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जानिए, दुनिया के उस गुमनाम देश के बारे में जिसे भारत ने भी नहीं दी मान्यता

What are Abkhazia and South Ossetia: अबखाजिया ने 1990 के दशक में खुद को आजाद मुल्क घोषित कर लिया था, लेकिन अभी तक सिर्फ उसे 5 देशों ने ही मान्यता नहीं दी है. जानिए पूरी कहानी...

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जानिए, दुनिया के उस गुमनाम देश के बारे में जिसे भारत ने भी नहीं दी मान्यता

समुंद्र के किनारे बसा है अबखाजिया (Photo- social media)

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डीएनए हिंदी: कहते हैं जब वक्त का पहिया घूमता है तो सारे जमाने को बदल देता है. इसमें कुछ तो आगे निकल जाते हैं लेकिन कुछ गुमनाम के अंधेरे से बाहर ही नहीं आ पाते. ऐसा ही एक देश आज गुमनाम की जिंदगी जी रहा है. इस देश को भारत ने भी मान्यता नहीं दी है. इसके बारे में शायद ही आप जानते होंगे. अगर नहीं जानते तो कोई बात नहीं आज हम आपको बताते हैं.

इस देश का नाम अबखाजिया (Abkhazia) है. यह यूरोप का एक देश है और इसकी कुल जनसंख्या 2.45 लाख है. यह 8,661 किमी के एरिया में बसा हुआ है. अबखाजिया ने 1990 के दशक में खुद को आजाद घोषित कर दिया था. लेकिन अभी तक सिर्फ पांच देशों ने ही उसे मान्यता दी है. इनमें रूस, सीरिया, निकारागुआ, नाऊरू और वेनेजुएला शामिल हैं. 1930 के दशक में अबखाजिया, सोवियत संघ के गणराज्य जॉर्जिया का हिस्सा हुआ करता था. लेकिन 1980 में जब सोवियत संघ बिखरना शुरू हुआ तो अबखाजिया भी जॉर्जिया से आजादी की अंगड़ाई लेने लगा. जॉर्जिया, सोवियत संघ से अलग होना चाहता था और अबखाजिया जॉर्जिया से स्वतंत्र होना.

1992 में खुद को किया आजाद घोषित
1991 में जब सोवियत संघ से जॉर्जिया ने जंग का ऐलान किया तो अबखाजिया के लोग भी आजादी के सपने देखने लगे. उन्हें लगा कि अगर सोवियत संघ से जॉर्जिया जंग जीत गया तो उनकी स्वायत्तता खत्म हो जाएगी. यही कारण था कि तनाव इतना बढ़ा कि 1992 में गृहयुद्ध छिड़ गया. शुरूआत में जॉर्जिया की सेना ने जीत हासिल की और उसने अबखाजिया के बागियों को राजधानी सुखुमी से बाहर खदेड़ दिया. लेकिन विद्रोहियो ने फिर ताकत जुटाकर जॉर्जिया सेना पर हमला किया और इसमें जीत हासिल की. इस गृहयुद्ध में 10,000 से अधिक लोग मारे गए थे. इसके बाद जॉर्जिया के 2 लाख से ज्यादा लोगों को अबखाजिया छोड़कर भागना पड़ा और उसने खुद को आजाद घोषित कर लिया. इस युद्ध में रूस की सेना ने अबखाजिया के बागियों की मदद की थी.

कभी सैलानियों के लिए था मशहूर

सैलानियों से वीरान, सफर के लिए नहीं मिलती टैक्सी
बताया जाता है कि सोवियत संघ के जमाने में अबखाजिया सैलानियों के लिए मशहूर था. यहां का सुहाना मौसम सैर-सपाटे के लिए बहुत मुफीद था. हर साल लाखों सैलानी अबखाजिया घूमने आते थे. यह दुनियाभर में टूरिस्ट पैलेस के लिए जाना जाता था. लेकिन 1992 के दशक में जब गृहयुद्ध छिड़ा तो ये देश सैलानियों से वीरान हो गया. आज यहां होटल और रेस्टोरेंट वीरान पड़े हैं. अब यहां सिर्फ रूस के लोग ही घूमने-फिरने आते हैं. यहां टैक्सी लेना बहुत बड़ी चुनौती है. लोगों को सरकारी बसों के सहारे ही सफर करना पड़ता है.

लोगों को सरकारी बसों में करना पड़ता है सफर

कितना स्वतंत्र है ये देश
अबखाजिया की सीमाओं पर अब रूस सेना का कब्जा है. उसे अब रूस की कठपुतली माना जाता है. 2008 में जॉर्जिया के खिलाफ रूस ने जंग में अबखाजिया की सीमा का इस्तेमाल किया. रूस के साथ अबखाजिया के रिश्ते बेहद करीबी हैं. इस देश में ज्यादातर करेंसी रूस की रुबल (Russian ruble) चलती है. सामाजिक-राजनीतिक व्यवस्था से लेकर रियल स्टेट सेक्टर तक सब पर रूस का कब्जा है. यही कारण है कि रूस और उसके नजदीकी चार देशों के अलावा अबखाजिया को किसी अन्य देशों ने अलग देश की मान्यता नहीं दी. आज भी ये देश गुमनामी की जिंदगी जी रहा है.

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