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Uttar Pradesh में गन्ना कर रहा महिला सशक्तिकरण, एक सरकारी योजना से 59 हजार महिलाएं बनीं 'बिजनेसमैन'

एशिया का शुगर बाउल कहलाने वाले उत्तर प्रदेश में गन्ना ही आय का सबसे बड़ा साधन है. गन्ने के हर हिस्से का औद्योगिक उपयोग होता है. सरकार की नई पहल ने किसानों के साथ ही उनके घरों की महिलाओं के लिए भी गन्ने से आय के साधन खोल दिए हैं.

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डीएनए हिंदी: उत्तर प्रदेश में गन्ना हमेशा से सबसे ज्यादा चर्चा का विषय रहा है. हालांकि प्रदेश की अर्थव्यवस्था की रीढ़ कहलाने वाली यह फसल अमूमन निगेटिव कारणों से ही चर्चा में रही है, लेकिन अब गन्ना महिला सशक्तिकरण का भी कारण बन गया है.

आप सोच रहे होंगे कि खेती का काम तो मुख्य रूप से पुरुष ही संभालते हैं, फिर गन्ने की फसल से महिलाएं कैसे आगे बढ़ रही हैं? चलिए हम आपको बताते हैं. दरअसल प्रदेश सरकार की एक योजना ने 59 हजार से ज्यादा महिलाओं को रोजगार दिया है. यह महज रोजगार नहीं है बल्कि ये महिलाएं एक तरीके से 'बिजनेसमैन' बन गई हैं और सालाना 2 लाख रुपये तक कमा रही हैं.

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महिला स्वयं सहायता समूहों को जोड़ा है गन्ने की खेती से

दरअसल प्रदेश के गन्ना विकास विभाग ने ग्रामीण महिलाओं को गन्ने की आधुनिक खेती से जोड़ा है. इसके लिए अनूठी पहल के तहत प्रदेश के 37 जिलों में 3,003 महिला स्वयं सहायता समूहों (Women Self help Group) का गठन किया गया है. गन्ना विकास विभाग और चीनी उद्योग के अपर मुख्य सचिव संजय आर भूसरेड्डी के मुताबिक, इन समूहों से कुल 58,905 महिलाएं जुड़ी हुई हैं. इन महिलाओं को गन्ना विकास विभाग ने सिंगल बड और सिंगल बड चिप विधि से गन्ना पौध तैयार करने की ट्रेनिंग दी है.

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समूह को हो रही सालाना 27 लाख रुपये तक कमाई

भूसरेड्डी के मुताबिक, सीएम योगी आदित्यनाथ (Yogi Adityanath) की पहल पर शुरू हुई इस योजना में ये महिलाएं अब तक करीब 24.6 करोड़ सीडलिंग तैयार कर चुकी हैं, जिनसे गन्ने की नई आधुनिक किस्मों का करीब 78.75 लाख कुंतल बीज किसानों तक पहुंचाने के लिए उपलब्ध हुआ है. उन्होंने बताया कि औसतन चार माह के सीडलिंग उत्पादन और वितरण के जरिए हर समूह सालाना 75,000 रुपये से लेकर 27 लाख रुपये तक की कमाई कर रहा है, जिसे समूह की हर महिला को सालाना 7,500 रुपए से दो लाख रुपये की आय हो रही है. उन्होंने कहा कि यह आय आगे और बढ़ाने की कोशिश की जा रही है. आधुनिक बीच मिलने से किसानों का भी फसल उत्पादन बढ़ेगा और इससे उनकी आय भी बढ़ जाएगी.

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दावा- गन्ना अब गुड़-चीनी ही नहीं करीब 70 लाख रोजगार भी दे रहा

राज्य सरकार का दावा है कि गन्ने से अब प्रदेश में गुड़-चीनी ही नहीं मिल रही है बल्कि करीब 70 लाख लोगों को रोजगार भी मिल रहा है. सरकार का कहना है कि प्रदेश की चीनी मिलों में जहां करीब 1.5 लाख लोगों को स्थायी व अस्थायी रोजगार मिला है, वहीं करीब आठ लाख लोगों को अप्रत्यक्ष रोजगार भी चीनी उद्योग के जरिए हासिल हुआ है. 

साथ ही ग्रामीण क्षेत्रों में करीब 10 लाख दैनिक मजदूर गन्ना छिलाई और कटाई का काम कर रहे हैं. सरकार के मुताबिक, प्रति हेक्टेयर गन्ना उत्पादन से साल के 365 में से करीब 288 मानव दिवस का रोजगार मिलता है. प्रदेश में इस बार कुल 27.60 लाख हेक्टेयर क्षेत्रफल में गन्ना उत्पादन हुआ है, जिससे करीब 7,949 लाख मानव दिवस रोजगार पैदा हुआ है. इसके अलावा प्रदेश में करीब 50 लाख किसानों के रोजगार का माध्यम भी गन्ना उत्पादन ही है.

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सपा-बसपा के कार्यकाल का भी किया भुगतान

राज्य सरकार ने बताया कि अब तक 1,77,839 करोड़ रुपये का गन्ना मूल्य दिया जा चुका है. इसमें सपा सरकार के समय के बकाये 10,647 करोड़ रुपये और बसपा सरकार के समय के बकाये के 12.80 करोड़ रुपये भी शामिल हैं. 

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