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Cholesterol Melting Diet: नसों और शरीर की वसा को मोम की तरह पिघला देगी TLC डाइट, बैड कोलेस्ट्रॉल बिना दवा ही होगा कंट्रोल

टीएलसी डाइट प्लान कोलेस्ट्रॉल के साथ ही वेट कम करने और ब्लड शुगर को भी मेंटेन करता है. क्या है ये डाइट चलिए जानें.

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Cholesterol Melting Diet: नसों और शरीर की वसा को मोम की तरह पिघला देगी TLC डाइट, बैड कोलेस्ट्रॉल बिना दवा ही होगा कंट्रोल

टीएलसी डाइट प्लान के फायदे

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डीएनए हिंदीः अमेरिका में हाल ही में किए गए एक सर्वेक्षण में 'Best Holistic Diet' के रूप में टीएलसी (TLC) डाइट को 5वें स्थान पर रखा गया है. ये वो डाइट है जो बैड कोलेस्ट्रॉल को कंट्रोल करती है और नसों में जमी मोम जैसी चिपचिपी वसा को ही नहीं, ब्‍लड प्रेशर लो करने और बॉडी फैट को भी पिघलाने में मददगार है. 

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टीएलसी डाइट क्या है?

मोटापे की बढ़ती समस्या के कारण ही नसों में गंदा कोलेस्ट्रॉल जमता है और डायबिटीज से लेकर हार्ट अटैक तक की समस्याएं होती हैं. टीएलसी डाइट यानी फाइबर रिच डाइट है.  टीएलसी का मतलब होता है डेली रूटीन में क‍िए जाने वाले मेड‍िसनल चेंज यानी थेरप्यूटिक लाइफस्टाइल चेंज (Therapeutic Lifestyle Changes) ये डाइट हार्ट ड‍िसीज, बीपी, मोटापे, कोलेस्ट्रॉल को कम करने में मदद करती है. इस डाइट में आप फाइबर, पत्‍तेदार सब्‍ज‍ियां, होल ग्रेन शामिल किया जाता है, साथ ही इस प्लान में एक्सरसाइज पर भी फोकस होता है.

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टीएलसी प्लान के नियम जान लें

1. कैलोरी प्रतिबंध जैसे कि स्वस्थ वजन बनाए रखने के लिए केवल पर्याप्त कैलोरी ही लेनी चाहिए. यदि वजन कम करना लक्ष्य है, तो कैलोरी सेवन में कमी की आवश्यकता है.

2. वसा: वसा को 25 से 35 प्रतिशत कैलोरी प्रदान करनी चाहिए और संतृप्त वसा को कैलोरी का सात प्रतिशत से कम होना चाहिए. संतृप्त वसा और ट्रांस-वसा एलडीएल यानी गंदा कोलेस्ट्रॉल बढ़ाता है, जो कोरोनरी धमनी रोग के लिए मुख्य कारण है. इसलिए, संतृप्त वसा वाले खाद्य पदार्थ, जैसे कि रेड मीट, और ट्रांस-वसा वाले, जैसे गहरे तले हुए स्नैक्स, कुकीज़ और डेसर्ट जैसी चीजे इस डाइट से कट कर दें.

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3. मोनोअनसैचुरेटेड और पॉलीअनसैचुरेटेड फैट आपके लिए अच्छे हैं. टीएलसी डाइट में  20 प्रतिशत कैलोरी एमयूएफए (जैतून का तेल, कनोला तेल) से आनी चाहिए. ओमेगा-3 PUFA से भरपूर खाद्य पदार्थ जैतून का तेल, कनोला तेल और नट्स हैं, और ओमेगा-6 से भरपूर PUFA सैल्मन, मैकेरल और कॉड जैसी तैलीय मछलियों में पाए जाते हैं. तो इसे आहार में शामिल किया जा सकता है.

4. कार्बोहाइड्रेट और फाइबर:  कार्बोहाइड्रेट को सभी कैलोरी का 50-60 प्रतिशत प्रदान करना चाहिए. रिफाइंड कार्बोहाइड्रेट से बचना चाहिए. आहार में घुलनशील फाइबर - 10 ग्राम से 25 ग्राम प्रति दिन होना चाहिए. फाइबर पानी में घुलनशील हो सकते हैं - वे आंतों में एक जेल जैसा पदार्थ बनाते हैं जो वसा के अवशोषण को अवरुद्ध करने में मदद करता है या पानी में अघुलनशील - वे पाचन तंत्र को स्वस्थ रखने में मदद करते हैं. सेब, अमरूद, शकरकंद, जई, फलियां सभी घुलनशील फाइबर से भरपूर होते हैं. अघुलनशील फाइबर युक्त खाद्य पदार्थों में फूलगोभी, ब्रोकोली, मटर, हरी बीन्स और साबुत गेहूं. 

5. इस डाइट में रोज दो ग्राम प्लांट स्टेरोल या स्टैनोल का सेवन किया जाना चाहिए. प्लांट स्टेरोल और स्टैनोल को कोलेस्ट्रॉल के अवशोषण को कम करने के लिए जाना जाता है. स्टेरोल युक्त खाद्य पदार्थों में गेहूं के बीज, मकई का तेल और कनोला तेल शामिल हैं. बादाम, ब्रसेल्स स्प्राउट्स और गेहूं के चोकर में भी अच्छी मात्रा में फाइटोस्टेरॉल (प्लांट स्टेरोल्स) होते हैं.

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6. नमक का सेवन कम करने से रक्तचाप कम होता है और हृदय रोग का खतरा कम होता है. इसके आधार पर, टीएलसी हर दिन 2.3 ग्राम से अधिक नमक की सिफारिश नहीं करता है. ऐसा करने का एक तरीका यह है कि आप अपने सलाद में नमक न डालें, नमकीन स्नैक्स से परहेज करें.

7. टीएलसी प्लान में हर दिन कम से कम 30 मिनट की मध्यम तीव्रता वाली फिजिकल एक्सरसाइज जरूरी है. वहीं वेट या कोलेस्ट्रॉल बहुत ज्यादा है तो  60-90 मिनट की मध्यम तीव्रता के साथ एक्सरसाइज जरूरी है.

टीएलसी डाइट के फायदे (Benefits of TLC diet)

  • कोलेस्‍ट्रॉल लेवल कंट्रोल रहता है इसल‍िए ये हार्ट के ल‍िए फायदेमंद है.
  • ब्‍लड प्रेशर कंट्रोल रहता है और हार्ट ड‍िसीज का खतरा भी कम होता है.
  • ब्‍लड शुगर कम होता है और तनाव भी घटता है.
  • इसमें हाई-फाइबर पर फोकस क‍िया जाता है ज‍िससे आपका वजन घटता है और कब्ज से निजात दिलाता है.

(Disclaimer: हमारा लेख केवल जानकारी प्रदान करने के लिए है। अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें।) 

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