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GST Rule Changed: अब नियोक्ता को मिलने वाले भत्तों पर नहीं लगेगा जीएसटी, जानिए नया नियम

GST: केंद्रीय अप्रत्यक्ष कर और सीमा शुल्क बोर्ड ने उद्योग की लंबे समय से चली आ रही मांग को लेकर एक सर्कुलर जारी किया है. इसमें कहा गया है कि नियोक्ता और कर्मचारी के बीच हुए समझौते में कर्मचारी को मिलने वाली सुविधाएं और भत्ते भी शामिल हैं. इसलिए इस पर अलग से जीएसटी लगाने का कोई औचित्य नहीं है.

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डीएनए हिंदी: नियमित और संविदा कर्मचारियों (contract employees) के लिए बड़ी खबर है. उन्हें नियोक्ता से मिलने वाले भत्तों और सुविधाओं पर कोई जीएसटी (GST) नहीं देना होगा. केंद्रीय अप्रत्यक्ष कर और सीमा शुल्क बोर्ड (CBIC) ने इस संबंध में एक सर्कुलर जारी कर स्पष्ट किया है. सीबीआईसी के मुताबिक नियोक्ता द्वारा कर्मचारी को दी जाने वाली सुविधाओं और भत्तों को जीएसटी के दायरे से बाहर रखा गया है. ऐसे मामलों में, जुर्माना तभी लगाया जाएगा जब नकली चालान के माध्यम से उत्पाद की आपूर्ति (supply of product) किए बिना कर की चोरी की जाएगी. सीबीआईसी ने यह सर्कुलर हाल ही में जीएसटी काउंसिल (GST Council) की बैठक में लिए गए फैसलों के बाद जारी किया है.

क्या होगा फैसले का असर

टैक्स एक्सपर्ट्स का कहना है कि सर्कुलर टैक्स की मांग को कम करने में मददगार साबित होगा. साथ ही फर्जी चालान के मामलों में गिरफ्तारी पर भी रोक लगेगी. इसके अलावा अदालतों पर मुकदमों का बोझ भी कम होगा. अभी तक कर्मचारियों को मिलने वाली सुविधाओं और भत्तों पर जीएसटी को लेकर असमंजस की स्थिति बनी हुई थी. इस कारण सभी फील्ड अधिकारियों ने मामले पर स्पष्टीकरण की मांग की थी.

फील्ड अधिकारियों ने संविदा कर्मचारियों को नियोक्ता द्वारा प्रदान किए जाने वाले लाभों और भत्तों पर जीएसटी (GST) के संबंध में स्पष्टीकरण मांगा था. इस पर सीबीआईसी (CBIC) ने स्पष्ट किया है कि कर्मचारी द्वारा कंपनी को दी जाने वाली सेवाओं पर न तो जीएसटी लगेगा और न ही नियोक्ता द्वारा कर्मचारी को दी जाने वाली सुविधाओं और भत्तों पर जीएसटी लगेगा.

केपीएमजी (KPMG) के टैक्स पार्टनर अभिषेक जैन ने कहा कि सीबीआईसी (CBIC) के इस सर्कुलर ने उद्योग की लंबे समय से चली आ रही मांग को पूरा किया है. उद्योग ने कहा कि कर्मचारी को दी जाने वाली सुविधाएं और भत्ते उसके और नियोक्ता के बीच हुए समझौते का हिस्सा हैं. इसलिए उन पर जीएसटी नहीं लगाया जाना चाहिए.
 
एक अन्य सर्कुलर में सीबीआईसी (CBIC) ने उद्योग और कर अधिकारियों को स्पष्ट किया है कि फर्जी चालान के मामले में मांग और जुर्माना लगाया जाएगा. ऐसे कई मामले सामने आए हैं जहां पंजीकृत व्यक्ति ने टैक्स इनवॉइस जेनरेट किया है लेकिन उत्पादों या सेवाओं की आपूर्ति नहीं की है. ऐसे फर्जी इनवॉयस के जरिए इनपुट टैक्स क्रेडिट का दावा किया गया था.
इस सर्कुलर का मतलब समझाते हुए टैक्स एक्सपर्ट ने कहा कि सामान या सेवाओं की सप्लाई के लिए सप्लायर पर कोई जीएसटी (GST) नहीं लगेगा, लेकिन फर्जी इनवॉयस के मामले में पेनाल्टी लगाई जाएगी. एक बार जीएसटी अधिनियम के तहत प्राप्तकर्ता पर जुर्माना लगाया गया है तो फिर से उसी अपराध के लिए जीएसटी नहीं लगाया जाएगा. इससे गिरफ्तारियों की संख्या में कमी आएगी और कर मांगों की संख्या में भी कमी आएगी.
 

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