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Article 370 हटाने के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में होगी सुनवाई! चीफ़ जस्टिस ने दिए संकेत

सुप्रीम कोर्ट के चीफ़ जस्टिस एनवी रमन्ना ने कहा है कि गर्मी की छुट्टियों के बाद अनुच्छेद-370 से जुड़ी याचिका पर सुनवाई हो सकती है.

Article 370 हटाने के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में होगी सुनवाई! चीफ़ जस्टिस ने दिए संकेत

Supreme Court (Photo-PTI)

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डीएनए हिंदी: नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार ने 5 अगस्त 2019 को संविधान के Article 370 को समाप्त कर दिया था. इस फैसले के खिलाफ कई याचिकाएं दायर की जा चुकी हैं. सुप्रीम कोर्ट के चीफ़ जस्टिस एनवी रमन्ना ने अब कहा है कि इस मामले पर सुनवाई की जा सकती है. जस्टिस रमन्ना ने कहा है कि वह इसके लिए पांच जजों वाली संविधान पीठ का गठन करने की कोशिश करेंगे.

दरअसल,  वरिष्ठ वकील शेखर नाफड़ ने मांग की थी कि Article 370 हटाने के खिलाफ दायर याचिकाओं पर जल्द सुनवाई की जाए. उनकी मांग थी कि इस मामले की सुनवाई अगले ही हफ्ते की जाए. उनका यह भी कहना था कि तुरंत संभव न हो तो कम से कम जुलाई में इस पर सुनवाई ज़रूर की जाए. इसी पर जस्टिस रमन्ना ने कहा कि वह गर्मी की छुट्टियों के बाद इस मसले को देखेंगे.

पांच में से एक जज हो गए रिटायर
जस्टिस रमन्ना के मुताबिक, यह मामला 5 जजों की बेंच का है, तो उन्हें बेंच का पुनर्गठन करना होगा, क्योंकि बेंच में शामिल जस्टिस आर, सुभाष रेड्डी इसी साल जनवरी में रिटायर हो चुके हैं. दिसंबर 2019 में आर्टिकल 370 हटाने के बाद ही इस फैसले को चुनौती देते हुए याचिकाएं दायर की गई थीं. इन याचिकाओं पर सुनवाई के लिए मामले को पांच जजों की बेंच को भेजा गया था. इस बेंच में जस्टिस रमन्ना, जस्टिस संजय किशन कौल, आर. सुभाष रेड्डी, बीआर गवई और सूर्यकांत शामिल थे.

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इस मामले में कोर्ट में यह मुद्दा भी उठाया गया था कि क्या आर्टिकल 370 जैसे गंभीर विषय को सात जजों की बड़ी बेंच के सामने भेजा जाना चाहिए. इस पर 2 मार्च को सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि इसे बड़ी बेंच को भेजने की ज़रूरत नहीं है. 2 मार्च के बाद से इन मामलों की सुप्रीम कोर्ट में लिस्टिंग नहीं हो पाई, इसलिए अभी तक सुनवाई भी नहीं हो सकी है. आर्टिकल 370 हटाने के फैसले के अलावा, सुप्रीम कोर्ट में यह याचिका भी दायर की गई है कि जम्मू-कश्मीर में चल रही परिसीमन प्रक्रिया को रोका जाए. शेखर नाफड़े का कहना है कि परिसीमन का काम काफी तेजी से चल रहा है इसलिए सुप्रीम कोर्ट को इस मामले की सुनवाई जल्द से जल्द करनी चाहिए. 

परिसीमन के बाद जम्मू-कश्मीर में हो सकते हैं चुनाव
आपको बता दें कि 2019 के बाद से ही जम्मू-कश्मीर को विधानसभा वाला केंद्र शासित प्रदेश और लद्दाख को बिना विधानसभा वाला केंद्र शासित प्रदेश बना दिया गया है. नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार का कहना है कि परिसीमन का काम खत्म होने के बाद ही चुनाव आयोग जम्मू-कश्मीर में चुनाव प्रक्रिया को आगे बढ़ाएगा.

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