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Pre-Budget 2022 Highlights: बजट की खास बातें, यहां पढ़ें पूरी डिटेल

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण 1 फरवरी को Union budget 2022-23 पेश कर रही हैं. सभी सेक्टर इस पर नजरें गड़ाए हुए हैं.

Pre-Budget 2022 Highlights: बजट की खास बातें, यहां पढ़ें पूरी डिटेल
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डीएनए हिंदी: वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण 1 फरवरी 2022 को मोदी 2.0 सरकार का चौथा केन्द्रीय बजट पेश करेंगी. बजट का फोकस भारत की स्वास्थ्य सेवा प्रणाली को मजबूत करने के साथ-साथ अर्थव्यवस्था को बूस्ट करने पर भी होगा. महामारी से अर्थव्यवस्था को हुए नुकसान से सरकार रिकवरी में सहायता करने के लिए और अधिक खर्च करना जारी रखेगी और भारत में विकास को बढ़ावा देने की भरसक कोशिश करेगी. विभिन्न पीएलआई योजनाओं की घोषणा ने भारत की विनिर्माण महत्वाकांक्षाओं (manufacturing ambitions) में इजाफा किया है और मार्च तक भारत की अर्थव्यवस्था को  5 ट्रिलियन डॉलर तक पहुंचाने का लक्ष्य रखा है.

बजट में इस बार क्या खास

  • इकनॉमिक सर्वे के अनुसार भारत की GDP 9.2% बढ़ने का अनुमान है.
  • FY23 में यह विकास दर अनुमानतः 8-8.5% माना गया है.
  • बजट सत्र संसद के दोनों सदनों में राष्ट्रपति श्री रामनाथ कोविंद के अभिभाषण के साथ शुरू हुआ.
  • सत्र का पहला भाग 11 फरवरी तक चलेगा जिसके बाद 8 अप्रैल को यह समाप्त होगा.
  • वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण 1 फरवरी को Union budget 2022-23 पेपरलेस पेश करेंगी.
  • 31 जनवरी और 1 फरवरी को 'शून्यकाल' नहीं होगा.
  • ओमिक्रोन की वजह से इस बार कोई 'हलवा' समारोह नहीं होगा.
  • संसद में सख्त कोविड-19 प्रोटोकॉल जारी रहेगा.

    यह भी पढ़ें:  Budget : साल 1860 से लेकर अब तक कितना बदल गया बजट?


बजट से आशा 

  • हेल्थकेयर इंडस्ट्री प्राथमिकता का दर्जा चाहता है, जीडीपी का 3% के लिए फंड आवंटन में वृद्धि.
  • कई विशेषज्ञ आयकर स्लैब और दरों में बदलाव की आशंका जता रहे हैं.
  • FIEO का कहना है कि बजट 2022 एमएसएमई (MSME) और निर्यातोन्मुखी (export oriented) होगा.
  • विशेषज्ञों का कहना है कि बजट में स्वास्थ्य बुनियादी ढांचे को बढ़ाने पर ध्यान देना चाहिए.
  • वित्तीय समावेशन को बढ़ावा देने के लिए फिनटेक इंडस्ट्री को बजट में प्रोत्साहन की उम्मीद है.
  • 700 जिलों को कार्ड पर निर्यात हब के रूप में विकसित करने की योजना.
  • मार्केट सेंटिमेंट को बढ़ावा देने के लिए रियल्टी सेक्टर को बजट से उम्मीदें हैं.
  • एक रिपोर्ट के मुताबिक अर्थव्यवस्था को और अधिक मजबूत करने के लिए अभी राजकोषीय सुधार इंतजार कर सकता है.
  • BoB इको रिसर्च के मुताबिक बजट में विकास को बढ़ावा देने के लिए राजकोषीय मजबूती हासिल करने का लक्ष्य रखा गया है.
  • रियल एस्टेट सेक्टर को सीतारमण से कर राहत, उद्योग का दर्जा मिलने की उम्मीद है.
  • विशेषज्ञ चाहते हैं कि बजट अर्थव्यवस्था में व्यापक असमानता को पाटने और रोजगार सृजित करने पर केंद्रित हो.
  • फार्मा उद्योग चाहता है कि बजट अनुसंधान एवं विकास (R&D) के संचालन के लिए प्रोत्साहनों की घोषणा करे.


बजट और बाजार

  • बाजार पर नजर रखने वालों का मानना ​​है कि केंद्रीय बजट में आगामी वित्तीय वर्ष के लिए उच्च लक्ष्य विनिवेश के बावजूद एलआईसी आईपीओ (LIC IPO) जरूरी होगा.
  • हालांकि बजट से पहले और बाद में बाजार में उतार-चढ़ाव देखा जा सकता है लेकिन दो सप्ताह की अवधि में शायद ही इसका कोई प्रभाव दिखा हो.
  • वित्त वर्ष 2021-22 में केंद्र के विनिवेश के लक्ष्य और रणनीतिक हिस्सेदारी बिक्री से चूकने की संभावना है.
  • बाजार के जानकारों का मानना ​​है कि विनिवेश और निजीकरण से और तेजी आने की संभावना है.
  • क्रिप्टो स्टार्टअप का टैक्सेशन, कानून, छूट और रेगुलेशन पर स्पष्टता की मांग.
  • विश्लेषकों को इक्विटी पर पूंजीगत लाभ कर (capital gain tax) में कोई बदलाव नहीं दिखता.


आर्थिक संकेतक

  • NSO डेटा और कॉरपोरेट सेक्टर से निकलने वाले तीसरी तिमाही के नतीजे अच्छी आर्थिक स्थिति की उम्मीद पैदा करते हैं.
  • मुद्रास्फीति को नियंत्रित करते हुए निष्क्रिय निजी खपत और निवेश मांगों को पुनर्जीवित करके विकास का समर्थन करने के बीच संतुलन बनाने की प्रमुख चुनौती है.
  • NSO के अनुसार, वर्ष 2021-22 में वास्तविक जीडीपी 9.2% की वृद्धि दर दर्ज करते हुए 147.54 लाख करोड़ रुपये होने की उम्मीद है.
  • सर्विसेज के लिए क्रय प्रबंधकों (Purchasing Managers) का सूचकांक पूर्व-कोविड स्तरों पर वापस आ गया है.
  • निर्यात और आयात ने उच्च विकास दर दर्ज की है और इसी तरह व्यापार घाटा भी है.
  • नॉमिनल जीडीपी के लगभग 18% की दर से बढ़ने की उम्मीद है, जो बजटीय अनुमानों से लगभग 3.5 प्रतिशत ज्यादा है.
  • प्रत्यक्ष कर राजस्व (direct tax revenue) इस वर्ष के बजट अनुमान से अधिक रहने की उम्मीद है.
  • निजी अंतिम उपभोग व्यय, वित्तीय वर्ष के लिए अनुमानित 80.8 लाख करोड़ रुपये, 2019-20 में 83.2 लाख करोड़ रुपये से लगभग तीन प्रतिशत कम है.


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