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हेमंत सोरेन बने रहेंगे मुख्यमंत्री, क्या खत्म हो जाएगी अब झारखंड में सियासी हलचल?, 5 पॉइंट्स में जानें क्या है चुनौती

Jharkhand News: पहले झारखंड मुक्ति मोर्चा (JMM) के विधायक दल की बैठक में हेमंत के अपनी जगह पत्नी कल्पना को मुख्यमंत्री बनाने की चर्चा थी, लेकिन सभी विधायक उनके साथ खड़े दिखे हैं.

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हेमंत सोरेन बने रहेंगे मुख्यमंत्री, क्या खत्म हो जाएगी अब झारखंड में सियासी हलचल?, 5 पॉइंट्स में जानें क्या है चुनौती

Hemant Soren के लिए अगला कुछ समय मुश्किलों से भरा साबित होने वाला है. (File Photo)

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डीएनए हिंदी: Hemant Soren Latest News- झारखंड में पिछले कुछ दिन से चल रह सियासी हलचल पर फिलहाल विराम लग गया है. लगातार प्रवर्तन निदेशालय (ED) के छापों और पूछताछ के लिए पेश होने के समन के कारण संकट में चल रहे मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के साथ उनके सभी विधायक खड़े हो गए हैं. बुधवार को बुलाई गई झारखंड मुक्ति मोर्चा (JMM) के विधायक दल की बैठक में एकमत से फैसला लिया गया कि हेमंत अभी पद से इस्तीफा नहीं देंगे. पहले यह चर्चा थी कि यह बैठक हेमंत द्वारा अपनी जगह पत्नी कल्पना को मुख्यमंत्री बनाने की घोषणा करने के लिए बुलाई गई है. हालांकि यह महज अटकल ही साबित हुई. बैठक में JMM की गठबंधन साथी कांग्रेस, राजद व अन्य दल भी मौजूद थे और सभी ने हेमंत में ही विश्वास जताया है.

बैठक में मौजूद सूत्रों के मुताबिक, बैठक में 43 विधायक मौजूद थे.  पार्टी विधायकों को एकजुट रहने और हर हालात के लिए तैयारी करने के लिए कहा गया है. इस दौरान हेमंत के खिलाफ ईडी की कार्रवाई होने पर उठाए जाने वाले कदमों पर भी चर्चा की गई है. सभी नेताओं को बयानबाजी से बचने और सोशल मीडिया पर चल रही अटकलों से दूर रहने की हिदायत दी गई है. विधायकों को एक सप्ताह तक रांची में ही रहने का भी निर्देश मिला है. भले ही हेमंत सोरेन के मुख्यमंत्री बने रहने पर मुहर लग गई है, लेकिन सियासी जानकारों का कहना है कि इससे झारखंड में राजनीतिक हलचल शांत नहीं होने वाली है. झारखंड में यह चुनावी साल है. पहले लोकसभा और फिर साल के अंत में विधानसभा चुनाव होने हैं. ऐसे में विपक्षी दल भाजपा लगातार हलचल मचाती रहेगी.

आइए 5 पॉइंट्स में जानते हैं कि अब आगे क्या हो सकता है और हेमंत सोरेन के सामने क्या चुनौती है.

1. सबसे पहला खतरा ईडी की गिरफ्तारी का

हेमंत सोरेन ने ईडी के पूछताछ के समन 7 बार खारिज कर दिए हैं. आखिरी समन के बाद ईडी को लिखे पत्र में उन्होंने कार्रवाई को ही अवैध बता दिया है. हालांकि ईडी के पास अब कोर्ट में जाकर हेमंत की गिरफ्तारी के लिए वारंट जारी कराने का मौका है. बुधवार की बैठक के बाद पार्टी के अंदर की हलचल दबी हुई लग रही है, लेकिन हेमंत गिरफ्तार हुए तो यह हलचल फिर से बाहर आ सकती है. हालांकि हेमंत इस गिरफ्तारी का सियासी लाभ उठाने की जुगत भिड़ा रहे हैं. वे राज्य की सत्ता में चार साल पूरे करने वाले पहले आदिवासी मुख्यमंत्री हैं. हालिया जन सभाओं में उन्होंने इसी का हवाला देते हुए भाजपा पर आदिवासी मुख्यमंत्री को सहन नहीं करने का आरोप लगाकर जनता के बीच माहौल बनाने की कोशिश की है.

