कर सत्ता में फिर से वापसी की है. बतौर प्रधानमंत्री यह उनका चौथा कार्यकाल है. 
 



2.Shinzo Abe In Japan

Shinzo Abe In Japan
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जापान की राजनीति में आबे परिवार का सिक्का दशकों तक जमा रहा है. पूर्व प्रधानमंत्री शिंजो आबे राजनीति के वंशवाद का सफल उदाहरण थे. आबे के दादा कैना आबे और पिता सिंतारो आबे भी जापान की चर्चित राजनीतिक शख्सियत थीं. आबे के नाना नोबोशुके किशी जापान के प्रधानमंत्री रह चुके थे. जापान की तरक्की और राजनीतिक स्थिति में आबे परिवार का बहुत बड़ा योगदान माना जाता है. जापान के विपक्षी दल भी कई बार उनके राजनीतिक परिवार से आने को वंशवादी राजनीति से जोड़कर आलोचना करते थे.



3.Bhutto Family In Pakistan

Bhutto Family In Pakistan
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पाकिस्तान के मौजूदा विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो की तुलना अक्सर राहुल गांधी से की जाती है. दोनों पर ही यह आरोप लगाया जाता है कि परिवार के रसूख की वजह से यह राजनीति में टिके हैं. बिलावल भुट्टो की मां बेनजीर भुट्टो और नाना जुल्फिकार अली भुट्टो पाकिस्तान के प्रधानमंत्री रह चुके हैं. जुल्फिकार अली भुट्टो को फांसी दिए जाने के बाद उनकी बेटी बेनजीर ने पिता की राजनीतिक विरासत को आगे बढ़ाया था. अब उनके पति आसिफ अली जरदारी और बेटे बिलावल भी राजनीति में हैं. 
 



4.Nawaz Sharif Family

Nawaz Sharif Family
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पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ की गिनती देश के कद्दावर राजनीतिक परिवार के तौर पर होती है. इसके अलावा, शरीफ परिवार बड़ा कारोबारी घराना भी है और कहा जाता है कि इस परिवार के पास बेशुमार दौलत है. नवाज शरीफ पाकिस्तान की राजनीति में वनवास झेलकर वापसी करने वाले नेताओं में गिने जाते हैं. करगिल युद्ध के बाद परवेज मुशर्रफ ने तख्तापलट किया था और शरीफ को निर्वासन में जाना पड़ा था. हालांकि, उन्होंने फिर सत्ता में वापसी की थी. हालांकि, इमरान खान के कार्यकाल में उन्हें जेल भी जाना पड़ा था लेकिन एक बार फिर उनकी पार्टी तख्तापलट करने में कामयाब हो गई है. इस वक्त उनकी बेटी मरियम नवाज शरीफ भी राजनीति में हैं और भाई शहबाज शरीफ देश के पीएम हैं. 
 



5.Gandhi Family Ruling Congress

Gandhi Family Ruling Congress
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भारत में वंशवाद की राजनीति का सबसे बड़ा उदाहरण गांधी फैमिली को माना जाता है. राहुल गांधी के परिवार से अब तक 3 प्रधानमंत्री रहे हैं. जवाहर लाल नेहरू के बाद उनकी विरासत को इंदिरा गांधी ने संभाला था और इंदिरा के बाद राजीव गांधी देश के पीएम बने थे. इस वक्त राहुल गांधी और सोनिया गांधी दोनों सांसद हैं. राहुल के चाचा संजय गांधी की पत्नी मेनका गांधी और बेटे वरुण गांधी भी बीजेपी सांसद हैं. 



6.Rajapaksa Family

Rajapaksa Family
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श्रीलंका की राजनीति में पिछले 20 सालों में राजपक्षे परिवार ने ही ज्यादातर वक्त शासन किया है. दक्षिण एशिया में इस परिवार को वंशवाद को आगे बढ़ाने और मलाईदार पदों पर परिवार के लोगों को बैठाने की वजह से खासी आलोचना का भी सामना करना पड़ा है. महिंदा राजपक्षे ने पीएम रहते हुए भाई गोटाबाया को रक्षा सचिव बनाया था. इसी तरह से 2015 में सत्ता से बेदखल होने के बाद जब राजपक्षे परिवार ने सत्ता में वापसी की थी तो एक वक्त ऐसा था कि पीएम, राष्ट्रपति और वित्त मंत्री तीनों महत्वपूर्ण पद पर महिंदा राजपक्षे, गोटाबाया राजपक्षे और बासिल राजपक्षे काबिज थे. इतना ही नहीं महिंदा राजपक्षे ने अपने बेटे को भी खास पद दिया था. राजपक्षे परिवार बौद्ध सिंहली समुदाय से आता है और सत्ता के शीर्ष पर रहते हुए सिंहली बौद्ध राष्ट्रवाद इनकी राजनीति का लंबे समय तक आधार थी.



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