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फेक करेंसी रोकने वाली एजेंसी, कैसे बनी US Secret Service? ट्रंप पर हमले के बाद उठ रहे सवाल

Donald Trump Secret Service: अमेरिका में कई सुरक्षा एजेंसियां हैं, लेकिन इनमें सबसे ताकतवर फेडरल ब्यूरो ऑफ इन्वेस्टिगेशन (FBI), सेंट्रल इंटेलिजेंस एजेंसी (CIA) और सीक्रेट सर्विस को माना जाता है. तीनों ही एजेंसियों का काम अलग-अलग है. 

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फेक करेंसी रोकने वाली एजेंसी, कैसे बनी US Secret Service? ट्रंप पर हमले के बाद उठ रहे सवाल

Donald Trump Secret Service

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अमेरिका में राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार डोनाल्ड ट्रंप (Donald Trump) पर शनिवार को हमला हुआ था. यह हमला उस वक्त हुआ जब वह अमेरिका के पेंसिल्वेनिया में एक चुनावी रैली को संबोधित कर रहे थे. उसी दौरान उनके ऊपर फायरिंग हुई. हालांकि गनीमत ये रही कि गोली उनके कान को छूकर निकल गई, जिससे बड़ा नुकसान नहीं हुआ. हमले के दौरान ट्रंप की सुरक्षा सीक्रेट सर्विस (Secret Service) कर रही थी. उस दौरान वहां कुछ एजेंट्स भी मौजूद थे. इस घटना के बाद सीक्रेट सर्विस सवालों के घेरे में आ गई है.

दावा किया जा रहा है कि गोलीबारी से ठीक पहले सीक्रेट सर्विस को संदिग्ध शख्स की मौजूदगी के बारे में खुफिया इनपुट मिल गया था. लेकिन एजेंसी ने इसे गंभीरता से नहीं लिया. उनका कहना है कि जब एजेंसी को हमलावर की भनक लग गई थी तो एक्शन क्यों नहीं लिया गया. इसमें जरूर कोई साजिश है. ट्रंप की पार्टी के लोग सीक्रेट सर्विस एजेंसी के डायरेक्टर किंबरली ए चीटल की इस्तीफे के मांग कर रहे हैं. 

लेकिन इस घटना से इतर हम यह जानने कोशिश करते हैं कि सीक्रेट सर्विस है क्या? कैसे यह काम करती है और कौन इसमें शामिल होते हैं. अमेरिका में इसकी स्थापना कब की गई थी?

फेक करेंसी को रोकने के लिए बनाई गई थी ये एजेंसी
अमेरिका में सीक्रेट सर्विस को 1865 में बनाया गया था. तब फेक करेंसी को रोकने के लिए इसका गठन किया गया था. उस दौरान अमेरिका में फेक डॉलर की जालसाजी जमकर चल रही थी. आसपास के देशों ने अमेरीका में Fake Dollars का जाल फैला रखा था. कहा जाता है कि सिविल वॉर के दौरान अमेरिका की एक तिहाई करेंसी जाली थी. सीक्रेट सर्विस ने इस नेटवर्क को तोड़ा और काफी हदतक फेक करेंसी पर रोक लगाने में कामयाबी पाई. 

साल 1901 में तत्कालीन राष्ट्रपति विलियम मैकिनले की न्यूयॉर्क में हत्या कर दी गई. इसके बाद व्हाइट हाउस ने फैसला किया कि फेक करेंसी को रोकने के साथ-साथ देश के राष्ट्रपति की सुरक्षा भी Secret Service करेगी. वक्त के साथ सीक्रेट सर्विस का दायरा बढ़ता गया. पचास के दशक में अमेरिकी संसद में फॉर्मर प्रेसिडेंट एक्ट पास हुआ, जिसमें राष्ट्रपति के साथ उप-राष्ट्रपति, पूर्व राष्ट्रपति के परिवार की सुरक्षा की जिम्मेदारी सीक्रेट सर्विस को सौंपी गई. साथ ही US में आर्थिक धांधली पर नजर रखने की जिम्मेदारी इसी एजेंसी पर आ गई.


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सीक्रेट सर्विस में कैसे होती है भर्ती?
अमेरिकी सीक्रेट सर्विस में भर्ती प्रक्रिया बहुत कठिन होती है. इस एजेंसी में शामिल होने के लिए कैंडिडेड्स को कई स्तर से गुजरना पड़ता है. सबसे पहले तो सरकार Secret Service  के लिए USAJOBS साइट पर नोटिपिकेश जारी करती है. इसके बाद योग्य और शारीरिक मजबूत कैंडिडेट्स का एप्लीकेशन सेलेक्ट किया जाता है. उसके बाद उसकी योग्यता का रिव्यू किया जाता है. फिर उसका रिटेन टेस्ट होता है. रिटेन में पास होने वाले अभ्यर्थी का फिटिकल टेस्ट होता है. यहां भी सिलेक्ट होने वाले का एक बड़ा पैनल इंटरव्यू लेता है. सबकुछ में होने के बाद हायरिंग पैनल उस कैंडिडेट्स का रिव्यू करती है. फिर सीक्रेट सर्विस की शर्तों के साथ जॉब ऑफर की जाती है.

Secret Service की कितनी है पॉवर?
यह एजेंसी बिना वारंट के शक के आधार पर किसी को गिरफ्तार कर सकती है. इसके पास खुद वारंट इश्यू करने की पावर होती है. सीक्रेट सर्विस पर फायरआर्म्स रखने वाले कुल 3200 स्पेशल एजेंट्स हैं. सीक्रेट सर्विस की यूनिट में 1300 डिवीजन अधिकारी, 2000 से ज्यादा टेक्निकल और सपोर्ट पर्सनल हैं.

FBI और CIA से कितनी अलग
अमेरिका वैसे तो कई सुरक्षा एजेंसियां हैं, लेकिन इनमें सबसे ताकतवर फेडरल ब्यूरो ऑफ इन्वेस्टिगेशन (FBI), सेंट्रल इंटेलिजेंस एजेंसी (CIA) और सीक्रेट सर्विस को माना जाता है. तीनों ही एजेंसियों का काम अलग-अलग है. 

  • सीक्रेट सर्विस US डिपार्टमेंट ऑफ होमलैंड सिक्योरिटी की शाखा है. जो फेक करेंसी के अलावा हाई-प्रोफाइल मामलों की तहकीकात करती है.
  • CIA सबसे शातिर एजेंसी मानी जाती है. इसके एजेंट दुनिया भर में फेले हैं. जिसका काम विदेशी हरकतों और ग्लोबल मुद्दों पर नजर रखने के लिए बनाया है.
  • बात करें FBI तो यह डिपार्टमेंट ऑफ जस्टिस के तहत काम करने वाली संस्था है. इसका एजंसी खुफिया सूचनाओं की सत्यता की जांच पड़ताल करती है.

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