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Emotional Eating: क्या आपको गुस्से में लगती है ज्यादा भूख, तो एक बार जान लें इसका कारण

क्या है इमोशनल इटिंग, क्या ये एक बीमारी है, जानिए इसके बारे में सब कुछ यहां

Emotional Eating: क्या आपको गुस्से में लगती है ज्यादा भूख, तो एक बार जान लें इसका कारण

डीएनए हिंदी : ऐसा आपने कई लोगों के मुंह से सुना होगा कि आज मुझे इतना गुस्सा आ रहा था कि मैंने दो रोटी ज्यादा खा ली, या फिर कोई यूं कहता है कि मैं उदास थी, तनाव में थी इसलिए कुछ अच्छा खाने का मन हो रहा था.आज की लाइफस्टाइल में ये बहुत ही आम बात हो गई है.जब कोई तनाव में होता है तो बाहर जाकर कुछ जंक फूड खा लेता है, इससे हालांकि कोई स्थायी समाधान नहीं होता है लेकिन हां कुछ समय के लिए व्यक्ति को लगता है कि उसका तनाव कम हो गया और मूड भी ठीक हो गया.विशेषज्ञ बताते हैं कि ज्यादा खाने में बुराई नहीं है,लेकिन जरूरत से ज्यादा और असंतुलित खाना नुकसान दायक होता है, उनकी भाषा में इसे इमोशनल ईटिंग कहते हैं, जो एक तरह का डिसऑर्डर भी माना जाता है.ऐसे में ये कोई आम आदत नहीं कहलाती है जिसे आप घर में रहकर ही सुधार सकते हैं, बल्कि व्यक्ति को डॉक्टर की सलाह की भी जरूरत पड़ती है (What is Emotional Eating) 

लक्षण व कारण (Symptoms of Emotional Eating)

इमोशनल ईटिंग आम तौर पर नकारात्मक भावनाओं को शांत करने के लिए जरूरत से ज्यादा खाने के तौर पर जाना जाती है.अधिकतर लोगों का ये मानना है कि ऐसा करने से नकारात्मक और परेशान करने वाले विचार और भावनाएं जैसे गुस्सा, डर, नाराजगी कम हो जाती है.लेकिन सच्चाई कुछ और ही है.ओवर ईटिंग या किसी भावना को दबाने की कोशिश करने के लिए खाने को विकल्प बनाना आपको मोटापा, डायबिटीज, डिप्रेशन जैसी बीमारी की ओर धकेल देता है। 

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-    जब आपको भूख नहीं है लेकिन खाने की क्रेविंग होती है.
-    आपको नॉर्मल खाना संतुष्ट नहीं करता और आप जंक फूड की तरफ जाती हैं
-    खाने में कोई संतुलन नहीं होता, बहुत ज्यादा खा लेती हैं
-    खाने के बाद पश्चाताप होता है, आपका मन शांत नहीं रहता 
-    पेट भरने के बाद भी आपको और खाने का मन होता है 
-    आप ओवर ईटिंग करती हैं.आपको पता ही नहीं होता आप क्यों और क्या खा रही हैं.

ह्यूमन बिहेवियर के विशेषज्ञ डॉक्टर ओम प्रकाश के मुताबिक ईमोशनल ईटिंग को बहुत हल्के में नहीं लेना चाहिए, इसके पीछे कई कारण हो सकते हैं, हमें उनकी जड़ तक जाकर उसका इलाज करना चाहिए, ईमोशनल ईटिंग के पीछे कई पर्सनल रीजन्स होते हैं, लेकिन जब ये आदत किसी व्यक्ति में लगातार दिखाई देने लगती है, इसका मतलब ये एक तरह बीमारी का अंदेशा कर रही है, जिसे तुरंत मेडिकल ट्रीटमेंट देने की आवश्यकता है.

कैसे ध्यान रखें 

इमोशनल ईटिंग के बारे में ध्यान रखने वाली बात यह है कि वास्तव में इसका आपकी भूख से कुछ लेना-देना नहीं है.यह भूख नहीं है, जिसके कारण लोग खाते हैं बल्कि यह खाने की क्रेविंग है, जो आपको अस्थायी रूप से अच्छा महसूस कराती है और आपको इसकी आदत पड़ जाती है.ऐसा हमारे शरीर में शुगर रिलीज होने के कारण होता है.यही वजह है कि हम बिना सोचे-समझे खाने लगते हैं.

मूड ठीक रखने के विकल्प तलाशें 

अपने मूड को खाने पर निर्भर ना रखें, जितना हो सके कोई और विकल्प तलाशें, ताकि जब भी आपका मन उदास हो तो आपका ध्यान बस खाने की ओर न जाएं, बल्कि कई और गतिविधियों को तलाशें, जैसे म्यूजिक, ट्रैवलिंग, वॉकिंग,किसी दोस्त से बातें करना, किताबें पढ़ना, बाहर आउटिंग पर जाना आदि.

हेल्दी चीजें खाएं 

इमोशनल ईटिंग को कंट्रोल करना मुश्किल होता है, उस वक्त आपको समझ नहीं आता आप क्या कर रहे हैं, और क्या खा रहे हैं.ऐसे में अगर अगर आपको क्रेविंग हो भी रही है तो आप कुछ हेल्दी खाने का प्रयास करें, ताकि बाद में आपके शरीर के लिए वो नुकसानदायक साबित न हो और आपको पश्चाताप न हो.

मेडिटेशन करें-

अगर आपको स्ट्रेस हो रहा है तो इमोशन ईटिंग न करके उसे नियंत्रण करने के लिए मेडिटेशन करें.अपने मन को एकाग्र और शांत करने के लिए मेडिटेशन सबसे सहज और बेहतरीन उपाय है.इससे आपका मन इधर-उधर की नकारात्मक चीजों से दूर रहेगा.

फैमिली सपोर्ट बहुत जरूरी 

ऐसे व्यक्ति को फैमिली या दोस्तों का सहयोग चाहिए होता है, क्योंकि वो खुद क्या कर रहा है, उसे समझ नहीं आता.ऐसे में परिवार वालों को उसकी परेशानी समझकर उससे डील करने का तरीका अपनाना होगा.

मेडिकल ट्रीटमेंट

कई बार ये इमोशनल ईटिंग एक बीमारी की तरह घर कर जाती है, ऐसे में घरेलू उपायों से नहीं होता है, आपको मेडिकल ट्रीटमेंट की सख्त आवश्यकता होती है,जिसे हम नकार नहीं सकते हैं.
 

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