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WHO ने फिर दी Monkeypox को लेकर चेतावनी, जानें इसके पहले केस से टेस्ट किट तक का पूरा अपडेट

WHO ने चेतावनी दी है कि मंकीपॉक्स एक वैश्विक खतरा बनता नजर आ रहा है. इस वायरस से छोटे बच्चों और गंभीर बीमारी से जूझ रहे लोगों को अधिक खतरा हो सकता है.

WHO ने फिर दी Monkeypox को लेकर चेतावनी, जानें इसके पहले केस से टेस्ट किट तक का पूरा अपडेट

Monkeypox Crisis.

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डीएनए हिंदी: विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने मंकीपॉक्स (Monkeypox) को लेकर चिंता जताई है. रविवार को WHO ने कहा कि कई देशों में एक साथ मंकीपॉक्स के मामले आना खतरनाक है. यह एक असामान्य घटना है. इससे पता चलता है कि यह एक अनडिटेक्टेड ट्रांसमिशन है. ऐसे में मामले बढ़ने की भी आशंका है. WHO ने ये भी चेतावनी दी है कि मंकीपॉक्स अब एक वैश्विक खतरा बनता नजर आ रहा है. इस वायरस से छोटे बच्चों और गंभीर बीमारी से जूझ रहे लोगों को अधिक खतरा हो सकता है. 

क्या है मंकीपॉक्स
मंकीपॉक्स एक संक्रामक रोग है. यह निकट संपर्क से फैलता है. सोशल डिस्टेंसिंग और साफ-सफाई का ख्याल रखकर इससे बचा जा सकता है. इसके बारे में बताया जा रहा है कि यह बीमारी भले ही दुर्लभ है लेकिन यह गंभीर रूप से नुकसान पहुंचा सकती है. इसकी शुरुआत बर्ड फ्लू जैसे लक्षणों के साथ होती है. पहले लिम्फ नोड्स में सूजन होती है फिर चेहरे और शरीर पर दाने निकल आते हैं. सामान्य तौर पर इसका संक्रमण दो से चार हफ्तों तक रहता है. बॉडी फ्लुइड, संक्रमित के इस्तेमाल की चीजों, देर तक फेस-टू-फेस कॉन्टेक्ट जैसी चीजों से इसका संक्रमण फैल सकता है.

ये भी पढ़ेंः Monkeypox : अमेरिका और इंग्लैंड के साथ इन देशों में भी आ चुकी है यह बीमारी, क्या India भी है लिस्ट में शामिल ? 

क्या हैं लक्षण
चेचक की तुलना में मंकीपॉक्स का संक्रमण हल्का माना गया है. शरीर पर फफोलों के साथ इसमें बुखार की शिकायत भी होती है. ठंड लगना, सिरदर्द, मांसपेशियों में दर्द, फटीग के साथ फोड़े इस बीमारी के अन्य लक्षण हैं. फिलहाल सतर्कता ही इससे बचाव का एकमात्र रास्ता है. चेचक का टीका इस बीमारी में 85 प्रतिशत लाभकारी बताया गया है.

भारत में Monkeypox
इंडियन मेडिकल काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (ICMR) ने कहा कि भारत में अभी तक मंकीपॉक्स का एक भी केस डिटेक्ट नहीं हुआ है. हालांकि सभी राज्यों को इस बीमारी के लक्षण साझा करके अलर्ट रहने को कहा गया है. समलैंगिक लोगों के लिए इसे लेकर खास एडवाइजरी ज़ारी की गई है.

1970 में मिला था पहला केस 
मंकीपॉक्स का पहला केस डेमोक्रेटिक रिपब्लिक ऑफ़ कांगो (DRC) में 1970 में मिला था. WHO के मुताबिक़ अबतक चार महादेशों में 15 देशों में इस पॉक्स के  मामले देखे गए हैं. 

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WHO ने दी सतर्क रहने की सलाह
दुनिया भर में लगातार बढ़ते मंकीपॉक्स के मामलों के बीच विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) की तरफ से इस बीमारी के सामुदायिक प्रसार के बारे में आशंका भी व्यक्त की जा चुकी है. WHO के मुताबिक मंकीपॉक्स आमतौर पर एक हल्का वायरल संक्रमण है जो कि अफ्रीकी देशों में तेजी से फैल रहा है लेकिन यूरोप और संयुक्त राज्य अमेरिका जैसे गैर-स्थानिक देशों में इसके प्रसार ने चिंता बढ़ा दी है. 

29 देशों में मंकीपॉक्स के मरीज
ब्रिटेन, जर्मनी, इटली समेत दुनिया के करीब 29 देशों में इस बीमारी के मरीज मिल चुके हैं. ऑस्ट्रेलिया, बेल्जियम, कनाडा, फ्रांस, जर्मनी, इटली, नीदरलैंड, पुर्तगाल, स्पेन, स्वीडन, यूके और यूएस में इसके सबसे ज्यादा मामले सामने आ रहे हैं. 

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