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अभी और बढ़ सकते हैं Petrol Diesel के दाम, 50,000 करोड़ का हो चुका है नुकसान

पेट्रोल डीजल के दाम देश में 7वीं बार बढ़े हैं. संभावनाएं है कि अभी इनमें और बढ़ोतरी हो सकती है. पढ़ें अभिषेक सांख्यायन की विशेष रिपोर्ट

अभी और बढ़ सकते हैं Petrol Diesel के दाम, 50,000 करोड़ का हो चुका है नुकसान
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डीएनए हिंदी:  पांच राज्यों के चुनाव खत्म होने के बाद से ही देश में पेट्रोल-डीजल की कीमतों (Petrol-Diesel Price) में लगातार बढ़ोतरी हो रही है. पिछले 8 दिनों में 7 बार तेल के दाम बढ़ चुके हैं. अब तक पेट्रोल कुल 4.90 पैसे महंगा हो चुका है. रुस और यूक्रेन युद्ध (Russia-Ukraine War) से पहले ही तेल के दामों में तेजी थी लेकिन युद्ध के बाद ये अपने उच्चतम स्तर के आस-पास बने हुए हैं. ऐसे में 137 दिनों के बाद सरकार ने भी दाम बढ़ाने शुरु कर दिए. ऐसे में आशंका यह है कि आने वाले समय में भी पेट्रोल-डीजल के दामों में और बढ़ोतरी हो सकती है और ग्राहकों को अभी और अधिक कीमत चुकानी पड़ सकती है. 

50,000 करोड़ का हुआ है नुकसान

दरअसल, सरकार के लिए बहुत ज्यादा विकल्प मौजूद नहीं हैं. सरकार ने 4 नवंबर के बाद से पेट्रोलियम पदार्थों में कोई परिवर्तन नहीं किया था. इसका मतलब है कि नवंबर, दिसंबर, जनवरी, फरवरी और मार्च महीने में सरकार ने बढ़ी हुई लागत मूल्य के भार को चुनावी कारणों से जनता पर नहीं डाला लेकिन इस वजह से सरकार को 50,000 करोड़ से ज्यादा का नुक्सान सिर्फ क्रूड ऑयल में हो चुका है. पिछले लगभग चार  महीनों का नुकसान और अंतर्राष्ट्रीय मार्केट में लगातार बढ़ रही कीमतें पेट्रोल-डीजल की बढ़ोतरी में एक बड़ी वजह बन रही है. 

महीने कच्चे तेल का आयात बिल घाटा ( करोड़ में)
अक्टूबर 72,052 -
नवंबर  79,010 6,957
दिसंबर  82,487 10,434
जनवरी  86,582 14,529
फरवरी 87,248 15,196
मार्च - -
कुल - 47116

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कितनी बढ़ सकती हैं कीमतें

अक्टूबर महीने में देश ने कच्चे तेल की कीमत 80 डॉलर प्रति बैरल चुकाई थी. फरवरी माह में यही प्रति बैरल क्रूड ऑयल की कीमत 38 प्रतिशत बढ़कर 108 डॉलर हो गई. अगर रुपयों में बात की जाए तो देश में कच्चे तेल की औसत कीमत जो चार महीने पहले 37 रु प्रति लीटर थी. वो अब मार्च में 51 रु तक पहुंच गई है. यानि करीब 14 रुपए बढ़ चुकी है. ऐसे में पेट्रोल में अगर सरकार सिर्फ बढ़े हुए लागत मूल्य को ही जनता से वसूलती है तो दिल्ली में पेट्रोल 110 रु तक पहुंच सकता है. ऐसे में यह संकेत स्पष्ट करते हैं कि आने वाले दिनों में जनता पर महंगाई का बड़ा दबाव बड़ सकता है. 

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