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Mahabharat काल के इन 5 श्रापों को आज भी भुगत रहे हैं लोग, जानें किसने और किसे दिए थे ये श्राप

Mahabharat ke 5 Shrap: महाभारत काल के समय पांच ऐसे श्राप दिए गए थे जिन्हें लोग कलयुग में भी भुगत रहे हैं.

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Mahabharat काल के इन 5 श्रापों को आज भी भुगत रहे हैं लोग, जानें किसने और किसे दिए थे ये श्राप

Mahabharat ke 5 shrap

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डीएनए हिंदीः महाभारत काल की कई पौराणिक कथाएं बहुत ही प्रचलित हैं. इनसें हमें महाभारत (Mahabharat) के बारे में काफी कुछ जानने को मिलता है. धार्मिक ग्रंथ महाभारत (Mahabharat) के अनुसार, उस समय कई श्राप दिए गए थे जिनमें से 5 श्राप (Mahabharat ke 5 Shrap) ऐसे हैं जिन्हें लोग आज भी भुगत रहे हैं. महाभारत काल में दिए गए ऐसे श्रापों (Mahabharat ke 5 Shrap) के बारे में बताते हैं जिन्हें लोग भुगत रहे हैं. तो चलिए आज आपको बताते हैं कि महाभारत काल (Mahabharat Kaal) में ये श्राप किसने किसको दिए थे जिन्हें लोगों को आज भी भुगतना पड़ रहा है.

महाभारत काल के 5 श्राप (Mahabharat ke 5 Shrap)
1. युधिष्ठर ने दिया नारी जाती को श्राप

महाभारत काल के दौरान कर्ण की मृत्यु के बाद युधिष्ठर को पता चला कि कर्ण उनका भाई था. जिसके बाद पांडवों को बहुत दुख हुआ और उन्होंने कर्ण का अंतिम संस्कार किया. तभी युधिष्ठिर ने नारी जाती को श्राप दिया था कि कोई भी नारी किसी बात या रहस्य को गोपनीय नहीं रख पाएगी. यह श्राप अभी भी स्त्रियां भुगत रही है.

 

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2. श्रीकृष्ण का अश्वत्थामा को श्राप
महाभारत काल में अश्वथामा ने धोखे से पांडव पुत्रों को मार दिया था. जिसके बाद भगवान श्रीकृष्ण ने अश्वथामा का पीछा किया. वह महर्षि वेदव्यास के आश्रम जा पहुंचे. वहां पर अश्वत्थामा और कुंती पुत्र अर्जुन ने ब्रह्मास्त्र छोड़े. महर्षि वेदव्यास ने दोनों ब्रह्मास्त्र को रोक लिया और वापस लेने को कहा. जिसके बाद अर्जुन ने ब्रह्मास्त्र वापस ले लिया. जबकि अश्वत्थामा ने ब्रह्मास्त्र अभिमन्यु की पत्नी की ओर कर दिया. तभी श्रीकृष्ण ने अश्वत्थामा को तीन हजार साल तक वनों में भटकने का श्राप दिया था. अश्वत्थामा आज भी वनों में भटक रहे हैं.

3. उर्वशी ने दिया था अर्जुन को श्राप
अर्जुन स्वर्गलोक गए थे उस समय उर्वशी नाम की स्त्री उन्हें देखकर आकर्षित हो गई थी. अर्जुन ने उर्वशी को माता बोलकर सम्मान दिया. उर्वशी ने अर्जुन को एक वर्ष तक नपुंसकता का श्राप दिया. यह श्राप उनके वनवास के दौरान वरदान साबित हुआ था. अज्ञात वास में वह नपुंसकता के कारण वह नर्तिका बनकर कौरवों की नजर से बचे रहे.

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4. श्रृंगी ऋषि ने दिया था परीक्षित को श्राप
अभिमन्यु के बेटे परीक्षित वन में शिकार के लिए गए थे. तभी उन्हें शामीक ऋषि दिखाई दिए. उन्होंने श्रृंगी ऋषि को आवाज दी लेकिन वह मौन में होने के कारण नहीं बोले. जिसके बाद परीक्षित ने शामीक पर गुस्से में मरा हुआ सांप फेंक दिया. शामीक ऋषि के पुत्र श्रृंगी ऋषि ने परीक्षित को श्राप दिया कि सात दिनों उसकी मृत्यु सांप के काटने से होगी. राजा परीक्षित की मृत्यु के बाद ही कलयुग की शुरुआत हो गई. राजा परीक्षित के रहते कलयुग इतना हावी नहीं होता लेकिन उनकी मृत्यु के बाद कलयुग का असर होने लगा.

5. माण्डव्य ऋषि ने दिया था यमराज को श्राप
एक बार राजा ने किसी गलती से किसी और की सजा के लिए माण्डव्य ऋषि को सूली पर चढ़ा दिया था. जिसके बाद माण्डव्य ऋषि के लंबे समय तक शूली पर लटकने के बाद भी प्राण नहीं गए. बाद में उन्हें राजा ने शूली से उतार दिया. माण्डव्य ऋषि यमराज के पास गए और पूछा कि मुझे ये किस बात की सजा मिली. तब यमराज ने बताया कि उन्होंने 12 वर्ष की आयु में कीड़े की पूछ में सीख चुभाई थी. माण्डव्य ऋषि ने कहा कि इतनी छोटी उम्र में किसी को सही-गलत की पहचान नहीं होती है. ऐसे में उन्होंने यमराज को शुद्र योनी में दासी के पुत्र के रूप में जन्म लेने का श्राप दिया था. यमराज ने विदुर के रूप में जन्म लिया था.

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. डीएनए हिंदी इसकी पुष्टि नहीं करता है.) 

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