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आज होगा National Logistics Policy का ऐलान? जानें क्या है ये योजना और क्या होगा इससे लाभ?

National Logistics Policy: माल-ढुलाई के खर्च को कम करने के मकसद से आज देश की नई लॉजिस्टिक्स पॉलिसी का ऐलान पीएम मोदी करेंगे.

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आज होगा National Logistics Policy का ऐलान?  जानें क्या है ये योजना और क्या होगा इससे लाभ?

नई लॉजिस्टिक्स पॉलिसी ला रही है मोदी सरकार

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डीएनए हिंदी: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) आज देश की नई राष्ट्रीय लॉजिस्टिक्स नीति (National Logistics Policy) का अनावरण करेंगे. कारोबार जगत को उम्मीद है कि नई नीति में कुछ ऐसे बदलाव देखने को मिलेंगे जिससे कोविड से प्रभावित इकोनॉमी को रफ्तार पकड़ने में मदद मिलेगी. इस नीति में सप्लाई साइड की समस्याओं को हल करने की कोशिश की जाएगी. इसके अलावा, माल ढुलाई में होने वाली ईंधन की खपत को कम करने की दिशा में भी कुछ फैसले होने की उम्मीद जताई जा रही है. भारत में लॉजिस्टिक्स यानी माल ढुलाई के लिए सड़क और जल परिवहन से लेकर हवाई मार्ग का इस्तेमाल किया जाता है.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपने जन्मदिन (17 सितंबर) पर ईंधन लागत को कम करने के लिए इस नई नीति को पेश करेंगे ताकि देशभर में माल ढुलाई का काम तेजी से हो सके. वाणिज्य और उद्योग मंत्री पीयूष गोयल के मुताबिक, भारत अपनी जीडीपी का लगभग 13 से 14 प्रतिशत हिस्सा लॉजिस्टिक्स पर खर्च कर देता है जबकि जर्मनी और जापान जैसे देश इसी के लिए 8 से 9 फीसदी ही खर्च करते हैं. आइए समझते हैं कि नई नीति में भारत ऐसे कौन से बदलाव करने जा रहा है जिससे देश के लॉजिस्टिक्स नेटवर्क को भी मजबूती मिलेगी और इस पर खर्च भी कम हो जाएगा.

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लॉजिस्टिक्स नीति

लॉजिस्टिक्स क्या होता है यही समझिए?
भारत जैसे लगभग हर देश में किसी भी जगह पर सभी ज़रूरी चीजें उपलब्ध नहीं होती हैं. आम नागरिकों के लिए खाने-पीने की चीजों से लेकर डीज़ल-पेट्रोल, इंडस्ट्री से जुड़े सामान, व्यापारियों के माल, फैक्ट्रियों में इस्तेमाल होने वाला कच्चा माल, उद्योगों को चलाने के लिए ज़रूरी ईंधन और तमाम तरह की चीजें एक जगह से दूसरी जगह ले जानी पड़ती हैं. इस सबके पीछे एक बहुत बड़ी इंडस्ट्री और नेटवर्क काम करता है जो चीजों को तय समय पर पहुंचाता है.

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लॉजिस्टिक्स इंडस्ट्री का मुख्य काम यही है. जरूरी सामानों को एक जगह से दूसरी जगह पहुंचाना. सामान को विदेश से लाना, उसे अपने पास स्टोर करना और फिर डिलीवरी वाली जगह पर उसे तय समय पर पहुंचाना ही लॉजिस्टिक्स का काम है. इस सब कवायद में सबसे ज्यादा खर्च ईंधन का होता है. इसके अलावा, सड़कों की अच्छी सेहत, टोल टैक्स और रोड टैक्स के साथ-साथ अन्य कई चीजें भी इस इंडस्ट्री को प्रभावित करती हैं. 

