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क्या है 'मिनी कॉन्स्टीट्यूशन' ? PM Modi ने संसद में खोला कांग्रेस का काला चिठ्ठा

Parliament session 2024: लोकसभा में PM Modi के भाषण के बाद 'मिनी कॉन्स्टीट्यूशन' चर्चा में आ गया है. कांग्रेस को घरते हुए PM मोदी ने सदन में राहुल गांधी पर जमकर निशाना साधा और 38वें, 39वें संविधान संशोधन पर चर्चा की. आइए जातने है क्या है 'मिनी कॉन्स्टीट्यूशन' ?

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क्या है 'मिनी कॉन्स्टीट्यूशन' ? PM Modi ने संसद में खोला कांग्रेस का काला चिठ्ठा
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PM Narendra Modi: लोकसभा में आज राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव पर हुई चर्चा का जवाब देते हुए PM Modi ने कांग्रेस पर जमकर निशना साधा हैं. PM Modi ने सदन में भाषण देते हुए राहुल गांधी को आड़े हाथों लिया. यहां तक कि उन्होंने कांग्रेस को परजीवी पार्टी तक बता दिया. 

मिनी कॉन्स्टीट्यूशन

आपातकाल का जिक्र करते हुए PM Modi कहा कि 'संविधान की आत्म को छिन्न-भिन्न करने का पाप इन्हीं लोगों ने किया था. 38वां, 39वां और 42वां संविधान संशोधन, जिन्हें मिनी कॉन्स्टीट्यूशन के रूप में कहा जाता था. ये सब क्या था. आपके मुंह से संविधान की रक्षा शब्द शोभा नहीं देता है. ये पाप करके आप बैठे हुए हो.'

38वां और 39वां संशोधन
दरअसल संविधान में 38वां संशोधन 22 जुलाई 1975 को इमरजेंसी लगने के बाद इंदिरा गांधी की सरकार द्वारा किया गया था. इस संशोधन में न्यायपालिका से आपातकाल की न्यायिक समीक्षा का अधिकार छीना लिया गया था. संविधान में 39वां संशोधन 38वें संशोधन के करीब 2 महीने बाद हुआ था.  ये संशोधन इसलिए हुआ था, क्योंकि इलाहाबाद हाईकोर्ट ने इंदिरा गांधी का चुनाव रद्द कर दिया था. हाईकोर्ट ने फैसले में चुनाव में धांधली होने की बात कही थी.


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42वां संशोधन
अभी तक संविधान में जितने भी संशोधन हुए है उनमें से सबसे विवादित 42वां संशोधन रहा है. ये संशोधन 1976 में हुआ था. इसे ही "मिनी कॉनस्टीट्यूशन" के नाम से जाना जाता है. इस संशोधन के जरिए संविधान की प्रस्तावना में 3 नए शब्द-समाजवादी, धर्मनिरपेक्ष और अखंडता जोड़े गए थे. इसके बाद 1977 में केंद्र में जनता पार्टी की सरकार बनी, पार्टी ने इसे संविधान के 44 वें संशोधन के जरिए पूरी तरह से हटा दिया. 
 
संशोधन की सबसे खास बात
इस संशोधन की सबसे खास बात ये थी कि किसी भी आधार पर संसद के फैसले को अदालत में चुनौती नहीं दी जा सकती. सांसदों और विधायकों की सदस्यता को भी कोर्ट में चुनौती नहीं दी जा सकती थी. इस संशोधन में संसद का कार्यकाल भी 5 साल से बढ़ाकर 6 साल कर दिया था.   

1977 का चुनाव...
पीएम मोदी ने कहा, 'अब भी फेक नैरेटिव चलाते रहेंगे क्या? आप भूल गए 1977 का चुनाव... अखबार बंद थे, रेडियो बंद थे, बोलना भी बंद थे. और एक ही मुद्दे पर देशवासियों ने वोट दिया था, लोकतंत्र की पुनर्स्थापना के लिए वोट दिया था, संविधान की रक्षा के लिए पूरे विश्व में इससे बड़ा चुनाव नहीं हुआ है. भारत के लोगों की रगों में लोकतंत्र किस प्रकार से जीवित है, 1977 के चुनाव ने दिखा दिया.'

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