डीएनए एक्सप्लेनर
India vs Bharat Controversy: एक देश के दो नाम हो सकते हैं? यह सवाल किसी भी दूसरे देश के नागरिक से पूछिए तो वह जवाब में नहीं कहेगा, लेकिन हमारे देश में राजनेता इंडिया बनाम भारत पर भिड़े हुए हैं. इस विवाद के हर पहलू का डीएनए पेश कर रही है ये रिपोर्ट.
डीएनए हिंदी: आजादी के समय से ही हमारे देश की अघोषित टैगलाइन 'अनेकता में एकता' की रही है. यह टैगलाइन हमारे देश में विभिन्न तरह के कल्चर, भाषा, धर्म और पहचान वाले लोगों के एकसाथ एक झंडे के नीचे एकता से रहने को दर्शाती है. लेकिन हमारे देश का नाम भी कुछ ऐसा ही है, जिसमें हम 'एक' नहीं 'अनेक' की झलक देखते हैं. हम अपने देश को किसी एक नाम से नहीं पुकारते हैं. दुनिया में किसी भी देश में आप चले जाएं चाहे वो यूनाइटेड स्टेट्स ऑफ अमेरिका, फ्रांस, चीन, जर्मनी आदि कोई भी देश हो, वहां के नागरिक अपने देश को एक ही नाम से पुकारते मिलेंगे. लेकिन अगर हम आज आपसे पूछें कि हमारे इस देश का नाम क्या है, तो यकीन मानिए, देश के अलग हिस्सों में इसके अलग नाम बताए जा सकते हैं. कुछ इसे INDIA कहेंगे...कुछ इसको भारत बताएंगे, कुछ इसे हिंदुस्तान कहेंगे, कुछ ऐसे भी लोग होंगे, जो इसे हिंद कहेंगे.
इस हिसाब से देखें तो हमारी कोई एक पहचान ही नहीं है. कहते हैं दुनिया में किसी व्यक्ति की पहचान सबसे पहले उसकी नागरिकता या देश से होती है. शरणार्थियों की पहचान भी उनके नाम से नहीं, पहले उनका देश होता है। दरअसल हमारी पहली पहचान ही हमारा देश है, उसके बाद हमारा अपना नाम है. लेकिन अगर हम आपसे पूछें कि आपकी पहचान क्या है तो आप क्या बताएंगे. अगर आप खुद को Indians कहते हैं तो फिर ये भारतीय कौन लोग होते हैं और अगर आप खुद को भारतीय कहते हैं तो फिर हिंदुस्तानी लोग कौन हैं? अगर हमारा देश India है तो फिर भारत क्या है...और अगर भारत है तो हिंदुस्तान क्या होता है? आज देश में यही सबसे बड़ा मुद्दा है कि हम कौन हैं. क्या हम Indians हैं या फिर भारतीय हैं? कौन हैं हम और क्या है हमारे देश का नाम?
आज क्यों हुई इस बात की इतनी चर्चा?
दरअसल आज ये विवाद उठा राष्ट्रपति भवन से जारी हुए Dinner Invitation से. ये Dinner Invitation देश में होने वाली G-20 Summit में आने वाले मेहमानों के लिए था, लेकिन इस Dinner Invitation पर लिखे कुछ शब्दों ने India और भारत के बीच विवाद खड़ा कर दिया. Dinner Invitation की पहली ही LINE पर आपको ध्यान देना चाहिए, जिसमें लिखा है-The President Of Bharat. आज से पहले जब भी, राष्ट्रपति भवन का कोई आधिकारिक पत्र सामने आया है, तो उसमें The President Of India लिखा गया. लेकिन G-20 के मेहमानों को रात्रि भोज के निमंत्रण के लिए जो निमंत्रण पत्र भेजा गया है, उसमें The President Of Bharat लिखा गया. ये पहली बार था जब इस तरह का कोई कदम राष्ट्रपति भवन की तरफ से उठाया गया. यही वजह है कि इस मुद्दे को लेकर आज सुबह से ही बवाल मचा हुआ है. विपक्षी दलों ने इसे ही मुद्दा बना दिया है. खासतौर पर उन दलों ने जिन्होंने कुछ दिन पहले ही अपने गठबंधन को I.N.D.I.A नाम दिया है.