2. गिरफ्तार हुए तो फिर उठेगा सवाल 'अगला मुख्यमंत्री कौन'

हेमंत सोरेन गिरफ्तार हुए तो उन्हें मुख्यमंत्री पद छोड़ना होगा. ऐसे में फिर सवाल उठेगा कि अगला मुख्यमंत्री कौन बनेगा. सियासी जानकारों की माने तो हेमंत के पिता और JMM संस्थापक शिबू सोरेन उनकी पत्नी कल्पना के नाम पर सहमत नहीं हैं. अपने विधायक भाई बसंत सोरेन या विधायक भाभी सीता सोरेन को मुख्यमंत्री बनाकर सियासी उत्तराधिकार परिवार में दूसरी तरफ खिसकाने का खतरा हेमंत नहीं उठाना चाहते हैं. तीसरा विकल्प परिवार से बाहर के किसी वरिष्ठ विधायक को सीएम बनाने का है, लेकिन सोरेन परिवार सत्ता चलाने का खून किसी तीसरे शेर के मुंह को लगाने का खतरा नहीं उठाएगा. ऐसे में एक चर्चा है कि शिबू सोरेन खुद मुख्यमंत्री बन सकते हैं. हालांकि उनकी उम्र को देखते हुए यह बेहद कठिन फैसला होगा.

3. एक विकल्प समय से पहले चुनाव कराने का

हेमंत सोरेन के लिए एक विकल्प यह भी हो सकता है कि वे विधानसभा भंग कर समय से पहले विधानसभा चुनाव कराने की सिफारिश कर दें. हालांकि यह भी मुश्किल ही लग रहा है, क्योंकि ऐसा होने पर विधानसभा चुनाव का आयोजन लोकसभा चुनाव (lok Sabha Elections 2024) के साथ होगा. पिछले एक दशक की राजनीतिक का चलन देखें तो लोकसभा चुनाव में पीएम मोदी की लहर वोटर्स के मन पर ज्यादा भारी रहती है. यदि यह लहर चली तो विधानसभा चुनाव साथ होने पर इसका लाभ भाजपा को ही मिलेगा और हेमंत यह बात बिल्कुल नहीं चाहेंगे.

4. ईडी के खिलाफ हेमंत होंगे और ज्यादा हमलावर

हेमंत को अब अपनी पार्टी के सभी विधायकों से पूर्ण सहयोग की हरी झंडी मिल गई है. ऐसे में यह संभव है कि वे ईडी के खिलाफ और ज्यादा हमलावर रुख अपना लें. पहले ही वे ईडी के सात समन के बावजूद पेश नहीं हुए हैं. 2 जनवरी को उन्होंने ईडी को पत्र लिखकर उसके समन को गैरकानूनी बता दिया है. साथ ही इसे भाजपा की अपने खिलाफ साजिश बताया है. इस सबके जरिये हेमंत की एक ही कोशिश है कि वे अपने कोर वोटर को यह समझा सकें कि वे पूरी तरह सही हैं, लेकिन भाजपा आदिवासी मुख्यमंत्री को सहन नहीं करती है और इसी कारण उनके खिलाफ केंद्र की भाजपा सरकार ने ईडी को छोड़ रखा है. वोटर्स के मन में यदि हेमंत यह बात घुसाने में सफल रहे तो सियासी समीकरण पूरी तरह उनके पक्ष में हो जाएंगे. इस मुद्दे पर हेमंत को अपनी गठबंधन की साथी कांग्रेस का भी पूरा साथ मिल रहा है.

5. भाजपा करेगी और ज्यादा तीखा हमला

भाजपा अब हेमंत के खिलाफ और ज्यादा हमलावर रुख अपनाएगी. भाजपा प्रदेश अध्यक्ष व पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी ने इसके संकेत दे भी दिए हैं. माना जा रहा है कि भाजपा ईडी पूछताछ से हेमंत के बचने को मुद्दा बनाएगी और इसके जरिये उन्हें घेरने की कोशिश करेगी. साथ ही ईडी का भी दबाव और ज्यादा बढ़ेगा. बुधवार को भी ईडी ने PMLA के तहत हेमंत सोरेन के कई करीबी सहयोगियों के यहां छापेमारी की है. 

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