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UP Assembly Election 2022: Dadua के बेटे को मानिकपुर से Akhilesh Yadav ने दिया टिकट, क्या इस बार मिलेगी जीत?

मायावती शासन के दौरान 2007 में ददुआ का एनकाउंटर किया गया था. कहा जाता है सपा की नजदीकी की वजह से उसके खिलाफ एक्शन हुआ था.

UP Assembly Election 2022: Dadua के बेटे को मानिकपुर से Akhilesh Yadav ने दिया टिकट, क्या इस बार मिलेगी जीत?

डकैत ददुआ.

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डीएनए हिंदी: उत्तर प्रदेश (UP) का विधानसभा चुनाव (Assembly Election 2022) हो और ददुआ डाकू का जिक्र न हो, ऐसा हो नहीं सकता है. शिव कुमार पटेल उर्फ ददुआ (Dadua) का नाम एक बार फिर चर्चा में है. वजह यह है कि समाजवादी पार्टी (Samajwadi Party) ने बुंदेलखंड की मानिकपुर विधानसभा सीट  (Manikpur Assembly Seat) से ददुआ के बेटे वीर सिंह पटेल (Veer Singh Patel) को टिकट दिया है. सदर विधानसभा कर्वी से अनिल पटेल को टिकट दिया है.

मानिकपुर विधानसभा में कुर्मी वोटरों का दबदबा रहा है. ददुआ को जहां ज्यादातर लोग दुर्दांत डाकू मानते हैं वहीं एक वर्ग देवता के तौर पर उसे देखता है. ऐसे में अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) ददुआ परिवार के नाम का इस्तेमाल कर अपनी सियासी जमीन तैयार कर रहे हैं. वीर सिंह पटेल राजनीति में पहले भी सक्रिय रहे हैं. साल 2006 में मानिकपुर विधानसभा के चुरेह केसरुआ वार्ड से निर्विरोध जिला पंचायत सदस्य भी वीर सिंह पटेल रह चुके हैं.

साल 2012 के विधानसभा चुनाव में वीर सिंह पटेल ने चित्रकूट विधानसभा सीट से सपा के टिकट पर चुनाव लड़ा था और जीत हासिल की थी. 2017 के चुनाव में बीजेपी के चंद्रिका प्रसाद उपाध्याय ने वीर सिंह को शिकस्त दे दी थी. मानिकपुर से आरके सिंह पटेल को जीत मिली थी. सांसद बनने के बाद आनंद शुक्ला उपचुनाव में विधायक चुने गए. बीजेपी ने अभी इस सीट के लिए उम्मीदवार का ऐलान नहीं किया है.

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कौन था ददुआ?
 
डकैत ददुआ और समाजवादी पार्टी का रिश्ता पुराना रहा है. सपा के साथ नजदीकी मायावती को खली. बसपा सुप्रीमो मायावती पॉवर में आईं तो 2007 में उन्‍होंने ददुआ का एनकाउंटर करा दिया. बुंदेलखंड में डाकुओं का आतंक लगाता बना हुआ था. डकैतों ने मानिकपुर को 6 दशकों तक हत्याओं और लूट का पर्याय बनाए रखा था. यहां की सियासत डकैत ही तय करते थे. यहां की स्थिति 2007 से नियंत्रण में आई. राजनीति करने के मामले में डकैत ददुआ अव्‍वल था. उसने 2004 के लोकसभा चुनावों में सपा के लिए प्रचार तक किया. इसके बाद ही उसका एनकाउंटर हो गया. इसके बाद एक के बाद एक करके कई डकैत एनकाउंटर्स में मारे गए. 

सपा के लिए मुश्किल रही है यह सीट!

मानिकपुर सीट से कभी सपा को जीत नहीं मिली. दास्यु ददुआ का साथ भी सपा के काम नहीं आया. 1952 में हुए पहले चुनाव में कांग्रस की टिकट पर दर्शन राम जीते. इसके बाद अगले 3 चुनावों में भी कांग्रेस जीती. फिर जनसंघ के उम्‍मीदचार जीते. बीजेपी भी जीती, बसपा भी जीती लेकिन सपा हमेशा हारी. 2017 के चुनावों में बीजेपी ने बसपा को हराने के लिए मास्‍टर प्‍लान बनाया और बसपा के ही पूर्व विधायक आरके पटेल को टिकट दे दी. पटेल भारी मतों से जीते. 2019 में पटेल के सांसद बनने के बाद उपचुनाव में भी सपा ने इस सीट को जीतने के लिए पूरी ताकत लगा दी लेकिन फिर भी खाली हाथ रह गई. फिलहाल यहां से बीजेपी के आनंद शुक्‍ला विधायक हैं. 

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