संविधान क्या कहता है India or Bharat विवाद में
INDIA या भारत, क्या है हमारे देश का नाम. इससे संबंधित सबसे सटीक जानकारी हमारे संविधान से मिलती है.
इससे एक बात पता चलती है कि हमारे संविधान के अंग्रेजी और हिंदी संस्करण में देश के दो अलग-अलग नामों का इस्तेमाल किया गया है और दोनों ही नामों को देश ने स्वीकार किया है.
India और भारत नाम कैसे चुने गए थे?
हालांकि संविधान सभा में जब देश के नाम पर चर्चा हुई, तब इन दो नामों के अलावा कई और नामों पर भी चर्चा हुई थी. इनमें भारतभूमि, भारतवर्ष, हिंदुस्तान नाम भी सामने आया था, लेकिन इस पर सहमति नहीं बन पाई. अब सवाल ये है कि फिर देश का नाम India और भारत कैसे और क्यों चुना गया?
आजादी से पहले देश को 'British India' कहा जाता था. वर्ष 1935 के संविधान के draft को Government of India act 1935 कहा गया. भारत की आजादी के प्रस्ताव को India independence Act 1947 कहा गया. मतलब ये है कि अंग्रेजों के समय में देश को India नाम से पुकारा जाता था, लेकिन आजादी के बाद इस नाम को बदलने की कवायद शुरू हो गई. 15 अगस्त 1947 को जब संविधान सभा दिल्ली के Central Assembly Hall में मिली, तो उन्होंने रविंद्र नाथ टैगोर का 'जन गण मन' और इकबाल का 'सारे जहां से अच्छा', दोनों ही गाए थे यानी आजादी के समय INDIA,भारत और हिंदुस्तान, तीनों ही नाम इस्तेमाल किए जाते थे.
17 सितंबर 1949 को देश के नाम को लेकर संविधान सभा में चर्चा हुई थी. इसमें सेठ गोविंद दास, कमलापति त्रिपाठी, कांग्रेस की ओर से राम सहाय और हरगोविंद पंत और forward block के हरिविष्णु कामत शामिल थे. संविधान सभा की drafting committee में जब देश के नाम पर बहस हो रही थी, तब सेठ गोविंद दास ने भारत के इतिहास का हवाला देते हुए, देश का नाम सिर्फ 'भारत' रखने पर जोर दिया. सेठ गोविंद दास ने कहा कि भारत नाम हमारे देश के इतिहास और संस्कृति के लिहाज से ठीक रहेगा, क्योंकि भारत शब्द हिंदू धर्म की पवित्र साहित्यों में भी आता है, जबकि India शब्द हमारी किसी भी प्राचीन किताबों में नहीं मिलता. उन्होंने ये भी कहा था कि गांधी जी के नेतृत्व में देश ने आजादी की लड़ाई 'भारत माता की जय' नारे के साथ लड़ी थी, इसलिए भारत नाम रखना ही उचित रहेगा.
कांग्रेस के हरगोविंद पंत ने भी भारत नाम का ही समर्थन किया. उनके मुताबिक- India नाम हमें विदेशियों ने दिया है. अग्रेज भारत की संपत्ति लूटना चाहते थे और उन्होंने हमें गुलाम बनाया. अगर हम इन सबके बाद भी अपना नाम India रखते हैं, तो ये गुलामी के प्रतीक के तौर पर रहेगा. हरगोविंद पंत ने 'भारतवर्ष' नाम का भी सुझाव दिया था.
कमलापति त्रिपाठी ने India और भारत दोनों नामों का समर्थन किया था, लेकिन उनका तर्क था कि लोगों को समझाने के लिए 'India अर्थात भारत' ना लिखकर, 'भारत अर्थात india' लिखा जाना चाहिए.
पीवी कामत ने सुझाव दिया कि लोगों को समझाने के लिए संविधान में लिखा जाना चाहिए, 'भारत, जिसे अंग्रेजी में इंडिया कहा जाता है'. इसके लिए उन्होंने Ireland के संविधान का हवाला दिया, जिसे 1937 में लागू किया गया था. Ireland ने आजादी मिलने के बाद ही अपने देश का नाम बदल दिया था. उनके संविधान में लिखा है- 'The Name Of The State is Eire, Or In the English Language Ireland'.
