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Who is Deputy Chief Minister: उप-मुख्यमंत्री क्या करते हैं और इनकी मंत्रिमंडल में कितनी होती है ताकत? जानिए सबकुछ 

उप-मुख्यमंत्री टर्म आज से कुछ साल पहले राजनीति में उतना परिचित नहीं था लेकिन अब ये आम हो चला है.

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डीएनए हिंदी: महाराष्ट्र में उद्धव ठाकरे के मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देने के बाद नई सरकार के गठन की तैयारी तेज हो गई है. बीजेपी (BJP) और शिवसेना (Shiv Sena) के बागी विधायक मिलकर सरकार बना सकते हैं. मंत्रिमंडल में किसी क्या भूमिका होगी इसे लेकर बातचीत लगभग पूरी हो चुकी है. सूत्रों का कहना है कि एकनाथ शिंदे (Eknath Shinde) को डिप्टी सीएम (Deputy Chief Minister) का पद दिया जा सकता है. इतना ही नहीं शिंदे गुट के 8 विधायकों को मंत्री पद भी दिया जा सकता है. उप-मुख्यमंत्री टर्म आज से कुछ साल पहले राजनीति में उतना परिचित नहीं था लेकिन अब ये आम हो चला है. जानिए, उप-मुख्यमंत्री आखिर क्या करते हैं.

क्या संवैधानिक पद है डिप्टी सीएम?
उप-मुख्यमंत्री (Deputy Chief Minister) पद संवैधानिक नहीं है. इस पद पर आसीन व्यक्ति को मुख्यमंत्री की शक्तियां प्राप्त नहीं होतीं और न ही वो मुख्यमंत्री की अनुपस्थिति में प्रदेश की अगुवाई कर सकता है. मुख्यमंत्री कई मौकों पर सूबे से बाहर यात्रा के दौरान जरूरी राजकीय कार्यों को पूर्ण करने के लिए अपने किसी वरिष्ठ मंत्री को जिसे वह उचित समझें कुछ शक्तियां दे सकते हैं. संविधान में वाकई में उप-मुख्यमंत्री जैसे किसी पद का उल्लेख नहीं है. यहां तक कि शपथ-ग्रहण समारोह के दौरान डिप्टी सीएम अलग से शपथ लें, ऐसा तक नहीं होता है.

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कितनी होती है ताकत?
चूंकि डिप्टी सीएम का पद कोई संवैधानिक पद नहीं है इसलिए इन्हें अलग से भी कोई ताकत नहीं मिलती है. अगर ये पद संविधान में होता, तो कोई जानकारी या फाइल प्रॉपर चैनल से होते हुए ऊपर जाती, यानी पहले फाइल उप-मुख्यमंत्री के पास पहुंचती और वहां से मुख्यमंत्री तक जाती. लेकिन ऐसा है नहीं. उप-मुख्यमंत्री वही विभाग देख सकता है, जो उसे सौंपे जाएं. उप मुख्यमंत्री को दूसरे मंत्रियों से अलग कोई भत्ता या सुविधा भी नहीं मिलती है. वह सिर्फ अपने विभागों के लिए ही जिम्मेदार होता है.   

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सुप्रीम कोर्ट तक गया था मामला
उपमुख्यमंत्री की उप प्रधानमंत्री का भी पद संवैधानिक पद नहीं होता है. इसका मामला सुप्रीम कोर्ट तक गया था. बात 1989 की है. तत्कालीन रामास्वामी वेंकटरमण तब देवीलाल चौधरी को शपथ दिला रहे थे. देवीलाल चौधरी को मंत्रीपद की शपथ लेनी थी लेकिन वह बार-बार खुद को उप प्रधानमंत्री बोल रहे थे. ऐसे में उन्हें टोकना पड़ा. बाद में मामला सुप्रीम कोर्ट भी पहुंचा. कोर्ट ने इस मामले में साफ कहा कि भले वे खुद को उप-प्रधानमंत्री मानें लेकिन उनके अधिकार केंद्रीय मंत्री जैसे ही रहेंगे क्योंकि संविधान में ये टर्म नहीं है. यही बात डिप्टी सीएम पद पर भी लागू होती है.

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