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राज्यसभा से 'रिटायर' हो रहे भाजपा के ये 'दिग्गज', क्या लोकसभा की पिच पर मिलेगा अब बैटिंग का मौका?

BJP Mission 2024: भाजपा ने हाल ही में हुए पांच राज्यों के विधानसभा चुनावों में जो रणनीति अपनाई थी, उसकी सफलता को देखते हुए वो इसे लोकसभा चुनाव में भी अपना सकती है.

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राज्यसभा से 'रिटायर' हो रहे भाजपा के ये 'दिग्गज', क्या लोकसभा की पिच पर मिलेगा अब बैटिंग का मौका?

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डीएनए हिंदी: BJP Lok Sabha Elections 2024 Updates- देश में लोकसभा चुनावों के आयोजन में अब छह महीने से भी कम समय बाकी रह गया है. ऐसे में सत्ताधारी दलों से लेकर विपक्ष तक, सभी ने अपनी तैयारियां तेज कर दी हैं. ऐसी स्थिति में सबकी निगाहें भाजपा के उन दिग्गज नेताओं पर टिक गई हैं, जो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मौजूदा सरकार के खास 'पुर्जे' कहे जाते हैं. ये दिग्गज नेता राज्य सभा के जरिये नेशनल कैबिनेट तक पहुंचे थे, लेकिन अब संसद के ऊपरी सदन में इनका कार्यकाल खत्म हो रहा है. भाजपा की परंपरा के हिसाब से इन कद्दावर नेताओं के दोबारा राज्यसभा में जाने के चांस कम हैं, लेकिन इन्हें भगवा दल लोकसभा चुनावों में उतारकर किस्मत आजमाने का मौका दे सकता है. यह रणनीति हाल ही में संपन्न हुए पांच राज्यों के विधानसभा चुनावों में आजमाई गई थी, जो खासी सफल रही है.

पहले जान लीजिए किनका कार्यकाल हो रहा पूरा

मौजूदा पीएम मोदी की कैबिनेट में राज्यसभा के रास्ते जगह बनाने वाले 9 मंत्री हैं. इनमें धर्मेंद्र प्रधान, अश्विनी वैष्णव, मनसुख मांडविया, भूपेंद्र यादव, हरदीप सिंह पुरी, नारायण राणे, पुरुषोत्तम रूपाला, राजीव चंद्रशेखर, वी. मुरलीधरन और एल मुरुगन जैसे नाम शामिल हैं. इन्हें पीएम मोदी का विश्वसनीय माना जाता है. वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण और वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल भी राज्यसभा के जरिये ही मोदी सरकार में हैं. भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा भी राज्यसभा सांसद हैं, जिनकी सदस्यता अवधि अप्रैल में पूरी हो रही है. नड्डा के अलावा अप्रैल में अशोक वाजपेयी, अनिल जैन, अनिल अग्रवाल, अनिल बलूनी, प्रकाश जावडे़कर, समीर ओंराव, सकलदीप राजभर, कांता कर्दम, सुशील मोदी, जीवीएल नरसिम्हाराव, अजय प्रताप सिंह, कैलाश सोनी, विजयपाल सिंह तोमर, डीपी वत्स और हरनाथ सिंह यादव की भी सदस्यता खत्म हो रही है. 

भाजपा में है दो बार से ज्यादा राज्यसभा में नहीं भेजने का नियम

भाजपा की परंपरागत राजनीति को ध्यान में रखें तो पार्टी किसी भी व्यक्ति को दो बार से ज्यादा राज्यसभा में नहीं भेजती हैं. यदि इस परंपरा को देखें तो भाजपा अध्यक्ष नड्डा, भूपेंद्र यादव, धर्मेंद्र प्रधान, पुरुषोत्तम रूपाला और मनसुख मांडविया 2-2 बार राज्यसभा के सदस्य रह चुके हैं. ऐसे में इनके दोबारा राज्यसभा में जाने की संभावना कम है. हालांकि मौजूदा मोदी कैबिनेट में ही सीतारमण और पीयूष गोयल इसका अपवाद हैं, जो तीन बार राज्यसभा जा चुके हैं. राज्यसभा से रिटायर हो रहे बाकी भाजपा सांसदों में से भी ज्यादातर दो बार वाले नियम की चपेट में आ रहे हैं.

राज्यसभा नहीं गए तो क्या होगा इन दिग्गजों का

राज्यसभा का कार्यकाल जिन भाजपा नेताओं का पूरा हो रहा है, उन्हें मौजूदा समय में भगवा दल के मजबूत नेताओं में गिना जाता है. ऐसे में माना जा रहा है कि इन सभी को आगामी लोकसभा चुनाव में भाग्य आजमाने का मौका दिया जाए. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी खुद यही चाहते हैं. उन्होंने अगस्त में भाजपा संसदीय दल  की बैठक में साफ कहा था कि राज्यसभा के नेताओं को लोकसभा चुनाव लड़ना चाहिए.

हालिया विधानसभा चुनाव में आजमाया था ये फॉर्मूला

भाजपा इस फॉर्मूले को हाल ही में हुए विधानसभा चुनावों में आजमा चुकी है. भाजपा ने मिजोरम को छोड़कर बाकी चार राज्यों तेलंगाना, राजस्थान, छत्तीसगढ़ और मध्य प्रदेश में 21 सांसदों को विधानसभा चुनाव का टिकट दिया था. इन 21 में से 12 को जीत मिली है और वे विधायक बन गए हैं. इनमें से मध्य प्रदेश में केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र तोमर को विधानसभा स्पीकर बनाया गया है, जबकि प्रह्लाद सिंह पटेल, राकेश सिंह, राव उदय प्रताप सिंह को मंत्री बनाया गया है. राजस्थान में भी दीया कुमारी को डिप्टी सीएम, जबकि किरोडीलाल मीणा और राज्यवर्धन सिंह राठौड़ को कैबिनेट मंत्री बनाया गया है.

राज्यसभा के ये सांसद पहले ही लोकसभा की तैयारी में

राज्यसभा के जरिये सांसद बनने वाले कई भाजपाई पहले ही लोकसभा में हाथ आजमाने की तैयारी में हैं. इनमें धर्मेंद्र प्रधान का नाम सबसे ऊपर है, जो ओडिशा में लगातार एक्टिव हैं. अश्विनी वैष्णव भी ओडिशा के ही बालासोर से चुनाव लड़ सकते हैं, जबकि भूपेंद्र यादव हरियाणा के अहीरवाल इलाके से भाग्य आजमा सकते हैं. रूपाला और मांडविया के गुजरात में, जबकि सीतारमण के तमिलनाडु और पीयूष गोयल के महाराष्ट्र से लोकसभा चुनाव में दावा ठोकने की तैयारी है. हालांकि भाजपा नेतृत्व राज्यसभा के रिटायर होने वाले कितने दिग्गजों को लोकसभा चुनाव में उतरने लायक मानेगी, इस पर सभी की निगाहें टिकी रहेंगी.

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