पीवी कामत भी देश का नाम 'भारत' रखे जाने के पक्ष में थे, लेकिन समस्या ये थी कि विदेश में ज्यादातर लोग अपने देश का नाम INDIA ही जानते थे. इस समस्या के समाधान के लिए ही पीवी कामत ने Ireland का उदाहरण देकर ये सुझाव दिया था, जिसमें हिंदी में लिखे जाने पर भारत और अंग्रेजी में कहे जाने पर INDIA कहा गया.
संविधान सभा में देश के नाम पर हुई चर्चा के बाद देश का नाम संविधान के अनुच्छेद 1 में लिखा गया, जिसे अंग्रेजी भाषा में 'India That is Bharat' और हिंदी भाषा में भारत अर्थात india लिखा गया. इस तरह तकनीकी रूप से देखें तो दोनों ही नाम सही है और दोनों ही नाम देश की पहचान के तौर पर इस्तेमाल किए जा सकते हैं.
भारतीय इतिहास में रहे हैं देश के कितने नाम
संविधान सभा में जितने नामों पर चर्चा हुई, वो बहुत सीमित संख्या में थे. भारत का इतिहास हजारों साल पुराना है, और अलग-अलग समयकाल में देश को अलग अलग नामों से पुकारा जाता रहा है. इनमें - भारत, भारतवर्ष, इंडिया, इंडिका, मेलुहा, आर्यवर्त, जम्बूद्वीप, हिंद, अल-हिंद और हिंदुस्तान जैसे नाम प्रचलित रहे हैं. हमारे देश के नामों को दो श्रेणियों में बांटा जा सकता है-
भारत नाम की उत्पत्ति को लेकर क्या है धारणा
वैदिक काल से ही हमारे देश की जमीन को 'भारत' नाम दिया जाता रहा है. भारत शब्द को लेकर तीन तरह के विचार हैं.
पुराण क्या कहते हैं नाम को लेकर?
पुराणों में भारत नाम ही नहीं, बल्कि जिस धरती को भारत कहा जाएगा, उसका पूरा विवरण दिया गया है. विष्णुपुराण में इसे लेकर एक श्लोक भी है.
उत्तरम् यतसमुद्रस्य हिमाद्रेशचैव दक्षिणम्।
वर्षं तद् भारतं नाम भारती यत्र संततिः॥
इस श्लोक का अर्थ है, 'समुद्र के उत्तर और हिमालय के दक्षिण में जो देश है उसे भारत, तथा उनकी संतानों को भारती कहते हैं'. इस श्लोक से ना सिर्फ हमारे देश का नाम, बल्कि इस देश की सीमाओं का भी पता चलता है. हिंदू धर्म के ग्रंथों में हमारे देश का नाम भारत, भारतवर्ष, भारती, भारतखंड, भरतक्षेत्र जैसे नाम भी दिए गए हैं। लेकिन इनमें भारत शब्द Common दिखता है. देश में मिले पुराने शिलालेखों में भी भारत नाम का उल्लेख मिलता है. ओडिशा में मिले इक्कीस सौ वर्ष पुराने 'हाथीगुंफा' शिलालेखों में भी भारत नाम का उल्लेख मिला है.
जम्बूद्वीप क्यों कहा जाता है भारतीय क्षेत्र को?
भारत को दिया गया एक वैदिक नाम जम्बूद्वीप भी है. ये नाम जामुन के पेड़ से निकलकर सामने आया है. भारत आए चीनी यात्री FA-HIEN (फाहियान) ने लिखा है, कि भारत देश 'त्रिकोणीय' आकार का है. जो दक्षिण में संकरा है, और उत्तर में चौड़ा है. 23 सौ वर्ष पुराने सम्राट अशोक के समयकाल के शिलालेखों में ब्राह्मी लिपी में 'जम्बूद्वीप' नाम का उल्लेख है. ये वो नाम थे, जिनको भारतीयों ने ही अलग-अलग समय में रखा और अपनाया.
विदेशियों ने क्यों कहा इंडिया, इंडिका?
अब सवाल ये है कि इंडिया, इंडिका या मेलुहा जैसे नाम, विदेशियों ने हमारे देश को क्यों दिए? 4 से 5 हजार वर्ष पुरानी सिँधु घाटी सभ्यता के समय, पश्चिमी एशिया की मेसोपोटामिया और सुमेरी सभ्यता में, भारत को 'मेलुहा' नाम से पुकारा गया. इसी तरह हिंदुस्तान और इंडिया या इंडिका नाम भी विदेशियों ने ही दिए थे.
