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PFI Banned: क्या है PFI? नरेंद्र मोदी सरकार ने इस वजह से लगाया बैन

What is PFI: यह मुस्लिम संगठन उस समय देश में सुर्खियों में आया था जब इससे जुड़े लोगों ने केरल में एक कॉलेज के ईसाई प्रोफेसर का हाथ काट दिया था.

PFI Banned: क्या है PFI? नरेंद्र मोदी सरकार ने इस वजह से लगाया बैन

प्रतीकात्मक तस्वीर

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डीएनए हिंदी: केंद्र सरकार ने PFI और उससे जुड़े कई संगठनों पर बैन (PFI Banned) लगा दिया है. PFI पर 5 साल के लिए बैन लगाया गया है. केंद्र सरकार की कई एजेंसियां पिछले कई दिनों से PFI के खिलाफ लगातार एक्टिव थीं. देशभर में PFI के ठिकानों पर छापे मारे जा रहे हैं. इन छापों के दौरान मिले सबूतों के आधार पर बड़ी संख्या में PFI के कार्यकर्ताओं को गिरफ्तार किया गया है. अब आधी रात इस संगठन पर बैन लगाया दिया गया है. केंद्र सरकार ने PFI के अलावा रिहैब इंडिया फाउंडेशन (RIF), कैंपस फ्रंट ऑफ इंडिया (CFI), अखिल भारतीय इमाम परिषद (AIIC), मानवाधिकार संगठन के राष्ट्रीय परिसंघ (NCHRO), नेशनल विमेंस फ्रंट, जूनियर फ्रंट और एम्पावर इंडिया फाउंडेशन और रिहैब फाउंडेशन, केरल को भी गैर-कानूनी संगठन घोषित किया गया है. आइए आपको बताते हैं कैसा संगठन है PFI.

क्या है PFI?
PFI एक इस्लामिक संगठन है. इसकी स्थापना साल 2006 में की गई थी. बैन होने से पहले तक इस संगठन ने पूरे देश में अपनी जड़ें फैला ली थीं. केरल, कर्नाटक, तमिलनाडु, उत्तर प्रदेश, दिल्ली, गुजरात, राजस्थान, महाराष्ट्र, पश्चिम बंगाल, असम और मणिपुर में इस मुस्लिम संगठन ने अपना अच्छी खास पैठ बना ली थी. PFI खुद को "अल्पसंख्यकों, दलितों और हाशिए पर पहुंच चुके लोगों के अधिकारों के लिए लड़ने वाला संगठन" बताता है. इसकी स्थापना साउथ इंडिया के तीन इस्लामिक संगठनों- नेशनल डेमोक्रेटिक फ्रंट, कर्नाटक फोरम फॉर डिग्निटी और मनीथा नीथी पासराय को मिलाकर की गई थी. सुरक्षा एजेंसियां शुरू से नेशनल डेवलेपमेंट फ्रंट (NDF) को कट्टरपंथी इस्लामी संगठन मानती रही हैं जिसकी जिले बाबरी विध्वंस के एक साल बाद बनाया गया था.

पढ़ें- PFI को लेकर केंद्र सरकार का बड़ा फैसला, 5 साल के लिए लगाया बैन

PFI पर विवाद क्यों?
इस्लामिक संगठन PFI पर बार-बार दंगों, हत्याओं और आतंकवादी संगठनों से संबंध रखने का आरोप लगता रहा है. साल 2012 में केरल के तत्कालीन मुख्यमंत्री ओमन चांडी ने हाई कोर्ट को बताया कि PFI प्रतिबंधित संगठन सिमी के बदले हुए रूप के अलावा कुछ नहीं है". केरल में PFI पर RSS के कार्यकर्ताओं का आरोप लगता रहा है. यह विवादित संगठन 'लव जिहाद' की घटनाओं, जबरन धर्म परिवर्तन, नागरिकता (संशोधन) अधिनियम के खिलाफ देश के विभिन्न हिस्सों में हिंसक विरोध प्रदर्शनों में अपनी भूमिका, मुस्लिम युवाओं को कट्टरपंथी बनाने, धन शोधन एवं प्रतिबंधित समूहों से संपर्क को लेकर विभिन्न एजेंसियों की निगाह में था.

पढ़ें- PFI News: SIMI का बदला हुआ रूप है पीएफआई?

प्रतिबंधित संगठन SIMI से जुड़े थे कई पदाधिकारी
PFI उस समय सुर्खियों में आया था जब उससे जुड़े लोगों ने केरल में एक कॉलेज के ईसाई प्रोफेसर का हाथ काट दिया था. इसके अलावा उस संगठन पर अन्य धर्मों को मानने वाले संगठनों से जुड़े लोगों की निर्मम हत्याएं, विस्फोटकों का संग्रह, प्रमुख लोगों और स्थानों को निशाना बनाना, इस्लामिक स्टेट को समर्थन और सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाने का भी आरोप है. PFI पहले से ही झारखंड सहित कई राज्यों में पहले से बैन है. PFI के कई पदाधिकारी स्टूडेंट्स इस्लामिक मूवमेंट ऑफ इंडिया (सिमी) से जुड़े पाए गए हैं. यह पहले से ही एक प्रतिबंधित संगठन है. PFI को कथित तौर पर खाड़ी देशों में स्थित अपने हमदर्दों, जिनमें ज्यादातर भारतीय शामिल हैं, उनसे धन प्राप्त होता है.

पढ़ें- PFI समर्थकों ने पुणे में लगाए 'पाकिस्तान जिंदाबाद' के नारे, पुलिस ने की सख्त कार्रवाई

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