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HDFC Bank: कौन हैं हसमुख ठाकोरदास पारेख, जिन्होंने 66 की उम्र में खड़ी कर दी 9 करोड़ रुपये की संपत्ति

HDFC Bank हाल के समय में देश का सबसे बड़ा बैंक बनकर उभरा है. लेकिन क्या आप जानते हैं इसके फाउंडर के बारे में जिन्होंने कभी अपनी जिंदगी एक चॉल में गुजारी थी.

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HDFC Bank: कौन हैं हसमुख ठाकोरदास पारेख, जिन्होंने 66 की उम्र में खड़ी कर दी 9 करोड़ रुपये की संपत्ति

HDFC Bank Founder Hasmukh Thakordas Parekh

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डीएनए हिंदी: भारत के जाने माने एचडीएफसी बैंक (HDFC Bank) के बारे में कौन नहीं जानता होगा. ये बैंक हाल ही में 9 लाख करोड़ से ज्यादा मार्केट कैप के साथ देश का सबसे बड़ा बैंक बन गया है. तो क्या आपको पता है कि इस बैंक के संस्थापक हसमुख ठाकोरदास पारेख (Hasmukh Thakordas Parekh) एक जमाने में मुंबई के चॉल में रहा करते थे. आइए जानते हैं इनके स्ट्रगल के बारे में. 

हसमुख को बैंकिग की शिक्षा उनके पिता ने दिया था. इन्होंने मुबंई से अपनी ग्रेजुएशन की पढ़ाई पूरी की इसके बाद इन्होने हायर एजुकेशन के लिए लंदन की ओर रूख किए. लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स से बैंकिग और फाइनेंस में बीएससी किया. ब्रिटेन में पढ़ाई पूरी करने के बाद ठाकरेदास भारत आए. यहां ये मुंबई के फेमस सेंट जेवियर्स कॉलेज में लेक्चरर बन गए.

इसके बाद ठाकोरदास अपने दोस्त जो कि स्टॉक ब्रोकिंग फर्म चलाते थे हरकिसनदास लखमीदास के साथ मिलकर फाइनेंशियल मार्केट में अपने बेहतर करियर की नींव रखी. ये आईसीआईसीआई बैंक (ICICI Bank) में 16 साल काम करने के बाद अपने रिटायरमेंट से कुछ समय पहले उप महाप्रबंधक से अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक तक बन गए थे.

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जहां लोग 66 वर्ष की उम्र में रिटायर होते हैं तो घर पर अपने परिवार के साथ समय व्यतीत करते है. उस समय ठाकोरदास भारत के मध्यम वर्ग के घर लेने के सपने को पूरा करने के लिए बेहतर आइडिया तलाश कर रहे थे. इन्होनें साल 1977 में एक फाइनेंशियल इंस्टीट्यूशन के रूप में एचडीएफसी (HDFC) की स्थापना की और अगले ही साल 1978 में इस बैंक ने अपना पहला होम लोन शुरू किया था.

साल 1984 तक एचडीएफसी ने 100  करोड़ रुपये से ज्यादा का वार्षिक लोन देने का परमिशन दे दिया था. इसके बाद 1992 में हसमुख ठाकोरदास पारेख को भारत सरकार ने पद्म भूषण सम्मान से सम्मानित किया था. अब एचडीएफसी और एचडीएफसी बैंक दोनों को एक में मिला दिया गया. इनके विलय से एचडीएफसी बैंक की कुल रकम बढ़कर 14.14  लाख करोड़ रुपये हो गई.

बता दें कि, हसमुख ठाकोरदास पारेख के भतीजे दीपक पारेख (Deepak Parekh) एचडीएफसी बैंक के पूर्व चेयरमैन थे. ठाकोरदास ने जब इस बैंक की स्थापना की उस समय इन्हें बिजनेस संभालने के लिए किसी की मदद की जरूर पड़ी. तब इन्होंने अपने भतीजे दीपक पारेख को अपनी मदद के लिए लंदन से बुलाकर अपने बिजनेस में जोड़ लिया.

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