हिंदू शब्द सिंधु नदी से आया है. फारसी भाषा में संस्कृत के 'स' अक्षर को 'ह' से उच्चारण किया जाता है, जैसे- संस्कृत का 'सप्ताह', फारसी भाषा में 'हफ्ता' कहा जाता है. इसी तरह से संस्कृत के 'सप्तसिंधु' को फारसी में 'हफ्तहिंदु' कहा जाता था. इसी तरह से फारसियों ने सिंधु नदी को हिंदू नदी कहा. उस समय में हिंदू शब्द से उन लोगों की पहचान की जाती थी, जो सिंधु नदी के दूसरी तरफ रहते थे. ढाई हजार वर्ष पुराने ईरानी शिलालेख जिसे, फारसी राजा डैरियस के समय लिखा गया था। उसमें पहली बार हिंदू शब्द का उल्लेख मिलता है. सल्तनत काल और फिर मुगल काल में अल-हिंद या हिंद या फिर हिंदुस्तां, सिंध और हिंद जैसे शब्दों से भी देश को पुकारा जाने लगा.
ग्रीक भाषा के शब्दों में 'H' silent होता है यानी उसका उच्चारण नहीं किया जाता. इसीलिए हिंदू शब्द जब पश्चिम में गया तो ग्रीक भाषा में अपभ्रंश होकर 'इंदु' बन गया. 23 सौ वर्ष पहले चंद्रगुप्त मौर्य के समय ग्रीस का राजदूत मैगस्थनीज, पाटलीपुत्र या पटना आया था. उसने भारत विषय में एक किताब लिखी थी, जिसका नाम था 'Indica'. तब से ही पश्चिमी देशों में भारत का नाम 'Indica' या फिर India कहा जाने लगा.
15वीं और 16वीं सदी में जब पश्चिमी देशों ने भारत से व्यापार करने के लिए अपनी कंपनियां बनाई तो बहुत से देशों ने इनका नाम 'East India Company' रखा. जैसे- अंग्रेजों की कंपनी का नाम था British East India Company, Dutch जब भारत आए तो इनकी कंपनी का नाम था United East India Company Of Netherlands, फ्रांस की कंपनी का नाम था French East India Company और पुर्तगाल की कंपनी का नाम था Portuguese Companhia Da India Oriental.
18वीं शताब्दी में जैसे-जैसे भारत पर ब्रिटिश हुकूमत बढ़ती गई, वैसे-वैसे भारत से ज्यादा INDIA शब्द का प्रचलन बढ़ता गया. 1857 के विद्रोह के बाद जब भारत का शासन EAST INDIA COMPANY से हटकर, सीधे ब्रिटेन के राजाघराने के पास चला गया था. उस समय ब्रिटेन की रानी विक्टोरिया को 'EMPRESS OF INDIA' कहा गया. अंग्रेजों ने INDIA शब्द पर भी ज्यादा जोर दिया जिसकी वजह से भारत को INDIA नाम से ही पहचाना जाने लगा.
लगातार उठती रही है भारत नाम ही अपनाए जाने की मांग
आजादी के बाद संविधान सभा ने भले ही 'भारत और INDIA' दोनों नामों पर समर्थन दे दिया, लेकिन तब से आजतक, देश का नाम भारत किए जाने की मांग लगातार उठती रही है.
इन देशों ने भी बदले हैं अपने नाम
हम यहां एक बात और आपको बताना चाहते हैं, कि देशों के नाम बदलने की परंपरा नई नहीं है. अभी पिछले वर्ष टर्की का नाम बदलकर 'तुर्किए' किया गया है. इसी तरह से वर्ष 1972 में CEYLON का नाम बदलकर श्रीलंका किया गया था. अब एक बार फिर नाम बदलने को लेकर भारत में बहस तेज़ हो गई है, लेकिन यहां एक बात साफ कर देना चाहते हैं कि, देश के नाम के तौर पर चाहे भारत शब्द का इस्तेमाल किया जाए, या फिर INDIA, दोनों ही अपनी जगह सही हैं. फर्क बस भाषा का है.
हिंदी में जिसे भारत कहा जाएगा, अंग्रेजी में उसे INDIA.
यानी
INDIA-That is Bharat, भारत अर्थात इंडिया
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