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Shaheed Diwas 2022: जानिए क्यों बनाया जाता है शहीद दिवस, नेहरू युवा केंद्र 623 जिलों में करेगा कार्यक्रम

Shaheed Diwas 2022: 23 मार्च को पूरा भारत शहीद दिवस मनाता है. इस दिन नेहरू युवा केंद्र संगठन 623 जिलों में कार्यक्रम आयोजित करने वाला है.

Shaheed Diwas 2022: जानिए क्यों बनाया जाता है शहीद दिवस, नेहरू युवा केंद्र 623 जिलों में करेगा कार्यक्रम
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डीएनए हिंदीः हर साल पूरा भारत 23 मार्च को शहीद दिवस के रूप में मनाता है. इस साल शहीद दिवस के अवसर पर  नेहरू युवा केंद्र संगठन (एनवाईकेएस) देश के 623 जिलों में कार्यक्रम आयोजित करने वाला है. यह कार्यक्रम आजादी के अमृत महोत्सव के एक भाग के रूप में मनाया जा रहा है. इस कार्यक्रम में बड़ी संख्या में युवा और एनवाईकेएस के युवा क्लब के सदस्य शामिल होंगे. एनवाईकेएस द्वारा शहीद दिवस की थीम 'क्रांतिकारियों को श्रद्धांजलि' रखी गई है.

एनवाईकेएस द्वारा भारत के 623 जिलों में क्रांतिकारी स्वतंत्रता सेनानियों द्वारा किए गए योगदान का जश्न मनाया जाएगा. इस कार्यक्रम का उद्देश्य स्वतंत्रता सेनानियों के जीवन, कार्यों और दर्शन का जश्न मनाकर युवा पीढ़ी के बीच गर्व, सम्मान और कर्तव्य की भावना पैदा करना है.

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एनवाईकेएस का मानना है कि स्वतंत्रता सेनानियों  की कहानियां युवाओं के बीच देशभक्ति और राष्ट्रवाद की भावनाओं को बढ़ावा देगी और उन्हें राष्ट्रय निर्माण गतिविधियों में संलग्न होने के लिए प्रेरित करेंगी. 

एनवाईकेएस द्वारा आयोजित विभिन्न कार्यक्रमों में शिक्षाविद, कलाकार, प्रतिष्ठित व्यक्ति, राज्य/जिला प्रशासन के लोग भी हिस्सा बनेंगे. कार्यक्रमों की शरुआत दीप प्रज्ज्वलन से होगी जिसके बाद भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव के जीवन पर संगोष्ठी, शपथ ग्रहण, खेलकूद, प्रश्नोत्तरी प्रतियोगिता आयोजित की जाएगी. साथ ही विजेताओं को उपहार भी दिए जाएंगें. यह कार्यक्रम 8 राज्यों, 2 केंद्र शासित प्रदेशों के 14 स्थानों पर आयोजित किया जाएगा. 

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जानिए क्यों मनाया जाता है शहीद दिवस
भारत की आजादी के पीछे स्वतंत्रता सेनानियों ने बहुत संघर्ष किया है. 1931 में 23 मार्च के दिन भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव को फांसी का फंदा चूमकर अपने प्राण देश  पर न्योछावर कर दिए थे. देश के बहादुर क्रांतिकारियों और महान सपूतों द्वारा दिए गए बलिदान की याद में हर साल 23 मार्च को शहीद दिवस के रूप में मनाया जाता है. इस दिन का मकसद वीरता के साथ लड़ने वाले सेनानियों की वीर गाथाओं को लोगों के बीच लाना है. 

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