Twitter
Advertisement
  • LATEST
  • WEBSTORY
  • TRENDING
  • PHOTOS
  • ENTERTAINMENT

Mathura के 22 वार्डों में मांस बिक्री पर रोक की याचिका खारिज! Allahabad High Court ने कही बड़ी बात

Allahabad High Court ने कहा एकसूत्र में बांधकर रखना चाहते हैं तो हमें सहिष्णुता का भाव रखना होगा.

Mathura के 22 वार्डों में मांस बिक्री पर रोक की याचिका खारिज! Allahabad High Court ने कही बड़ी बात
FacebookTwitterWhatsappLinkedin

TRENDING NOW

डीएनए हिंदीः इलाहाबाद उच्च न्यायालय (Allahabad High Court) ने मथुरा और वृंदावन (Mathura & Vrindavan) के 22 वार्डों में मांस और अन्य मांसाहारी वस्तुओं (Meat Items) की बिक्री पर प्रतिबंध को चुनौती देने वाली एक जनहित याचिका खारिज कर दी है. राज्य सरकार ने 10 सितंबर, 2021 की अधिसूचना के तहत मथुरा-वृंदावन नगर निगम के 22 वार्डों को‘'तीर्थ स्थल’ के रूप में अधिसूचित किया है.

अदालत ने कहा, ‘‘भारत विविधताओं से भरा देश है और यदि हम अपने देश को एकसूत्र में बांधकर रखना चाहते हैं तो हमें सहिष्णुता का भाव रखना होगा और सभी समुदायों का सम्मान करना होगा.’’ न्यायमूर्ति प्रितिंकर दिवाकर और न्यायमूर्ति आशुतोष श्रीवास्तव की पीठ ने कहा, ‘‘हमें सरकार की उस अधिसूचना से संविधान के किसी भी प्रावधान का उल्लंघन होता नहीं नजर आता है. किसी भी स्थान को तीर्थ का पवित्र स्थान घोषित करना सरकार का विशेषाधिकार है.’’ 

ये भी पढ़ेंः Uttar Pradesh: खुशखबरी! CM योगी ने दिया 10 हजार पैरामेडिकल स्टॉफ की नियुक्ति का निर्देश

अदालत के समक्ष दलील दी गई कि याचिकाकर्ता मथुरा जिला का स्थायी निवासी हैं और पार्षद के तौर पर निर्वाचित एक सामाजिक कार्यकर्ता हैं. मथुरा शहर में कुल 70 वार्ड हैं. राज्य सरकार ने 10 सितंबर 2021 को एक अधिसूचना जारी कर मथुरा-वृंदावन के 22 वार्ड को पवित्र स्थल के तौर पर अधिसूचित कर दिया था.

अपर मुख्य सचिव (धर्मार्थ कार्य विभाग) ने मथुरा के इन 22 वार्डों को पवित्र तीर्थस्थल घोषित किया, जिसके बाद 11 सितंबर को मथुरा के जिला खाद्य सुरक्षा अधिकारी ने इन इलाकों में मांस की दुकानों और रेस्तरां के लाइसेंस निरस्त कर दिए गए.अदालत ने हाल में इस जनहित याचिका को खारिज करते हुए कहा कि उक्त अधिसूचना को अदालत के समक्ष चुनौती नहीं दी गई और मथुरा के जिलाधिकारी को याचिकाकर्ता के प्रतिवेदन पर विचार करने का निर्देश देने का अनुरोध किया गया था.

यह भी पढ़ेंः Covid-19: दिल्ली में मिले 600 से ज्यादा नए मामले, एक्टिव केस 1900 के पार

अदालत ने कहा कि यह प्रतिबंध 22 वार्डों के संबंध में लगाया गया है और यह शहर के अन्य वार्ड पर लागू नहीं है इसलिए यह पूर्ण प्रतिबंध नहीं है. याचिकाकर्ता का यह आरोप कि राज्य के अधिकारी प्रतिबंधित वस्तुओं के परिवहन को लेकर उपभोक्ताओं को परेशान कर रहे हैं.

राज्य सरकार के वकील ने कहा कि केवल 22 वार्डों में प्रतिबंध लगाए जाने से भारत के संविधान के अनुच्छेद 19(1) (जी) और अनुच्छेद 19(6) के तहत किसी मौलिक अधिकार का उल्लंघन प्रतीत होता है. ऐसा नहीं कहा जा सकता है. इसी तरह के प्रतिबंध दर्शन कुमार एवं अन्य बनाम उत्तर प्रदेश सरकार के मामले में ऋषिकेश नगर क्षेत्र में लगाया गया है. 

गूगल पर हमारे पेज को फॉलो करने के लिए यहां क्लिक करें. हमसे जुड़ने के लिए हमारे फेसबुक पेज पर आएं और डीएनए हिंदी को ट्विटर पर फॉलो करें.

Advertisement

Live tv

Advertisement

पसंदीदा वीडियो

Advertisement