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Sri Lanka Crisis: संकट में श्रीलंका को यूं ही नहीं आ रही भारत की याद, दोनों देशों की दोस्ती पुरानी और बहुत गहरी, जानें इतिहास

India Aid Sri Lanka: भारत और श्रीलंका (India Helping Sri Lanka) के बीच संबंध सदियों पुराने हैं. दोनों देशों के बीच सिर्फ़ व्यापारिक और रणनीतिक संबंध ही नहीं है बल्कि पौराणिक और मिथकीय कथाओं में भी यह संबंध दिखता है. रामायण में सोने की लंका का जिक्र है.

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Sri Lanka Crisis: संकट में श्रीलंका को यूं ही नहीं आ रही भारत की याद, दोनों देशों की दोस्ती पुरानी और बहुत गहरी, जानें इतिहास

भारत-श्रीलंका संबंध भावनात्मक भी हैं

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डीएनए हिंदी: भारत और श्रीलंका के बीच संबंध गहरे हैं और दोनों देशों  के बीच गहरे राजनीतिक और वाणिज्यिक संबंध रहे हैं. महिंदा राजपक्षे की चीन के साथ नजदीकियों के बाद कुछ समय के लिए दोनों देशों में दूरी आई थी. मुश्किल में फंसे श्रीलंका की मदद करने वालों में एक बार फिर भारत सबसे आगे है. भारत लगातार श्रीलंका की मदद कर रहा है और खुद बड़े श्रीलंकाई नेता भी पीएम मोदी से ही मदद की गुहार लगा रहे हैं. श्रीलंका को भारत पर यूं ही भरोसा नहीं है. इसकी वजह दशकों पुरानी है. हर संकट की परिस्थिति में श्रीलंका की मदद करने में भारत ही सबसे आगे रहा है.  श्रीलंका की आजादी के बाद से भारत ने बड़े भाई वाली भूमिका में हमेशा ही मुश्किल वक्त में श्रीलंका की मदद की है.

गृह युद्ध में फंसे श्रीलंका की भारत ने की थी मदद
लिबरेशन टाइगर्स ऑफ तमिल एलम (LTTE) यानी लिट्टे की वजह से श्रीलंका में गृह युद्ध चल रहा था. बहुसंख्यक सिंहली और अल्पसंख्यक तमिलों के बीच संघर्ष की आग में श्रीलंका जल रहा था. ऐसे वक्त में श्रीलंका ने भारत से ही मदद मांगी थी. तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी (Rajiv Gandhi) ने श्रीलंका की मदद के लिए सेना भेजी भी थी.

राजीव गांधी के श्रीलंका दौर पर सैनिक ने किया था हमला

श्रीलंका में जमकर खून-खराबा हुआ और कई भारतीय सैनिक भी शहीद हुए थे. 29 जुलाई 1987 को राजीव गांधी के नेतृत्व वाली भारत सरकार और श्रीलंका के बीच शांति समझौते पर हस्ताक्षर किए और भारत ने श्रीलंका में अपनी सेना भेजी थी. दोनों देशों के बीच हुए इस समझौते का मकसद लिट्टे और उसके चीफ वी. प्रभाकरण को रोकना था. हालांकि, राजीव गांधी का यही फैसला आगे चलकर उनकी हत्या का कारण भी बना था.

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भारत ने श्रीलंका की अर्थव्यवस्था को दी गति 
भारत और श्रीलंका करीबी पड़ोसी हैं और दोनों देश समुद्री सीमा भी साझा करते हैं. भारत ने द्वीपीय देश की अर्थव्यवस्था को गति देने के लिए बड़ा निवेश किया है और नई दिल्ली और कोलंबो के बीच हुए मुक्त व्यापार समझौते ने श्रीलंका की अर्थव्यवस्था को रफ्तार दी थी. 28 दिसंबर 1998 को भारत-श्रीलंका मुक्त व्यापार समझौता (आईएसएफटीए) किया गया था. दोनों देशों के बीच यह पहला द्विपक्षीय मुक्त व्यापार समझौता था जिसके बाद दोनों देशों के बीच वाणिज्यिक संबंध काफी मजबूत हुए थे. 

इस वक्त श्रीलंका में लगातार प्रदर्शन हो रहे हैं

साल 2006 तक दोनों देशों के बीच  $2.6 बिलियन डॉलर तक का व्यापार हुआ था. अगले 5 साल तक भी दोनों देशों के बीच व्यापार में तेजी से बढ़ोतरी हुई थी. श्रीलंका की अर्थव्यवस्था में बड़ा हिस्सा पर्यटन का रहा है और भारत से बड़ी संख्या में पर्यटक 2010 के बाद के दशक में श्रीलंका पहुंचते रहे थे. महिंदा राजपक्षे ने बाद में चीन से अपनी नजदीकियां बढ़ाईं और इस वजह से दोनों देशों के संबंधों में थोड़ी दरार आई थी. 

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श्रीलंका-भारत के बीच सांस्कृतिक समानता 
ऐसा नहीं है कि भारत और श्रीलंका के बीच संबंधों की मजबूती रणनीतिक और व्यापार कारणों की वजह से रही है. दोनों देशों के बीच सांस्कृतिक और भावनात्मक समानता भी है. श्रीलंका में तमिल अल्पसंख्यक भी रहते हैं. इसके अलावा, पौराणिक कथाओं में भी दोनों देशों के बीच गहरे संबंध का जिक्र किया जाता है. 

अशोक वाटिका का जिक्र रामायण में है

मौजूदा संकट में भारत कर रहा है बड़ी मदद 
इस वक्त श्रीलंका गंभीर आर्थिक संकट से गुजर रहा है. देश कंगाल हो चुका है और राजनीतिक अस्थिरता ने स्थितियां बदतर कर दी हैं. महंगाई और बेरोजगारी भी अपने चरम पर है. ऐसे हालात में श्रीलंका की सबसे पहले मदद करने वाले देशों में भारत ही है. 

भारत ने श्रीलंका को इस आर्थिक संकट से निकालने के लिए बड़ी सहायता दी है. पीएम मोदी ने 'पड़ोसी प्रथम' रणनीति के तहत श्रीलंका को हर संभव मदद का आश्वासन दिया है. भारत इस साल अब तक 3.5 अरब डॉलर यानी 27 हजार करोड़ रुपये की मदद श्रीलंका को कर चुका है. भारत अभी श्रीलंका के लिए सबसे बड़े कर्जदाताओं में से एक है. कर्ज और आर्थिक सहायता के अलावा मानवीय आधार पर भी भारत ने श्रीलंका की रसद, दवाइयों के तौर पर मदद की है. 

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