Twitter
Advertisement
  • LATEST
  • WEBSTORY
  • TRENDING
  • PHOTOS
  • ENTERTAINMENT

मणिपुर हिंसा: दिखते ही गोली मारने का आदेश जारी, पढ़ें क्या है बवाल का कारण और कैसे हैं मौजूदा हालात

Manipur Violence: राज्य सरकार ने हिंसा के बाद सख्त रुख अपनाया है. पहले ही 8 जिलों में धारा 144 लागू करते हुए राज्य में मोबाइल आधारित इंटरनेट सेवाएं भी 5 दिन के लिए बंद कर दी गई थीं.

मणिपुर हिंसा: दिखते ही गोली मारने का आदेश जारी, पढ़ें क्या है बवाल का कारण और कैसे हैं मौजूदा हालात

Manipur Violence

FacebookTwitterWhatsappLinkedin

TRENDING NOW

डीएनए हिंदी: Manipur News- मणिपुर में आदिवासी बनाम गैर आदिवासी विवाद के बीच बुधवार को भड़की हिंसा का असर गुरुवार को भी दिखाई दिया. इसके चलते राज्य सरकार ने सख्त रवैया अपना लिया है. राज्य सरकार ने दंगाइयों को देखते ही गोली मारने का आदेश जारी किया है, जिसे राज्यपाल ने भी मंजूरी दे दी है. इससे पहले हिंसा से प्रभावित 8 जिलों में राज्य सरकार ने धारा 144 लागू कर दी थी. साथ ही अगले पांच दिन के लिए राज्य में मोबाइल आधारित इंटरनेट सेवाएं भी बंद करने का आदेश जारी कर दिया था. हालांकि ब्रॉडबैंड इंटरनेट सेवाएं चालू रहेंगी.

केंद्र ने भी तैनात कर दी है अतिरिक्त फोर्स

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने मणिपुर के मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह से फोन पर बात कर हालात की जानकारी ली है. इसके बाद केंद्र सरकार ने मणिपुर में रैपिड एक्शन फोर्स की 5 अतिरिक्त कंपनियों को मणिपुर में तैनात कर दिया है. असम राइफल्स की 34 और भारतीय सेना की 9 कंपनियां पहले ही राज्या में तैनात हैं. राज्य के मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह ने वीडियो मैसेज जारी कर लोगों से शांत रहने की अपील की है. गुरुवार को राज्य के अधिकतर हिस्से में छिटपुट हिंसक घटनाओं के अलावा शांति रही है.

Order

ये 8 जिले हुए हैं प्रभावित

राज्य के 8 जिलों इंफाल वेस्ट, काकचिंग, थोउबाल, जिरिबाम, बिष्णुपुर, चुराचांदपुर, कांगपोकपी और तेंगनौपाल हिंसा से सबसे ज्यादा प्रभावित हुए हैं. बताया जा रहा है कि करीब 9 हजार लोगों को हिंसा प्रभावित इलाकों से रेस्क्यू कर सुरक्षित जगह पहुंचाया गया है.

क्या है मणिपुर हिंसा की जड़ में विवाद

राज्य में यह हिंसा 'पहाड़ बनाम घाटी' की जंग है. राज्य का 90 फीसदी इलाका पहाड़ी है, लेकिन वहां रहने वाली नागा और कुकी आदिवासी आबादी राज्य की कुल आबादी का 40 फीसदी है. राज्य में आदिवासी संरक्षण के लिए तय कानूनी प्रावधानों के तहत  पहाड़ी इलाकों में केवल वो आदिवासी समुदाय ही बस सकता है, जो अनुसूचित जनजातीय (ST) में दर्ज है. इस प्रावधान के कारण घाटी में बसा मैतेई समुदाय राज्य की आबादी में 53 फीसदी हिस्सेदारी के बावजूद पहाड़ी इलाकों में नहीं बस पा रहा है. इसके उलट नागा और कुकी समुदाय के लोग पहाड़ों से रोजगार के लिए घाटी वाले इलाकों में आकर बस रहे हैं. इसी के चलते मैतेई समुदाय और नागा-कुकी के बीच विवाद चल रहा है.

मैतेई को ST दर्जा देने की कोशिश बनी हिंसा का कारण

मणिपुर में ताजा हिंसा का कारण मैतेई समुदाय की तरफ से लंबे समय से चल रही ST में शामिल करने की मांग को पूरा करने की कोशिश है. मणिपुर हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस एमवी मुरलीधरन ने राज्य सरकार को मैतेई को अनुसूचित जनजाति में शामिल करने पर विचार करने का निर्देश दिया है. इसके विरोध में नागा-कुकी समुदाय के ऑल ट्राइबल स्टूडेंट्स यूनियन ऑफ मणिपुर (ATSUM) ने बुधवार को आदिवासी एकता मार्च निकाला था. इसी एकता मार्च के दौरान दोनों समुदायों के बीच हिंसा भड़क गई, जो बाद में बेहद ज्यादा बढ़ गई.

देश-दुनिया की ताज़ा खबरों Latest News पर अलग नज़रिया, अब हिंदी में Hindi News पढ़ने के लिए फ़ॉलो करें डीएनए हिंदी को गूगलफ़ेसबुकट्विटर और इंस्टाग्राम पर. 

Advertisement

Live tv

Advertisement

पसंदीदा वीडियो

Advertisement