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पुलिसकर्मियों के लिए एक देश एक यूनिफॉर्म की वकालत क्यों कर रहे हैं प्रधानमंत्री, क्या है देश में वर्दी का इतिहास?

भारतीय जनता पार्टी एक देश एक चुनाव से लेकर एक देश एक फर्टिलाइजर तक के मुद्दे पर चुनाव लड़ चुकी है. अब यह नया मुद्दा भी जोर पकड़ रहा है.

पुलिसकर्मियों के लिए एक देश एक यूनिफॉर्म की वकालत क्यों कर रहे हैं प्रधानमंत्री, क्या है देश में वर्दी का इतिहास?

एक देश एक वर्दी का प्रस्ताव दे रहे हैं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी. 

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डीएनए हिंदी: प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी (Narendra Modi) ने पुलिस के लिए एक राष्ट्र, एक वर्दी की वकालत की है. राज्यों के गृह मंत्रियों के लिए आयोजित दो दिवसीय चिंतन शिविर को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री ने शुक्रवार को कहा था कि यह उनकी तरफ से एक विचार मात्र है और वह इसे राज्यों पर थोपने का प्रयास नहीं कर रहे हैं.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा, 'पुलिस के लिए ‘एक राष्ट्र, एक वर्दी’ सिर्फ एक विचार है. मैं यह आप सभी पर थोपने की कोशिश नहीं रहा. इसके बारे में आप सोचिए. यह 5, 50 या सौ सालों में हो सकता है. लेकिन हमें इसके बारे में विचार करना चाहिए.'

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने यह इसलिए कहा है क्योंकि कानून प्रवर्तन कर्मियों को एक आम पहचान भी मिलेगी और लोग उन्हें देश में कहीं भी पहचान सकेंगे. प्रधानमंत्री ने कहा कि उनका मानना है कि देश भर में पुलिस की पहचान एक जैसी हो सकती है.

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पुलिसकर्मी.

देश के ज्यादातर हिस्सों में पुलिस ब्रिटिश कालीन खाकी वर्दी पहनती है. राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में उनके रंग, कपड़े और पैटर्न बदलते रहते हैं. आइए जानते हैं देश में पुलिस की वर्दी का इतिहास क्या है? राज्यों में पुलिस की वर्दी अलग क्यों है? क्या हाल ही में पुलिस की वर्दी में बदलाव किए गए हैं?

क्या है पुलिस की वर्दी का इतिहास?

जब अंग्रेज भारत आए थे तब उनकी वर्दी सफेद थी. भारत के मौसम के लिहाज से यह वर्दी ठीक नहीं थी. जल्दी मैली हो जाती थी. तब अधिकारियों ने अलग-अलग रंगों में वर्दी रंगानी शुरू कर दी. कुछ जगहों पर बहुरंगी पोशाकें डिजाइन की गईं.  साल 1847 में सर हेनरी लॉरेंस द्वारा खाकी को पुलिस की वर्दी के लिए आधिकारिक रंग के तौर पर चुन लिया. तब से लेकर अब तक देश में पुलिस खाकी रंग की वर्दी पहनती है.

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कौन तय करता है पुलिस की वर्दी?

भारतीय संविधान के मुताबिक देश में कानून और व्यवस्था राज्य का विषय है इसलिए, वर्दी और पुलिस से संबंधित अन्य मुद्दों पर फैसले राज्य सरकारें करती हैं. संविधान की सातवीं अनुसूची की लिस्ट 2 राज्य से संबंधित है. यह संघ और राज्यों के अधिकार का विभाजन करती है. राज्य सरकारें अपने पुलिसकर्मियों और सुरक्षाबलों के लिए वर्दी पर फैसले ले सकती हैं.


राज्यों में अलग-अलग यूनिफॉर्म

पुलिस यूनिफॉर्म अलग-अलग राज्यों में अलग-अलग देखने को मिलता है. ज्यादातर पुलिसकर्मियों की वर्दी खाकी है. कुछ राज्यों में दूसरे रंग भी नजर आते हैं. कोलकाता पुलिस सफेद रंग की वर्दी पहनती है, वहीं राज्य के बाकी हिस्सों में पुलिसकर्मियों की वर्दी का रंग खाकी ही है. पुडुचेरी पुलिस के सिपाही अपनी खाकी वर्दी के साथ चमकदार लाल टोपी पहनते हैं.

पुलिसकर्मी.

पुलिस की वर्दी में हालिया बदलाव

फरवरी महीने में महाराष्ट्र के पुलिस महानिदेशक (DGP) ने पुलिस उप निरीक्षक (PSI) से लेकर उपाधीक्षक (DySP) तक के अधिकारियों के लिए ट्यूनिक यूनिफॉर्म पर रोक लगा दी थी. आदेश में कहा गया था कि यह मंहगी और असुविधाजनक है. यह ड्रेस एक खाकी टेरी ओवरकोट की तरह था जिसे पुलिसकर्मी पारंपरिक वर्दी के ऊपर पहनते थे.

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ओडिशा सरकार ने इस साल फरवरी में ब्रिटिश युग की ट्यूनिक यूनिफॉर्म और औपनिवेशिक सैम ब्राउन बेल्ट को भी बैन कर दिया था. ओडिशा के गृह विभाग के आदेश के मुताबिक सैम ब्राउन बेल्ट या क्रॉस बेल्ट अब केवल औपचारिक अवसरों के दौरान पहनते हैं. जब अधिकारी तलवार लेकर मार्च कर रहे हों, तब यह ड्रेस पहनी जा सकती है.

कोलकाता पुलिस.

इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट के मुताबिक मार्च 2022 में दिल्ली पुलिस ने  आरामदायक कपड़ों को ध्यान में रखते हुए नई वर्दी डिजाइन करने की पहल की थी. इसके लिए पुलिस ने  नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ फैशन टेक्नोलॉजी (निफ्ट) से भी राय ली है.

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..इन योजनाओं में भी यूनिफॉर्मिटी पर आगे बढ़ चुकी है सरकार

केंद्र सरकार इससे पहले एक राष्ट्र, एक मोबिलिटी कार्ड, एक राष्ट्र, एक राशन कार्ड,  एक राष्ट्र, एक सांकेतिक भाषा और एक राष्ट्र, एक ग्रिड जैसी योजनाएं शुरू कर चुकी है.

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