लॉजिस्टिक्स नीति

भारत सरकार तीन साल से राष्ट्रीय लॉजिस्टिक्स नीति पर काम कर रही है. कोरोना महामारी की वजह से इसमें काफी देरी भी हुई. इस साल के बजट भाषण में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा था कि नई नीति में केंद्र सरकार, राज्य सरकार और अन्य संस्थाओं का रोल स्पष्ट किया जाएगा. इसके अळावा, एक सिंगल विंडो ई-लॉजिस्टिक्स मार्केट बनाया जाएगा. साथ ही, रोजगार के अवसर पैदा करने और छोटे और मझले उद्यमों को बढ़ाने की भी कोशिश की जाएगी.

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National Logistics Policy में क्या है?
नई नीति के मुताबिक, लॉजिस्टिक्स से जुड़े सभी मसलों के लिए सिंगल रेफरेंस पॉइंट बनाया जाएगा. इसका मकसद यह है कि अगले 10 सालों में लॉजिस्टिक्स सेक्टर की लागत को 10 प्रतिशत तक लाया जाए, जो कि अभी जीडीपी का 13-14 प्रतिशत है. वर्तमान में लॉजिस्टिक्स का ज्यादातर का काम सड़कों के ज़रिए होता है. नई नीति के मुताबिक, अब रेल ट्रांसपोर्ट के साथ-साथ शिपिंग और एयर ट्रांसपोर्ट पर जोर दिया जाएगा. 

एक अधिकारी का कहना है कि नई नीति के सहारे ही लगभग 50 प्रतिशत कार्गो को रेलवे के ज़रिए भेजा जाएगा. इससे सड़कों पर ट्रैफिक को कम किया जाए सकेगा, तेल के आयात में कमी आएगी और लॉजिस्टिक्स के खर्च में कमी की जा सकेगी. साथ ही साथ लगने वाला समय भी कम होगा. आपको बता दें कि विश्व बैंक लॉजिस्टिक्स इंडेक्स 2018 के अनुसार, भारत लॉजिस्टिक्स के खर्च के मामले में 44 वें स्थान पर है. भारत इस मामले में अमेरिका और चीन जैसे देशों से बहुत पीछे है, जो क्रमश: 14वें और 26वें स्थान पर हैं. लॉजिस्टिक्स के खर्च के मामले में जर्मनी नंबर 1 पर है यानी उसका खर्च सबसे कम है.

लॉजिस्टिक्स नीति

लंबा-चौड़ा है लॉजिस्टिक्स का कारोबार
भारत में लॉजिस्टिक्स का मार्केट 215 बिलियन डॉलर से भी ज्यादा है. यह मार्केट सालाना 10.5 प्रतिशत के कंपाउंड रेट से ब़ रहा है. इस सबके बावजूद इसका सिर्फ़ 10 से 15 प्रतिशत हिस्सा ही संगठित मार्केट के अंदर आता है. कारोबारियों का मानना है कि इस बारे में नई नीति आनेसे कई तरह की समस्याएं खत्म हो सकती हैं और लॉजिस्टिक्स के मामले में भारत अपनी नई पहचान बना सकता है.

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भारत में लॉजिस्टिक्स सेक्टर में 20 से ज्यादा सरकारी एजेंसियां, 40 सहयोगी सरकारी एजेंसियां (पीजीए), 37 एक्सपोर्ट प्रमोशन काउंसिल, 500 प्रमाणन और 10,000 से ज्यादा चीजें शामिल हैं. इसमें 200 शिपिंग एजेंसियां, 36 लॉजिस्टिक्स सर्विसेज, 129 अंतर्देशीय कंटेनर डिपो (आईसीडी), 166 कंटेनर फ्रेट स्टेशन (सीएफएस), 50 आईटी सिस्टम, बैंक और बीमा एजेंसियां शामिल हैं. वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय ने कहा है कि इस सेक्टर की वजह से देश के 2.2 करोड़ से ज्यादा लोगों को रोजगार मिलता है.

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